सूरत केमिकल फैक्ट्री में भीषण आग के अगले दिन मिले 7 कंकाल; कई घायल, 8 की हालात नाजुक

मुनाफे की आंधी हवस लगातार मज़दूरों की ज़िंदगी लील रही है। सवाल यह है कि इतने खतरनाक केमिकल बनने वाली एथर इंडस्ट्रीज में सुरक्षा के कोई उचित प्रावधान क्यों नहीं थे?
डायमंड सिटी के नाम से मशहूर गुजरात के सूरत की केमिकल प्लांट एथर इंडस्ट्रीज लिमिटेड में 29 नवंबर की रात लगी आग के एक दिन बाद, 7 लोगों के शव बरामद हुए हैं। पुलिस ने गुरुवार की सुबह 7 कंकाल घटनास्थल से बरामद किए। खबर कर मुताबिक मृत पाए गए सात में से एक कंपनी का स्थाई श्रमिक था, जबकि बाकी छह श्रमिक ठेके पर काम कर रहे थे।
मेहनतकश में कल छपी खबर के अनुसार 29 नवंबर की रात करीब दो बजे सचिन इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एथर इंडस्ट्रीज लिमिटेड में एक बड़े टैंक में रखे केमिकल में रिसाव हुआ। जिसके चलते विस्फोट के बाद आग लग गई। उस वक्त रात्रि पाली में 100 से ज्यादा मजदूर कार्यरत थे।
ब्लास्ट इतना भयंकर था कि, फैक्ट्री की तीन मंजिला इमारत में आग लग गई और पूरी यूनिट को अपनी चपेट में ले लिया।
हादसे में 7 से 8 लोग लापता हो गए थे जिनके कंकाल अगले दिन मिले। जबकि 27 श्रमिक घायल हैं। 8 श्रमिकों की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। आग पर काबू पाने में करीब 9 से 10 घंटों का समय लगा। इस दौरान दमकल की 15 गाड़ियां लगातार आग को रोकने की कोशिश में जुटी हुई थी।
30 नवंबर की सुबह पुलिस की सर्च पार्टी को 7 लोगों के कंकाल मिले हैं। जिनकी पहचान दिव्येश पटेल (स्थाई श्रमिक), संतोष विश्वकर्मा, सनत कुमार मिश्रा, धर्मेंद्र कुमार, गणेश प्रसाद, सुनील कुमार और अभिषेक सिंह के रूप में हुई है। हादसे में घायल सभी लोगों का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है।
एथर इंडस्ट्रीज लिमिटेड का सीएमडी अश्विन देसाई फोर्ब्स मैग्जीन की लिस्ट में शामिल था। उसने 2013 में इस कंपनी की स्थापना की थी। इस कंपनी में मेथॉक्सीथाइल फिनाइल, मिथाइलबेंजॉइल क्लोराइड, थियोफीन-2-इथेनॉल जैसे केमिकल बनाए जाते हैं। एथर इंडस्ट्रीज लिमिटेड ऑर्थो टोलिल बेंजो नाइट्राइल, एन-ऑक्टाइल-डी-ग्लूकामाइन, डेल्टा-वेलेरोलैक्टोन, और बिफेन्थ्रिन अल्कोहल बनाने वाली भारत की एकमात्र केमिकल फैक्ट्री भी है।
मुनाफे की आंधी हवस लगातार मज़दूरों की ज़िंदगी लील रही है। सवाल यह है कि इतने खतरनाक केमिकल बनने वाली इस कंपनी में सुरक्षा के कोई उचित प्रावधान क्यों नहीं थे?
बता दें कि सूरत में इस तरह की ये कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले साल 2020 में भी यहां की एक केमिकल फैक्ट्री में ऐसा ही हादसा देखने को मिला था।