किसान आन्दोलन : 8 दिसंबर को भारत बंद, 5 को पुतला दहन

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एक ही माँग- किसान विरोधी तीनों कानून वापस हों!

मोदी सरकार के कॉरपोरेटपरस्त तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का संघर्ष जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है। जहाँ केंद्र सरकार वार्ता के नाम पर किसानों को भरमाने का काम कर रही है, वहीं किसान संगठन इन काले कानूनों को रद्द करवाने पर दृढ हैं। किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। साथ ही 5 दिसंबर को देशभर में मोदी सरकार का पुतला दहन होगा।

ज्ञात हो कि 8 दिसंबर से देशभर के ट्रक ट्रांसपोर्टरों ने और औटो टैक्सी-कैब संचालकों ने भी संघर्षरत किसानों के समर्थन में हड़ताल का आह्वान किया है।

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कृषि कानूनों को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार के साथ हुई बातचीत बेनतीजा रहने के बाद के बाद शुक्रवार 4 दिसंबर को एक बार फिर किसान संगठनों की बैठक हुई।

बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्च ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि  हमने मीटिंग में तय किया है कि तीनों कानून को रद्द करे बिना नहीं मानेंगे। उन्होंने बताया कि सरकार कुछ संशोधन करने को तैयार है लेकिन हमने सरकार से साफ कहा है कि सरकार तीनों कानून वापस ले।

बैठक के तीन अहम फैसले

सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक बाद किसान नेता हरिंदर पाल लखोवाल ने कहा कि हमने साफ़ कहा है कि तीनों कानून वापस ले। सरकार बिजली कानून और पराली जलाने को लेकर जुर्माना पर मानती दिख रही है। लेकिन लड़ाई आर पार की है हम पीछे हटने वाले नहीं हैं।

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किसानों ने 8 दिसंबर (मंगलवार) को पूरे भारत में बंद का आह्वान किया है। इसके अलावा 8 दिसंबर को पूरे देश के टोल प्लाजा फ्री किया जाएगा और दिल्ली के बचे कुचे रास्ते भी बंद होंगे। साथ ही पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत 5 दिसंबर को पूरे देश में पीएम मोदी के पुलते जलाए जाएँगे। 

किसान नेता अक्षय कंवर ने बताया कि आज की बैठक में  तीन निर्णय हुए, पहला– कल जब सरकार से बात होगी तो साफ कर दिया जाएगा कि तीनों कानूनों को वापस लिए जाने के अलावा कोई बातचीत नहीं होगी। दूसरा– शनिवार को देशभर में किसान संगठन पीएम मोदी के पुतले फूकेंगे। और तीसरा– 8 दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा, टोल प्लाजा को रोका जाएगा।

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ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने भी कहा कि सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़ेगा और तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा।

हर प्रान्त में आन्दोलन जारी

किसान नेताओं ने कहा कि आज तमिलनाडु में और कर्नाटक में हमारा प्रदर्शन था। अब इन किसानों को भी दिल्ली आने को बोल दिया। उन्होंने कहा कि पूरे देश के किसानों को दिल्ली आने का आह्वान किया। लड़ाई आर पार की होगी, पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता।

किसान नेताओं ने कहा, कर्नाटक में 7 दिसम्बर से 15 दिसम्बर तक विधानसभा के बाहर किसानों का धरना होगा। बंगाल में रास्ता रोको आंदोलन होगा। किसी सरकार में हिम्मत नहीं कि इस आंदोलन के आगे टिक जाए।

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दिल्ली चलो आन्दोलन बन रहा जनांदोलन

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के कॉरपोरेट परस्त कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली चलो नाम से शुरू किया हुआ किसान आंदोलन अब देशव्यापी आंदोलन बन चुका है। पिछले नौ दिनों से लाखों की संख्या में पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों के किसान दिल्ली की अलग-अलग राज्यों से लगने वाली सीमाओं पर डटे हुए हैं।

यहाँ जमा किसानों और प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। साथ ही देश की मेहनतकश आवाम के अन्य तबकों, औद्योगिक मज़दूरों, छात्रों, नौजवानों और आम नागरिकों का समर्थन भी तेजी से बढ़ रहा है।