आयुध कारखानों का निगमीकरण; जनमत संग्रह में 100% कर्मियों ने केंद्र के फैसले को बताया गलत

जनमत संग्रह में सभी 1542 कर्मियों ने भाग लिया, सभी 1542 कर्मियों ने आयुध कारखानों को निगमों में तब्दील करने की मुख़ालफ़त की है।
केंद्र सरकार द्वारा आयुध कारखानों को निगमों में तब्दील करने के खिलाफ अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ ‘एआईडीईएफ’ ने मंगलवार को जनमत संग्रह आयोजित किया है। पहले जनमत संग्रह में 100 फीसदी कर्मियों ने केंद्र सरकार के फैसले को गलत बताया है। यह जनमत संग्रह 41 आयुध कारखानों में किया जा रहा है। पहले दिन ओसीएफ आवडी और ईएफ आवडी में जनमत संग्रह आयोजित हुआ है।
एआईडीईएफ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है कि ओसीएफ आवडी में हुए जनमत संग्रह में 1542 कर्मियों ने भाग लिया। यहां पर कुल कर्मचारी 1584 हैं। सभी 1542 कर्मियों ने आयुध कारखानों को निगमों में तब्दील करने की खिलाफत की है। सभी ने सरकार के फैसले को गलत बताया है। ईएफ आवडी में 1217 कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से 964 कर्मियों ने जनमत संग्रह में भाग लिया। 957 कर्मियों ने निगम के खिलाफ मतदान किया है।
सात कर्मचारी ऐसे थे, जिन्होंने निगम के समर्थन में अपना मत डाला। 99.22 फीसदी कर्मियों ने सरकार के फैसले का विरोध किया है। सी श्रीकुमार, बीपीएमएस के महासचिव मुकेश सिंह और सीडीआरए के महासचिव विजय पी ध्यानी ने कहा, बुधवार को ओसीएफ शाहजहांपुर, ओईएफ कानपुर, एसएएफ कानपुर और ओएफ चंदा, ओएफ इटारसी, ओएफ अंबाजारी और जीसीएफ जबलपुर में जनमत संग्रह आयोजित किया जा रहा है।
बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट की 16 जून को हुई बैठक में एक झटके से भारतीय रक्षा का चौथा बाजू कहे जाने वाले 220 साल पुराने आयुध कारखानों को सात कंपनियों में विभाजित कर दिया था। ये वही कारखाने हैं, जिन्होंने भारतीय सेना को पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध, बांग्लादेश लिब्रेशन वॉर, कारगिल की लड़ाई और लद्दाख जैसी झड़पों में साजो-सामान सप्लाई किया था।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार का कहना है, सरकार की लंबे समय से इन कारखानों पर नजर थी। इस फैसले से प्राइवेट कंपनियां और विदेशी हथियार निर्माता बहुत खुश हैं। वजह, ये कंपनियां, 41 आयुध कारखानों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रही थीं। सरकार का यह कदम इंडियन डिफेंस के रणनीतिक कौशल और प्रबंधन के साथ खिलवाड़ है। बतौर श्रीकुमार, भारतीय सेना के साजो-सामान की तैयारियों की दिशा में केंद्र सरकार का यह फैसला एक भ्रामक कदम साबित होगा।
अमर उजाला से साभार