कर्नाटक: एप्पल में लगातार वेतन कटौती, परेशान मज़दूरों ने की बगावत

आईफोन निर्माता कम्पनी में दमन का सिलसिला तेज
लॉकडाउन के बाद से लगातार सैलरी काटी जा रही थी और काम के घंटे बढ़ाए जा रहे थे, कंपनी द्वारा टाइम पर सैलरी भी नहीं दी जा रही थी।
12 दिसंबर की सुबह कर्नाटक में बेंगलुरु से 60 किलोमीटर दूर कोलार जिले के नरसापुरा औद्योगिक क्षेत्र में स्थित आईफोन के प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी के कर्मचारियों ने परिसर में कारों को पलट दिया और फर्नीचर को क्षतिग्रस्त किया, प्लांट में जमकर तोड़फोड़ की और एक हिस्से को आग लगा दिया। इस कंपनी का नाम विस्ट्रॉन कॉर्पोरेशन है जिसका मुख्यालय ताइवान में है। ये कंपनी ऐपल, लेनोवो, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के लिए आईटी उत्पाद बनाती है।
सूत्रों के मुताबिक, कर्मचारी इस बात से नाराज थे कि उन्हें जॉइनिंग के समय जिस वेतन का दावा किया गया था, वह नहीं दिया जा रहा है। कंपनी के एक कर्मचारी ने बताया कि एक इंजिनियरिंग स्नातक को 21 हजार रुपये प्रतिमाह देने का वादा किया गया था लेकिन उसका वेतन अचानक कम करके 16000 रुपये प्रतिमाह कर दिया गया। हाल के महीनों में उसकी सैलरी और कम करके 12 हजार रुपये कर दी गई। वहीं गैर-इंजिनियरिंग ग्रेजुएट्स की सैलरी भी 8 हजार रुपये तक कम की गई है।
श्रमिकों ने बताया कि हमारे खातों में जमा की जा रही वेतन राशि लगातर कम होती जा रही है। कई कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें अपने सैलरी अकाउंट में 500 रुपये से भी कम प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा उन्हें 12- 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। कर्मचारी पिछले 4 महीने से प्रबंधन के समक्ष वेतन कटौती की समस्या को रख रहे थे मगर प्रबंधन ने कान बंद कर रखे थे। शुक्रवार की रात कर्मचारियों ने अपनी सैलरी के बारे में चर्चा की थी। शनिवार को रात्रि पाली के बाद घर जाते वक्त सुबह 5:00 बजे करीब 2000 मजदूर उग्र हो गए और प्लांट के अंदर और बाहर तोड़फोड़ की।
एप्पल के प्रोडक्ट्स बनाने वाले 43 एकड़ में फैले इस प्लांट में करीब 13,500 कर्मचारी काम करते हैं। प्रत्येक शिफ्ट में करीब 3000 लोग काम करते हैं। प्लांट में 1343 लोग ही परमानेंट हैं और ज्यादातर लोग ठेके पर काम करते हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि लोकल लोगों को थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरी दी गई है जबकि उच्च पदों पर बाहर के लोगों की नियुक्ति की गई है और उसके अलावा वेतन भी टाइम पर नहीं दिया जा रहा है।
यूनियन प्रतिनिधियों ने कहा कि प्लांट के अंदर प्रबंधन अनुचित श्रम अभ्यास में लिप्त थी। प्लांट के अंदर स्थाई प्रकृति के काम पर स्थाई श्रमिक की नियुक्ति के नियम का उल्लंघन करते हुए भारी संख्या में ठेका श्रमिकों से काम करवाया जा रहा था। प्लांट में 6 कांट्रेक्टर काम करते थे जिनके द्वारा ठेका श्रमिकों के वेतन भुगतान में काफ़ी गड़बड़ी की गई है। कर्नाटक लेबर डिपार्टमेंट की तरफ से मामले की जांच को लेकर जो रिपोर्ट पेश की गई है उसमें वेस्टर्न प्रबंधन की तरफ से अनुचित श्रम अभ्यास में लिप्त होने के काफी सबूत मिले हैं।
फिलहाल एप्पल ने कहा है कि इस घटना के बाद उसे 450 करोड रुपए का नुकसान हुआ है। वह वेतन भुगतान में कटौती की वजह से इस प्लांट में हुए तोड़फोड़ के इस मामले की जांच करेगी। जांच के बाद पता चला कि वास्तविक नुकसान 52 करोड़ रुपए का हुआ है।
ताजा अपडेट मिलने तक इस मामले को लेकर पुलिस ने 150 श्रमिकों को गिरफ्तार किया था और 5000 अन्य श्रमिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
समय-समय पर मजदूरों की ओर से इस तरह का उग्र प्रतिरोध देखने को मिलता है जो इस बात का सबूत है कि मौजूदा व्यवस्था में मुनाफे के नाम पर देसी विदेशी पूंजीपतियों और मल्टीनेशनल कंपनियों द्वारा देश की स्किल्ड मेहनतकश आबादी का गहन शोषण हो रहा है जिसे स्किल इंडिया, आत्मनिर्भर इंडिया और श्रम कानूनों में सुधार का नाम दिया जा रहा है।