दमन : वोल्टास मज़दूरों को पुलिस ने फिर जबरदस्ती उठाने का किया प्रयास

प्रबंधन की सह पर पुलिस दमन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा ने की निंदा
पंतनगर (उत्तराखंड)। वोल्टास मज़दूरों के आंदोलन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा की भागीदारी और अलग-अलग यूनियनों द्वारा जारी क्रमिक अनशन से प्रबंधन व प्रशासन में खलबली है और मज़दूरों को न्याय देने की जगह वह दमन पर उतारू है। आज शाम हमलावर तरीके से पुलिस ने फिर मज़दूरों को उठाने का प्रयास किया। मोर्चा ने इसकी कड़ी निंदा की है।
उल्लेखनीय है कि वोल्टास लिमिटेड पंतनगर के धरना स्थल पर पुलिस और प्रशासन का दबाव लगातार बढ़ रहा है। पुलिस ने कई बार धरना उठाने का प्रयास किया। श्रमिक संयुक्त मोर्चा व यूनियन नेताओं पर मुक़दमें दर्ज किए, लेकिन आंदोलन जारी रहा।
आज मंगलवार की देर शाम सिडकुल पुलिस वोल्टास साथियों के धरना स्थल पर पहुंची। उस वक्त वहां पर केवल 2 मज़दूर राकेश जोशी और अतिक खान मौजूद थे। अतिक रोजा के कारण घर जाने वाले थे। जबकि आज समर्थन में बैठे बीसीएच के साथी क्रमिक अनशन समाप्त करके जा चुके थे, अन्य साथी भी उस व्यक्त वहाँ मौजूद नहीं थे।
ऐसे समय में पुलिस ने पहुंचकर कोरोना का हवाला देकर दोनों मजदूर साथियों को घसीटा और जबरदस्ती उठाने की कोशिश की और गाड़ी में डालने लगे। पुलिस ने धरना स्थल की रस्सियां भी तोड़ दीं। पुलिस वाले अधिक थे, लेकिन दो मज़दूरों ने मजबूती से मुकाबला किया। मज़दूरों को चोटें भी आईं। अंत में 1 घंटे की चेतावनी देकर पुलिस लौट गई।
मज़दूर नेताओं पर मुक़दमा
इससे पूर्व जिला प्रशासन जारी मज़दूर आंदोलनों को कुचलने के लिए कोविड-19 को अवसर बनाते हुए श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश चंद तिवारी, महासचिव चंद्र मोहन लखेडा, वोल्टास इम्पलाइज यूनियन के महामंत्री दिनेश चंद्र पंत और भगवती-माइक्रोमैक्स के श्रमिक नेता नंदन सिंह के ऊपर शांति भंग की कथित आशंका के आधार पर धारा 107/116 का मुकदमा दर्ज कर दिया है!
पंतनगर पुलिस चौकी द्वारा मोर्चा प्रतिनिधियों को बुलाकर यह नोटिस थमाई गई। इसके अलावा वोल्टास लिमिटेड के जो श्रमिक पिछले दिनों हड़ताल करके कंपनी के अंदर बैठे थे, उनके लिए भी पुलिस नोटिस लेकर पहुंची। इस बीच कोरोना/लॉकडाउन के कारण जिला प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा है।
प्रबंधन की सह पर कार्यवाही, मज़दूरों में रोष
पुलिस प्रशासन की दमनकारी नीति के खिलाफ मज़दूरों में बेहद रोष व्याप्त है। मोर्चा प्रतिनिधियों का कहना है कि प्रशासन पूरी तरीके से कंपनियों की सिडकुल वेलफेयर एसोसिएशन के दबाव में है और उसी के निर्देश पर वह काम कर रही है।
नेताओं ने कहा कि जो प्रशासन गुजरात अंबुजा सितारगंज के प्रबंधन पर पीएफ और ईएसआई के घोटाले का कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बावजूद गिरफ्तार नहीं करता है, जो प्रशासन कोर्ट के आदेश के बावजूद भगवती माइक्रोमैक्स के श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं करा रहा है, जो प्रशासन उप श्रम आयुक्त द्वारा वोल्टास मजदूरों की गेटबंदी को अवैध करार देने के बावजूद कार्यबहाली नहीं करा रहा है, उसी प्रशासन ने शांति भंग की आशंका का हवाला देकर मुकदमा दर्ज कर दिया। और वोल्टास मज़दूरों को रात में घसीटने पहुँच गई।
गुजरात अंबुजा प्रबंधन की गिरफ़्तारी क्यों नहीं?
मज़दूरों ने इसका प्रतिवाद किया और कहा कि कोर्ट के आदेश पर पीएफ व ईएसआई घोटाले का मुकदमा दर्ज होने के बावजूद गुजरात अंबुजा के प्रबंधन को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है, कोर्ट के आदेश के बावजूद माइक्रोमैक्स मज़दूरों की बहाली नहीं करा रही। जबकि शांतिपूर्ण धरने पर बैठे मज़दूरों को परेशान कर रही है।
वोल्टास मज़दूरों के संघर्ष में स्थानीय यूनियनों का अनशन जारी
उल्लेखनीय है कि वोल्टास में माँगपत्र के विवाद के दौरान यूनियन अध्यक्ष व महामंत्री सहित 9 मज़दूर पिछले डेढ़ साल से गैर क़ानूनी गेटबंदी के शिकार हैं और लगातार आन्दोलन जारी है। प्रबंधन की हठधर्मिता और श्रम विभाग व प्रशासन की चुप्पी से समाधान ना निकलने पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा के निर्णय से प्रतिदिन इलाके की एक यूनियन के साथी क्रमिक अनशन पर बैठ रहे हैं।
समर्थन में 22 अप्रैल से जारी क्रमिक अनशन पर अबतक राने मद्रास, नील ऑटो (जेबीएम), नेस्ले कर्मचारी संगठन, नेस्ले मज़दूर संघ, बजाज मोटर्स, यजाकी, रॉकेट रिद्धि सिद्धि, कारोलीय लाइटिंग, डेल्टा, एडीएन्ट, ऑटो लाइन और बीसीएच के साथी बैठ चुके हैं।