आधार से जोड़े जाने की मनमानी शर्त के चलते 30 फीसदी मानरेगा मजदूर हुए बेरोजगार

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आधार आधारित पेमेंट सिस्टम (एबीपीएस) को जरूरी बनाने का नतीजा रहा कि पिछले 24 महीने में 25 करोड़ मनरेगा मजदूरों में 8.6 करोड़ का नाम डाटाबेस से डिलीट हो गया है।

नई दिल्ली। 25 करोड़ मनरेगा मजदूरों में करीब 30 फीसदी मजदूर केंद्र की इस योजना के तहत किसी भी तरह के काम के लिए अक्षम घोषित कर दिए गए हैं। ऐसा उनके आधार कार्ड के योजना के साथ जोड़े जाने की केंद्र सरकार की जरूरी शर्त के चलते हुआ है। यह आंकड़ा एक रिसर्च ग्रुप ने दिया है।

एक प्राइवेट रिसर्च ग्रुप लिबटेक इंडिया के ‘अनपैकिंग मनरेगा’ नाम से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मजदूरों को इसलिए अक्षम घोषित किया गया है क्योंकि उन्होंने सरकार द्वारा आधार आधारित पेमेंट सिस्टम (एबीपीएस) से जुड़ने के निर्देशों का पालन नहीं किया।

गौरतलब है कि 30 जनवरी, 2023 को केंद्र सरकार के ग्रामीण मंत्रालय ने राज्यों को एक पत्र लिखकर मजदूरी भुगतान की व्यवस्था को 1 फरवरी, 2023 से एबीपीएस के जरिये संचालित करने का निर्देश दिया था।

लिबटेक में एक रिसर्चर मुक्केरा राहुल ने बताया कि कुल मजदूरों का 30 फीसदी जिसमें मौजूदा 8 फीसदी सक्रिय मजदूर शामिल हैं, अब मनरेगा मजदूरी के काबिल नहीं रहेंगे। जब तक कि वो सरकार के निर्देशों का पालन नहीं करते हैं।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय अधिकारियों को पर्याप्त प्रशिक्षण और जमीनी सच्चाइयों पर विचार किए बगैर एबीपीएस को जरूरी बनाने, जिसमें अपर्याप्त बैकिंग सुविधाएं और मजदूरों के सामने तकनीकी चुनौतियां प्रमुख हैं, का नतीजा रहा कि पिछले 24 महीने में 8.6 करोड़ लोगों का नाम डाटाबेस से डिलीट हो गया है।

राहुल ने बताया कि मनरेगा डाटाबेस से नामों को हटाया जाना एबीपीएस निर्देशों से पहले ही शुरू हो गया था। और यह निर्देश के जारी होने के बाद भी जारी रहा।

पहले एबीपीएस को खाता आधारित मजदूरी भुगतान के लिए इस्तेमाल किया जाता था। एबीपीएस के बाध्यकारी होने के बाद खाता भुगतान व्यवस्था को खत्म कर दिया गया।

जनचौक से साभार