आंदोलन के 6 माह: क्यों नहीं मिल रहा है लुकास टीवीएस मज़दूरों को न्याय?

प्रबंधन की मनमानी, सरकार व अधिकारियों की निष्ठुरता; विकट ठंड के बाद भयानक गर्मी, तूफ़ानी बारिश, बार-बार जलमग्न होते धरना स्थल और कीड़े-मकौड़ों से जूझते हुए लुकास टीवीएस मज़दूरों का आंदोलन जारी है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। हक़ और न्याय के लिए संघर्षरत लुकास टीवीएस मजदूर संघ पंतनगर के मज़दूरों के संघर्ष के 180 दिन बीत गए, लेकिन शासन-प्रशासन, श्रम अधिकारी मालिकों के साथ मिलकर मज़दूरों के दमन पर उतारू हैं।
ज्ञात हो कि यूनियन बनाने पर प्रबंधन की प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाइयों, पूर्व समझौते के अनुपालन, मज़दूरों की कार्यबहाली, माँगपत्र पर समझौता, यूनियन की मान्यता आदि बुनियादी मांगों को लेकर लुकास टीवीएस के मज़दूर 26 अक्टूबर 2023 से लगातार धरना व अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हैं।
इस दौरान पुलिस-प्रशासन ने मज़दूरों को पहले कंपनी गेट पर बैठने नहीं दिया। मज़दूरों का धरना श्रम भवन पर चला तो पुलिस ने वहाँ से भी उठा दिया तो मज़दूर स्थानीय गांधी पार्क पर धरनारत रहे। फिर पुलिस के आला अधिकारियों ने लोक सभा चुनाव के दौरान आचार संहिता के बहाने समझौता कराने के आश्वासन के साथ धरना समाप्त करवा दिया था।
लेकिन इस बीच मज़दूरों को न्याय तो नहीं मिला, लेकिन श्रम विभाग ने पूरे विवाद को श्रम न्यायालय भेज दिया। वही दूसरी तरफ प्रबंधन ने आन्दोलनरत श्रमिकों को बर्खास्त कर दिया। अंततः मज़दूरों ने चुनावी प्रक्रिया के तीन माह के बाद 14 जून 2024 से पुनः लगातार धरनारत हैं।
विकट ठंड के बाद भयानक गर्मी, तूफ़ानी बारिश, कीड़े-मकौड़ों से जूझते, बार-बार जलमग्न होते धरना स्थल को ठीक करते हुए लुकास टीवीएस के मज़दूरों का जुझारू एकता के साथ आंदोलन जारी है।
उठा रहे हैं कई सवाल?
बीते समय में श्रमिक संयुक्त मोर्चा, ऊधम सिंह नगर के नेतृत्व में लगातार चले प्रदर्शनों के बीच आश्वासन मिलते रहे। एएलसी, डीएलसी, श्रमायुक्त उत्तराखंड, जिला प्रशासन की मध्यस्थता में वार्ताओं की खनापूर्ति चलती रही, लेकिन मज़दूरों को न्याय नहीं मिला। जो अधिकारी मज़दूरों का धरना बार-बार उठा देते हैं, वे अधिकारी लुकास टीवीएस के सक्षम प्रबंधन को वार्ता में उपस्थित नहीं करवा पा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि लुकास टीवीएस मज़दूर संघ प्रदेश की भाजपा सरकार से जुड़े महासंघ भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध है, फिर भी मज़दूर दमन-शोषण के शिकार हैं। ऐसे में न्याय न मिलने से कई सवाल उठ रहे हैं।
लुकास टीवीएस मज़दूरों के साथ हुए अन्याय व अत्याचार का घटनाक्रम-

बीएमएस के प्रदर्शन में शामिल होने का दंड
लुकास टीवीएस मज़दूर संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह बताते हैं कि देश में हो रहे मजदूर विरोधी श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय आह्वाहन पर 1 अक्टूबर 2018 को देहरादून में हो रहे श्रमिक आक्रोश रैली के पर्चे बांटने पर लुकास टीवीएस मजदूर संघ के 7 सदस्यों को आरोप पत्र दिया गया, 4 सदस्यों को 15 दिन बिना वेतन के सेवा से निलंबित कर दिया गया और 3 सदस्यों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया जिसमें एक सदस्य का माननीय श्रम न्यायालय काशीपुर में विवाद गतिमान है।
शोषण का केन्द्र; पॉकेट यूनियन को मान्यता
यूनियन उपाध्यक्ष राजेश चंद्र कहते हैं कि वर्ष 2016 से उत्तराखण्ड में पंजीकृत यूनियन जो भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध है को अभी तक मान्यता नहीं दी गयी व कम्पनी परिसर में लुकास टीवीएस मजदूर संघ को दर किनार कर दिया गया है। पहले कहा गया कि अभी यूनियन को दो वर्ष पूर्ण नहीं हुए हैं, लेकिन प्रबंधन ने अपनी पॉकेट कमेटी को सभी अधिकार दिए। यही नहीं, वर्ष 2022 के पश्चात उक्त कमेटी को कम्पनी प्रबंधन ने उत्तराखंड से पंजीकृत करवाया, जो इंटक से सम्बद्ध है। प्रबंधन ने उस यूनियन को तत्काल प्रभाव से मान्यता दी और उसी यूनियन से लगातार वार्ता जारी है।
कोषाध्यक्ष श्री हरीश राणा ने कहा कि लुकास टीवीएस कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों को स्थाई नियोजन के नाम पर 3 वर्ष ट्रेनिंग, 1 वर्ष प्रोविजन, फिर 5 वर्ष फिक्स टर्म देने के बाद 3 माह से 2 वर्ष तक का फिक्स टर्म दिया जा रहा है जो प्रमाणित स्थायी आदेश का खुला उलंघन है।
उन्होंने कहा कि करोना काल में यातायात के साधन न होने के कारण हमारे संगठन लुकास टीवीएस मजदूर संघ के 6 सदस्य अपने घर से कम्पनी नहीं पहुंचने पर सेवा से बर्खास्त कर दिया गया जिनका वाद माननीय श्रम न्यायालय काशीपुर में विचाराधीन है, वहीं पॉकेट कमेटी के सदस्य कम्पनी न पहुंचने पर उन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई।
झूठे आरोप; समझौते का उल्लंघन
कार्यकारी अध्यक्ष श्री हरीश चंद्र अधिकारी ने बताया कि 1 फरवरी 2022 से संगठन के अध्यक्ष पर झूठे आरोप लगाकर सेवा से निलंबित किया गया, संगठन द्वारा विरोध में 24 दिन का आन्दोलन किया गया जिसमें 19/04/2022 को समझौता हुआ, प्रबन्धन द्वारा उस समझौते का पूर्ण परिपालन नहीं किया गया।
समझौते के अनुसार संगठन अध्यक्ष को 1 माह के अन्दर कार्य पर वापस लिया जाना था लेकिन प्रबन्धन द्वारा 5 माह बाद अन्दर लेने के बजाय ट्रेनिंग पर होशियारपुर पंजाब भेजा गया। प्रबंधन ने पहले 2 माह की ट्रेनिंग का हवाला दिया गया था लेकिन उसमें भी छलावा किया गया, 2-2 माह बढ़ाते हुए 5 माह की ट्रेनिंग बढ़ाई गई, फिर पंजाब से चेन्नई स्थानान्तरण किया गया जो प्रमाणित स्थायी आदेश का उलंघन है।
उपमंत्री राजेश शर्मा ने कहा कि संगठन के सक्रिय सदस्य पंकज कुमार सिंह को दिनांक 02/08/2023, हरीश चन्द्र को दिनांक 29/09/2023 व संतोष को दिनांक 09/10/2023 को सेवा से निलंबित कर दिया गया। इसके विरोध में संगठन द्वारा दिनांक 26/10/2023 से श्रम विभाग रुद्रपुर में आन्दोलन किया गया।
इसी दौरान संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष हरीश चन्द्र सिंह को दिनांक 22/12/2023 व ललित कुमार को दिनांक 04/01/2024 को निलंबित कर दिया गया। संराधन वार्ता के दौरान पंकज कुमार सिंह को दिनांक 07/12/2023 को सेवा से बर्खास्त किया गया, जो स्पष्ट श्रम कानूनों का खुला उलंघन है।
वार्ताएं बेईमानी; अवैध बर्खास्तगी जारी
यूनियन महामंत्री बसन्त गोस्वामी ने बताया कि कम्पनी प्रबंधन व लुकास टीवीएस मजदूर संघ की कई दौर की त्रिपक्षीय वार्ताएं श्रम विभाग में हुई लेकिन लुकास प्रबंधन अपने अड़ियल रवैया से बाज नहीं आ रहा है। जिस कारण हम अपनी 08 सूत्री मांगों को लेकर रुद्रपुर, श्रम विभाग में दिनांक 05/02/2024 से अनिश्चितकालीन हड़ताल व धरने पर बैठे थे। लेकिन सहायक श्रमायुक्त द्वारा वहां से हमें हटा दिया गया जिस कारण हम दिनांक 19/02/2024 से रुद्रपुर के गांधीपार्क में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।
इस दौरान लुकास टीवीएस मजदूर संघ के 32 सदस्यों में से 22 सदस्यों को कम्पनी प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया है। कम्पनी प्रबंधन का स्पष्ट कहना है कि मैं किसी भी हालत में लुकास टीवीएस मजदूर संघ के सदस्यों को सेवा में नहीं रखूंगा, यह अन्तिम निर्णय है।
यूनियन भंग करने का दबाव
संगठन मंत्री दीवान सिंह ने कहा कि कम्पनी प्रबंधन का कहना है कि लुकास टीवीएस मजदूर संघ का रजिस्ट्रेशन रद्द करो और भारतीय मजदूर संघ से संबद्धता को भी छोड़ो व हमारी बनाई हुई पॉकेट यूनियन की सदस्यता ले लो, जब तक यह कार्यवाही यूनियन द्वारा नहीं की जायेगी तब तक हम लुकास टीवीएस मजदूर संघ के सदस्यों का मानसिक उत्पीड़न करते रहेंगे, चाहे आप कहीं चले जाओ, चाहे कुछ भी कर लो, लुकास प्रबंधन के समक्ष प्रशासन भी मौन बना हुआ है।
वर्ष 2019 मे प्रो राटा का हवाला देकर लुकास टीवीएस मजदूर संघ के सदस्यों की वेतन कटौती की गई जबकि उसी कार्य के लुकास प्रबंधन ने अपनी पॉकेट कमेटी के सदस्यों की वेतन कटौती नही की गई। जबकि हमारी एक दिन के बदले आठ दिन की वेतन कटौती की गई। जो श्रम विभाग रुद्रपुर उप श्रम आयुक्त और सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष विचाराधीन है।
न्याय मिलने तक संघर्ष रहेगा जारी
यूनियन ने कहा कि समस्त श्रमिकों की कार्यबहाली, समझौते के अनुपालन सहित जबतक यूनियन की समस्त मांगें पूरी नहीं होती और सम्मानजनक समझौता नहीं हो जाता, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।