किसान पंचायत में उमड़ा सैलाब, आंदोलन को मंज़िल तक पहुंचाने का लिया संकल्प

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शहीद नवरीत सिंह सहित शहीद हुए 300 किसानों को दी श्रद्धांजलि

रामनगर (उत्तराखंड)। संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वाधान में रविवार को में आयोजित “किसान पंचायत” में उत्तराखंड व उप्र. के कई इलाकों से इकट्ठा हुए हज़ारों किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा किसानों पर थोपे गये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को मंज़िल तक पहुंचाने का संकल्प लेते हुए अपनी एकजुटता का एहसास कराया।

नैनीताल जिले के पैंठपड़ाव (रामनगर) में मुनीष कुमार के संचालन में आयोजित जनसभा के दौरान दूर-दूर से आये वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर किसान आंदोलन की अनदेखी करने की तोहमत मढ़ते हुए कहा कि इस शताब्दी का यह पहला आंदोलन है जिस पर विश्वभर के छात्र शोध कर रहें हैं।

भविष्य में यह आंदोलन देश के स्वतंत्रता आंदोलन की तरह इतिहास में दर्ज होगा, जिसे पूरी दुनिया पढ़ेगी। लेकिन केंद्र सरकार इस महत्त्वपूर्ण आंदोलन को किसानों की ताक़त को जाने बगैर कुचलने के मंसूबे बना रही है, जिसका अंजाम सरकार के लिए ठीक नहीं होगा।

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वक्ताओं ने कहा कि बीस सालों में उत्तराखंड के साथ गांव खेती बर्बाद होने के कारण खाली हो चुके हैं। नये कृषि कानून के चलते पूरे देश की यही स्थिति हो जायेगी। सरकार को पूरी तरह से असंवेदनशील बताते हुए कहा कि भोजन जैसी आवश्यक चीज को यह सरकार जनता के लिए जरूरी नहीं मानती, जिसके चलते खाद्य पदार्थों को इसने आवश्यक वस्तु अधिनियम की सूची से बाहर कर दिया है।

किसान आंदोलन को बदनाम करने की कोशिशों की मुखालफत करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज़ादी के आंदोलन में कोई हिस्सेदारी न करने दोरंगे लोग तिरंगे के अपमान का झूठा आरोप देश के अन्नदाता पर लगाकर उसका अपनाम करने पर उतारू हैं।

वक्ताओं ने केंद्र की मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करते हुए कहा कि खुद 35 साल तक भीख मांगकर गुजारा करने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूंजीपति मित्रों के लाभ के लिए पूरे देश की जनता को भीख मांगने की स्थिति में ले जाना चाहते हैं। जिसे देश की किसान बिरादरी कभी नहीं होने देगी।

वक्ताओं ने वन ग्राम व गोट खत्ते वासियों को जमीन पर मालिकाना हक दिए जाने  वो किसानों, के, कृषि ऋण (एनपीए) को माफ किए जाने की मांग को भी प्रमुखता से उठाया।

कार्यक्रम में 26 जनवरी की दिल्ली किसान रैली में शहीद हुए नवरीत सिंह व दिल्ली के बॉर्डर पर शहीद हुए 300 किसानों को भी श्रद्धांजलि दी गयी। शहीद नवनीत के पिता साहिब सिंह को किसान पंचायत में विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था।

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जनसभा को असित चौधरी, आशीष मित्तल, जगतार सिंह बाजवा, तेजिंदर सिंह विर्क, दीवान कटारिया, संतोष कुमार, सुखविंदर सिंह, दर्शन सिंह, तरुण जोशी, पीसी तिवारी, ललिता रावत, जोगेन्द्र सिंह, चौधरी बलजीत सिंह, इंद्रजीत सिंह, सतपाल सिंह, अवतार सिंह मोहम्मद शफी, इस्लाम हुसैन, दिगम्बर सिंह आदि दर्जनों किसान नेताओं ने संबोधित किया।

कार्यक्रम में सितारगंज, खटीमा, नानकमत्ता, काशीपुर, बाजपुर, अल्मोड़ा, सल्ट,  रामगढ़, धानाचूली, ढोलीगांव, उप्र के कालागढ़, ठाकुरद्वारा, बिलासपुर, बरेली सहित कई स्थानों से आये लोगों ने हिस्सा लिया।