त्रिपुरा : नौकरी से निकाले गए शिक्षक 72 घण्टे के धरना पर

मुख्यमंत्री से पूछा- कहाँ गया तेरा स्थाई नौकरी का वायदा
त्रिपुरा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद नौकरी से हटाए गए 10,323 शिक्षक मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव के स्थाई नौकरी देने के वादे को पूरा करने के लिए उन पर दबाव बनाने के वास्ते सोमवार को अपने परिवार के सदस्यों के साथ 72 घंटे के लिए धरने पर बैठ गए। मुख्यमंत्री ने दिसंबर के पहले सप्ताह तक उन्हें वैकल्पिक नौकरी प्रदान करने का आश्वासन दिया था, लेकिन पिछले तीन महीनों में कुछ भी नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आज से शुरू हुआ प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रह सकता है।
राज्य के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ों की संख्या में शिक्षक और उनके परिवार यहां सिटी सेंटर में इकट्ठा हुए और नौकरी की मांग करते हुए नारे लगाए। वे स्थानीय भाषा में नारे लगा रहे थे जिसका अर्थ है, “आपने हमसे चावल छीन लिए हैं, अब हमें जहर दे दीजिए। हम मरना चाहते हैं।”
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने 10,323 सरकारी शिक्षकों की नौकरी को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि उन्होंने गलत तरीके से नियुक्ति हासिल की है। बाद में, उच्चतम न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और सभी शिक्षक इस साल अप्रैल से स्थाई रूप से बेरोजगार हो गए। इस बीच, इनमें से 1700 शिक्षकों को प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से विभिन्न विभागों में नौकरी मिल गई है।
न्यायालय के फैसले के कारण बेरोजगार हुए शिक्षकों में अधिकतर की सरकारी नौकरी की उम्र निकल चुक थी और निराशा में उनमें से कई ने आत्महत्या कर ली। उनमें से कुछ को दिल का दौरा भी पड़ा और मनोवैज्ञानिक आघात का सामना करना पड़ा। पीड़ति शिक्षकों के संघ ने मीडिया को बताया कि पिछले कुछ महीनों में 66 लोगों की मौत हुई है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें सितंबर में आश्वासन दिया था कि सरकार नवंबर तक इन शिक्षकों के लिए कुछ वैकल्पिक व्यवस्था करेगी, लेकिन अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई थी, जिसके कारण उन्हें अपनी आजीविका के लिए यह आंदोलन करने पर बाध्य होना पड़ा।