असमः पाँच साल से बंद हैं पेपर मिल, बकाये का इंतज़ार कर रहे श्रमिक, मिला बेदख़ली का नोटिस

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इन क्वार्टर्स में 1000 से अधिक श्रमिक रहते हैं। लाभ होने के बावजूद बंद दोनों मिलों के 1,200 से अधिक श्रमिकों को उनका बकाया नहीं मिला है, 93 श्रमिक बकाये के इंतजार में जान गंवा चुके हैं।

बगैर नोटिस 5 साल से बंद हैं सरकारी एचपीसीएल की नगांव व कछार मिल

गुवाहाटी। कई सालों से अपनी बकाया धनराशि के लिए संघर्ष कर रहे असम की दो सरकारी पेपर मिलों – नगांव पेपर मिल व कछार मिल के पूर्व कर्मचारियों को नोटिस जारी कर क्वार्टर खाली करने को कहा गया है, जिससे उन पर बेघर होने की तलवार लटक रही है।

तीन सितंबर को जारी हुए इस नोटिस में हिंदुस्तान पेपर मिल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की निष्क्रिय और कर्जे में डूबी पेपर मिलों के पूर्व कर्मचारियों और अधिकारियों को उनके आवास खाली करने को कहा गया है। इस नोटिस को एचपीसीएल लिक्विडेटर द्वारा जारी किया गया है।

अवैध रूप से बंद हैं मिलें, 1200 से ज्यादा बेरोजगार

ज्ञात हो कि नगांव पेपर मिल को बिना किसी नोटिस के 13 मार्च 2017, जबकि कछार मिल को भी बिना नोटिस के 20 अक्टूबर 2015 को बंद कर दिया गया था।

इन दोनों मिलों के 1,200 से अधिक पूर्व कर्मचारियों को अभी अपना बकाया नहीं मिला है, जिसमें इनका पेंशन, वेतन और प्रोविडेंट फंड (पीएफ) शामिल है। इन क्वार्टर्स में 1,000 से अधिक पूर्व कर्मचारी अभी भी रहते हैं।

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अभाव में 93 श्रमिकों ने गंवाई जान

इस दौरान 93 कर्मचारी अपने बकाये के इंतजार में जान गंवा चुके हैं, वहीं चार ने आत्महत्या कर ली थी। इनके पूर्व सहकर्मियों का आरोप है कि अधिकतर की मौत इलाज के लिए पैसा नहीं होने की वजह से हुई।

एक कर्मचारी अक्षय कुमार मजूमदार (62) की 29 अगस्त को मौत हो गई थी। वे हाइपरटेंशन से जूझ रहे थे और वर्कर्स यूनियन के मुताबिक उनका परिवार पैसे नहीं होने की वजह से उनका इलाज नहीं करवा सका।

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बेदखली का नोटिस गैरक़ानूनी, श्रमिकों में आक्रोश, यूनियन कर रही विरोध

नगांव और कछार मिल की यूनियन कछार पेपर प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन और जॉइंट एक्शन कमेटी ऑफ रिकग्नाइज्ड यूनियन्स (जेएसीआरयू) के सदस्य मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा से मिलने के लिए छह सितंबर को गुवाहाटी पहुंचे। इससे पूर्व यूनियन मोरीगांव और हैलाकांडी जिलों के उपायुक्त के समक्ष आपत्ति जता चुकी है और एचपीसीएल लिक्विडेटर कुलदीप वर्मा से बात कर चुके हैं।

श्रमिकों का मानना है कि यह नोटिस गैरकानूनी है और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के 29 मई 2019 के आदेश और दिल्ली हाईकोर्ट के अप्रैल 2020 के आदेश को खारिज करता है।

जेएसीआरयू के अध्यक्ष मनबेंद्र चक्रबर्ती ने द वायर  को बताया कि पूर्व कर्मचारियों से क्वार्टर खाली कराए जाने के फैसले का विरोध किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘क्या कुलदीप वर्मा जज हैं या मजिस्ट्रेट? वह कौन होते हैं हमें बेदखली का नोटिस जारी करने वाले? जो उन्होंने किया है, वह गैरकानूनी है। वह हमें उठाकर सड़कों पर फेंकना चाहते हैं। यह साजिश है और वह उस शख्स के लिए काम कर रहे हैं जो इसका फायदा उठाना चाहता है।’

उन्होंने कहा, ‘अगर हमें बेदखल किया जाता है तो वह हमारी लाशों के ऊपर होगा और उनके हाथ खून से सने होंगे।’

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लाभ वाली रही हैं दोनों मिलें

उल्लेखनीय है कि इन दोनों मिलों को मिनीरत्न पीएसयू श्रेणी में रखा जा चुका था और इन्हें जून में दूसरी बार नीलामी के लिए भी रखा गया था। इसकी शुरुआती नीलामी आरक्षित मूल्य 1,139 करोड़ रुपये था जिसे बाद में 960 करोड़ रुपये किया गया।

दोनों पेपर मिल पूंजी की कमी की वजह से बंद पड़ गईं। एचपीसीएल पर कंपनी एलॉयज एंड मेटल्स (इंडिया) का 98 लाख रुपये बकाया है। कछार पेपर मिल ने वित्त वर्ष 2005-2006 और 2006-2007 के दौरान पूर्ण उत्पादन किया था।

एचपीसीएल को 2005-2006 से 2008-2009 तक लाभ कमाने वाली कंपनी माना जाता था और इसे भारत सरकार से वर्ष 2005-2006 और 2007-2008 के लिए एमओयू एक्सीलेंस अवॉर्ड भी मिला था।

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चुनाव में अमित शाह ने खोलने का किया था वायदा

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चार अप्रैल को बारपेटा जिले के सरभोग में अपनी चुनावी रैली में कहा था कि भाजपा सरकार न सिर्फ पेपर मिलों को पुनर्जीवित करेगी बल्कि असम में कागज उत्पादन, बांस का उत्पादन भी बढ़ाएगी और देशभर में कागज के वितरण की प्रक्रिया को तेज करेगी।

द वायर से साभार, संपादित

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