कोलकाता : सेल की आरएमडी बंदी का फरमान, 30 जून से कर्मियों की हड़ताल

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मोदी सरकार का प्रतिशोध या निजीकरण; गाज श्रमिकों पर

कोरोना संकट और पाबंदियों के बीच मोदी सरकार ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) के कोलकाता स्थित कच्चा माल विभाग (आरएमडी) को बंद करने का फरमान सुन दिया है। बंगाल चुनाव के बाद आए इस फैसले के खिलाफ श्रमिकों का विरोध फूट पड़ा है। कर्मचारी 30 जून से बेमियादी हड़ताल पर जा रहे हैं।

सेल की यह इकाई कोलकाता में स्थित है और पूर्वी भारत के उन तमाम स्टील कारखानों को कच्चा लोहा सप्लाई करती है जो सेल के तहत काम करते हैं।

सेल बोर्ड द्वारा राज्य सरकार से क़ानूनन बगैर अनुमति लिए तथा कर्मचारियों को वाजिब समय दिए बगैर 1 जुलाई से स्थानांतरण की कार्यवाही लागू करने का आदेश दे दिया गया। स्थायी कर्मचारियों से कहा गया है कि या तो वे बोकारो या फिर राउरकेला के नए कार्यालय पर रिपोर्ट करें।

दरअसल 12 जून से ही मीडिया में खबरें आने लगी थीं कि सेल के बोर्ड की बैठक में निर्णय ले लिया गया कि आरएमडी को बंद कर दिया जाएगा। निर्णय के अनुसार इस इकाई का काम अब बोकारो और राउरकेला में होगा। कारण बताया जा रहा है कि खदानों के पास इनके रहने से सहूलित होगी।

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बंदी अवैध, नया लेबर कोड करेगा आसान

कोलकाता के आरएमडी मुख्यालय में 166 स्थायी कर्मचारी हैं, जिनमें 75 एक्ज़ीक्यूटिव स्टाफ, 31 गैर-एक्ज़ीक्यूटिव कर्मचारी और 60 ठेके पर काम कर रहे कर्मचारी हैं। हालांकि अभी यहाँ 100 से अधिक स्थायी कर्मचारी होने के कारण सेल को औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत राज्य सरकार से अनुमति लेना जरूरी है।

लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अनुमति देना मुश्किल है। केंद्र कोशिश करेगा कि किसी और षडयंत्र के जरिये कर्मचारियों की संख्या में कटौती करे या नया लेबर कोड लागू होने तक प्रतीक्षा करे जिसमें बंदी के लिए 300 से कम श्रमिक संख्या वाले उद्योगों को अनुमति की बाध्यता से मुक्त किया गया है।

Corona Crisis के बीच SAIL Kolkata Division Headquarters कभी भी हो सकता है  बंद | वनइंडिया हिंदी - video Dailymotion

कर्मचारियों में फूटा गुस्सा

इस कार्यवाही के विरुद्ध श्रमिकों का विरोध फूट पड़ा है। कर्मचारी नेताओं ने बगैर इजाजत बंदी को गैर क़ानूनी बताया है। स्थानीय नेताओं का यह भी कहना है कि राज्य में भाजपा की हार के बाद यह प्रतिशोधात्मक कार्यवाही है।

सेल और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड आरआईएनएल के ट्रेड यूनियनों ने तय किया है कि वे 30 जून को कोलकाता-स्थित आरएमडी के बंद होने के विरुद्ध हड़ताल पर जाएंगे। उधर अन्य ट्रेड यूनियनें भी समर्थन दे रही हैं। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस से लेकर अन्य विपक्षी दल भी समर्थन में हैं। यानी बंगाल में एक बड़े आंदोलन की भूमि तैयार है।

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सेल भी मोदी सरकार के देश बेचो अभियान का हिस्सा

मोदी सरकार द्वारा सरकारी-सार्वजनिक कंपनियों को बेचने के अभियान के तहत बीपीसीएल और एयर इंडिया के साथ सेल की दो इकाइयों – विशाखापटनम और सेलम की रणनीतिक बिक्री का प्रयास काफी आगे बढ़ चुका है और इसकी घोषणा कुछ ही हफ्तों में अपेक्षित है।

उल्लेखनीय है कि आम बजट में वित्त मंत्री ने सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को विनिवेशिकारण की जो सूची जारी की थी उसमें सेल का भी नाम था। नीति आयोग की नीजीकरण सूची में भी सेल का नाम शामिल है। इसके तहत सेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को अलग-अलग इस्पात संयंत्र, इस्पात कन्स्ट्रक्शन वर्क्स और लौह अयस्क खानों तथा प्रसंस्करण इकाइयों में बांटकर उनकी नीलामी कर दी जाएगी।

इस प्रकार जनता के खून-पसीने से खड़ी अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के तहत सेल की एक-एक इकाई को भी कौड़ी के दाम बेचने की तैयारी पूरी है।

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पश्चिम बंगाल सरकार ने बताया प्रतिशोधपूर्ण कार्यवाही

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने पूर्व में कंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपना विरोध व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा था। 16 जून को अमित मित्रा ने दोबारा इस्पात मंत्री को एक पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह पश्चिम बंगाल में ममता सरकार के विरुद्ध बदले की कार्यवाही कर रही है।

उन्होंने कहा कि टी बोर्ड के मुख्यालय को हटाना; हिंदुस्तान स्टील कन्स्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के कॉरपोरेट ऑफिस, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के सेंट्रल अकाउन्ट्स हब, युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का केंद्रीय कार्यालय और कोल इण्डिया का सहायक या सब्सिडियरी ऑफिस को 2016 के बाद से कोलकाता से बाहर ले जाना आदि प्रतिशोधपूर्ण कार्यवाही है।

अपने पिछले पत्र में अमित मित्रा ने इन रिपोर्टो पर हैरानी जताई थी कि टी बोर्ड, दामोदर वैली कॉर्पोरेशन ऑफिस, नेशनल इंश्योरेंस कम्पनी ऑफिस और कोलकाता स्टॉक एक्सचेंज ऑफिस को हटाया जा रहा था।

उन्होंने कहा कि सेल के आरएमडी को कोलकाता से स्थानांतरित करने से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर और बर्नपुर इस्पात संयंत्र दोनों ही प्रभावित होंगे क्योंकि वे इसी पर पूरी तरह निर्भर हैं। ये दोनों स्टील प्लांट मुनाफे पर चल रहे हैं और उनमें 14,400 श्रमिक कार्यरत हैं। यदि आरएमडी से लौह अयस्क आना बंद हो जाएगा, इन संयत्रों का काम बुरी तरह प्रभावित होगा।

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केन्द्रीय मंत्री की कठदलीली

जवाब में केंद्रीय इस्पात मंत्री ने कहा कि दुर्गापुर और बर्नपुर को लौह अयस्क के लिए आरएमडी द्वारा सप्लाई पर निर्भर रहने के बजाय स्वयं अपना प्रबंध करना चाहिये।

लेकिन इन दोनों इस्पात संयंत्रों के पास कोई आबद्ध यानी कैप्टिव लौह अयस्क खदान हैं ही नहीं और केंद्र ही इस्पात व विद्युत संयंत्रों को कैप्टिव खदान आवंटित करता है। पत्र से ऐसा लगता है कि केंद्र की भाजपा सरकार बदले की भावना से प्रेरित है!

बहरहाल सेल की आरएमडी बंदी का फैसला मोदी सरकार का पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ प्रतिशोध हो या निजीकरण की जारी प्रक्रिया का हिस्सा, कुलमिलकर इसकी गाज श्रमिकों पर ही गिर रही है!