अगस्त क्रांति दिवस पर जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूरों, किसानों, आशाओं ने भरी हुंकार

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कारपोरेट के हित में मजदूरों-किसानों पर हमले बंद करो!

9 अगस्त (अगस्त क्रांति दिवस) की 79वीं वर्षगांठ पर केंद्र व राज्य सरकारों की मज़दूर व किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ देशभर में अलग-अलग जगहों पर बड़ी संख्या में मेहनतकश मज़दूर-किसान सड़कों पर उतरे।

मज़दूरों ने ‘भारत बचाओ दिवस’ मनाया तो किसानों ने भी “मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट भारत छोड़ो” का नारा देते हुए इस में बड़ी संख्या में शामिल हुए। उत्तराखंड में आशा वर्कर्स हड़ताल पर रहीं तो रुद्रपुर में मजदूरों ने संकल्प दिवस मनाया।

विरोध प्रदर्शन में संयुक्त किसान मोर्चा, संयुक्त रूप से दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, श्रमिक संयुक्त मोर्चा के साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों की कर्मचारी यूनियनें और फ़ेडरेशनें और स्कीम वर्कर्स (आशा, आंगनबाड़ी, मिड डे मील) के साथ ही छात्रों ने भी मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हल्ला बोला।

9 अगस्त के दिन 1942 में अंग्रेज़ों के खिलाफ ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी। इसी ऐतिहासिक दिन को दमित मेहनतकश जनता ने संघर्ष का प्रतीक दिवस बनाया।

https://mehnatkash.in/2021/08/09/women-farmers-have-the-command-of-13th-day-of-kisan-sansad/

“मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट भारत छोड़ो”

दिल्ली में देश के संसद के समांतर चल रहे ऐतिहासिक किसान संसद के 13वें दिन जंतर-मंतर पर किसान संसद आयोजित हुआ। करीब 15 राज्यों की किसान महिलाओं ने 9 अगस्त 2021 को ऐतिहासिक बनाया। 200 महिला किसान सांसदों ने मोदी सरकार के ख़िलाफ़ हुंकार भरी और काले क़ानूनों को रद्द करने की माँग बुलंद की।

किसान संसद का नेतृत्व करते हुए इन महिला किसानों ने 9 अगस्त 1942 के नारे ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के तर्ज पर ‘मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट देश छोड़ो’ के नारे के साथ मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया।

‘भारत बचाओ दिवस’

मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड, निजीकरण, महँगाई, छँटनी-बंदी आदि के खिलाफ दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर देश के विभिन्न हिस्सों में ‘भारत बचाओ दिवस’ के रूप में मनाया गया।

इस दौरान बिहार, केरल, बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर हिमाचल प्रदेश व झारखंड सहित पुरे देश में सैकड़ो हज़ारों मज़दूरों व किसानों ने अपने कार्यस्थलों, ब्लॉक व जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार की मज़दूर व किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किए।

इसी कड़ी में केंद्रीय ट्रेड यूनियन के राष्ट्रीय नेता और छात्र संगठन एसएफआई, नौजवान संगठन डीवाईएफआई सहित दिल्ली विश्विद्द्यालय के शिक्षक दिल्ली के मंडी हाउस पर एकत्रित हुए। ये सभी वहां से संसद मार्च करना चाहते थे परन्तु पुलिस ने इन्हे मंडी हाउस से आगे बढ़ने नहीं दिया। जिसके बाद इन्होने अपनी जनसभा मंडी हाउस पर की।  

श्रमिक संयुक्त मोर्चा द्वारा संकल्प सभा और ज्ञापन

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। बारिश के बीच स्थानीय शुक्ला पार्क में श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले सिडकुल पंतनगर और सितारगंज की विभिन्न यूनियनों ने संकल्प सभा की और सिडकुल की श्रमिक समस्याओं के संबंध में 15 सूत्री ज्ञापन श्रम प्रवर्तन अधिकारी को दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत दिल्ली में 9 साल की दलित बच्ची के साथ रेप और हत्या के विरोध में 2 मिनट का मौन रख किया गया।  सभा में वक्ताओं ने अगस्त क्रांति के शहीदों को याद किया और कहा कि उन वीर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को देश से भगाने में अंतिम जंग लड़ी थी।

वक्ताओं ने कहा कि आज आजादी से हासिल सारे हक को मोदी सरकार द्वारा छीने जा रहे हैं, सारे श्रम कानूनों को खत्म करके मालिकों के हित में चार लेबर कोड बनाया जा रहा है, किसान विरोधी कृषि बिल लाए गए हैं, रेल, बैंक, बीमा, बिजली सबका निजीकरण किया जा रहा है।

ऐसे में एक नई आजादी का जंग लड़ने की जरूरत है। इसीलिए दिल्ली में देश के संसद के समांतर चल रहे किसान संसद में मोदी गद्दी छोड़ो कारपोरेट भारत छोड़ो का नारा भी दिया गया है।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत रैली निकालकर श्रम भवन में ज्ञापन देना था, लेकिन श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने शुक्ला पार्क में स्वयं पहुंचकर ज्ञापन को लिया। यूनियन नेताओं ने स्पष्ट तौर पर यह चेतावनी दी है कि यदि मौजूदा श्रमिक समस्याओं का समाधान श्रम विभाग व प्रशासन द्वारा नहीं किया जाता है तो मजदूर एक बड़े आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरेंगे।

उत्तराखंड में आशा वर्कर्स के हड़ताल, सरकार ने बुलाई वार्ता

उत्तराखण्ड के विभिन्न शहरों में ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आशाओं का यह आंदोलन सोमवार को आठवें दिन भी जारी रहा। भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के मौके पर दिल्ली आशा कामगार यूनियन से जुड़ी दिल्ली की आशा वर्कर्स ने भी उत्तराखंड में हड़ताल कर रही आशाओं का समर्थन किया था।

asha workers boycott work sitarganj - नहीं थम रहा रहा आशा वर्कर्स का  गुस्सा, दूसरे दिन भी कार्य बहिष्कार कर कहीं ये बातें

मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिए जाने सहित बारह सूत्रीय मांगों को लेकर चल रही आशाओं की राज्यव्यापी हड़ताल सरकार ने सुध लेते हुए उन्हें वार्ता के लिए बुला लिया है।

आशा नेताओं का कहना है कि, कोरोना की तीसरी लहर की चर्चा के बीच सरकार को चाहिए कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करे और इस स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ आशाओं के श्रम का सम्मान करते हुए उनकी बात सुने।

अगर इस बार भी सरकार ने आशा वर्कर्स की जायज मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो इस बार इसके खिलाफ पूरे राज्य की आशाएँ एक साथ इस बार आरपार की लड़ाई लड़ने को मजबूर होंगी। राज्य के मुख्यमंत्री तत्काल आशाओं की मासिक वेतन की मांग को पूरा करें अन्यथा हड़ताल जारी रहेगी।

संयुक्त ट्रेंड यूनियंस व किसान आंदोलन एकजुटता मंच का प्रदर्शन

यूपी : किसानों-मजदूरों ने किया धरना प्रदर्शन, मनाया भारत बचाओ दिवस

इलाहाबाद संयुक्त ट्रेंड यूनियंस व किसान आंदोलन एकजुटता मंच ने आज ऐतिहासिक 9 अगस्त 1942 के अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन दिवस पर संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया। आंदोलनकारियों ने शांतिपूर्ण तरीके से पत्थर गिरजाघर सिविल लाइंस पर धरना प्रदर्शन किया। इसके बाद इलाहाबाद के जिलाधिकारी के माध्यम से देस के राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

हरियाणा में प्रदर्शन

हरियाणा में किसान-मज़दूरों ने रोहतक, जींद, करनाल सहित कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया।  इस दौरान डीजल -पैट्रोल  और रसोई जैसे के बढ़ते दामों और बेतहशा बढ़ती महंगाई को लेकर केंद्र और राज्यों सरकार पर हमला बोला।  हरियाणा राज्य देश बीते आठ महीनो से चल रहे किसान आंदोलन का भी गढ़ रहा है।  ऐसे बड़ी संख्या में किसान भी सड़कों पर उतरे थे।  हरियाणा के स्कीम वर्कर भी सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगते हुए इस आंदोलन में शामिल हुए।