कृषि कानूनों के खिलाफ़ औद्योगिक मज़दूरों का संघर्ष होगा तेज

संघर्ष के समर्थन में अभियान, 13 दिसंबर को लुधियाना में कन्वेंशन
लुधियाना (पंजाब)। औद्योगिक मज़दूरों के संगठनों कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब व टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब द्वारा कृषि कानूनों के खिलाफ़ और जारी संघर्ष के समर्थन में अभियान तेज़ करने का फैसला किया गया है। लुधियाना के मज़दूरों-मेहनतकशों में जागरूकता और लामबंदी मुहिम चलाई जाएगी। इस मुद्दे पर 13 दिसंबर को लुधियाना पर कन्वेंशन होगा।
टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया गया है कि आने वाले दिनों में लुधियाना के मज़दूरों-मेहनतकशों में इस संबंधी जागरूकता और लामबंदी मुहिम चलाई जाएगी। एक पर्चा भी जारी किया जाएगा। संगठनों ने इस मुद्दे पर 13 दिसंबर को नौजवान भारत सभा के साथ मिल कर मज़दूर पुस्तकालय, ताजपुर रोड, लुधियाना में कन्वेंशन करने का ऐलान भी किया है।
संगठनों ने नए कृषि कानूनों को सभी मज़दूरों, गरीब किसानों समेत समूची मेहनतकश आबादी के खिलाफ़ करार देते हुए केंद्र सरकार से माँग की है कि इन जनविरोधी कानूनों को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने यह भी कहा है कि इन कानूनों का देश की मज़दूर आबादी को ही सबसे अधिक नुक़सान है इसलिए मज़दूर वर्ग को भारत की फासीवादी मोदी हुकूमत के खिलाफ़ जारी इस संघर्ष में बढ़-चढ़कर शामिल होना चाहिए।
संगठनों का कहना है कि कृषि कानूनों से मोदी हुकूमत कार्पोरेट पूँजीपतियों की खुली सेवा कर रही है। इन कानूनों से कृषि उत्पादों की कालाबाजारी-जमाखोरी पहले से कहीं अधिक बढ़ेगी जिससे महंगाई बढ़ेगी। अनाज मंडियों, एफ.सी.आई., पनसप जैसे अदारों के लाखों मज़दूर बेरोजगार होंगे। सरकारी खरीद बंद होने से राशन की सार्वजनिक वितरण प्रणाली खत्म होगी। कृषि कानून राज्यों की खुदमुख्तयारी पर भी बड़ा हमला है।
कारखाना मज़दूर यूनियन और टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन ने दिल्ली समेत पूरे देश भर के मज़दूरों, नौजवानों, छात्रों और अन्य तबकों के संगठनों को दिल्ली की सरहदों पर जारी संघर्ष का डटकर समर्थन करने के लिए आगे आने का आह्वान किया है।
संगठनों का कहना है कि मोदी हुकूमत जनआवाज़ सुनने की जगह दमन का रवैया अपना रही है। 26 नवंबर को दिल्ली में शांतिपूर्ण रोष प्रदर्शन को नाकाम करने के लिए मोदी हुकूमत ने पहले हरियाणा सरकार के जरिए किसान नेताओं की नाजायज गिरफ्तारियाँ की, फिर हरियाणा-पंजाब बार्डर पर और अन्य अनेकों जगहों पर की गई सख्त नाकाबंदियों, जल तोपों, आँसू गैस, लाठीचार्ज आदि हथकंडों द्वारा किसान संगठनों को रोकने की कोशिश की और फिर दिल्ली बार्डर पर भारी संख्या में तैनात किए गए हथियारबंद बलों और नाकाबंदी के जरिए अंदर नहीं जाने दिया गया। इसके चलते लाखों किसानों, मज़दूरों, नौजवानों, स्त्रियों, बजुर्गों को ठंड में सड़कों पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना पड़ा है।
हालांकि मोदी हुकूमत बातचीत का पाखंड कर रही है लेकिन बीएसएफ को भी तैनात किया जाना, संघ परिवार द्वारा सोशल मीडिया पर जारी कुत्साप्रचार और मोदी का भाषण इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि फासीवादी मोदी हुकूमत अभी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है व और भी तीखे दमन का राह अपना सकती है।
मोदी हुकूमत के जनविरोधी कानूनों और जारी संघर्ष के प्रति अपनाए गए दमनकारी रवैये के चलते दिल्ली वासियों को भारी समस्याएँ आ रही हैं। लेकिन दिल्ली के मज़दूरों, नौजवानों-छात्रों व अन्य तबकों द्वारा बड़े स्तर पर संघर्षशील लोगों का डटकर साथ देना बेहद खुशी की बात है। उन्होंने यकीन व्यक्त किया है कि आने वाले दिनों में यह समर्थन नई शिखरें छुएगा।