लोकसभा चुनाव चरण-1: ईवीएम से मतदान के विरोध में ईवीएम तोड़ा; कई जगह मतदान का बहिष्कार

विभिन्न राज्यों में जन समस्याओं को लेकर चुनाव का बहिष्कार हुआ। वहीं ईवीएम से चुनाव के विरोध की घटनाएं सामने आईं। ईवीएम मशीनों में तकनीकी खराबी से भी चुनाव बाधित हुआ।

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को पूरा  हो गया। इस दौरान देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर लोगों ने वोट डाले।

इस बीच खबर है कि विभिन्न राज्यों के कुछ इलाकों में अलग-अलग जन समस्यों को लेकर चुनाव का बहिष्कार हुआ। इस दौरान पोलिंग बूथ पर सन्नाटा पसरा रहा। वहीं ईवीएम से चुनाव के विरोध की भी घटनाएं सामने आईं।

कई मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनों में तकनीकी खराबी की शिकायतें सामने आईं। वहीं कुछ बूथ पर वीवीपैट में तकनीकी खराबी आ गई, जिसकी वजह से वीवी पैट को बदला गया। इन वजहों से कई स्थानों पर मतदान में रुकावट आई।

ईवीएम से मतदान के विरोध में ईवीएम पटका

देशभर में ईवीएम से मतदान से घोटालों की आशंका में देशभर में भारी विरोध लंबे समय से जारी है। मामला देश की सर्वोच्च अदालत में भी लंबित है। इस बीच मतदान के दौरान विरोध की नायाब घटना सामने आई है।

उत्तराखंड के हरिद्वार लोकसभा सीट के एक मतदान केंद्र पर एक बुजुर्ग मतदाता ने ईवीएम मशीन का विरोध करते हुए पोलिंग बूथ पर मुक्का मारकर ईवीएम मशीन तोड़ने का प्रयास किया। मतदाता जोर-जोर से चिल्लाते हुए ईवीएम मशीन का विरोध करते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग करने लगा।

खबर है कि मतदान केंद्र ज्वालापुर इंटर कॉलेज में बूथ नंबर 124 पर एक बुजुर्ग मतदाता मतदान करने के लिए पहुंचे थे। नंबर आने के बाद जैसे ही वह अंदर पहुंचे तो उन्होंने डेस्क पर रखी ईवीएम मशीन को उठाया और नीचे जमीन पर पटक डाला। मशीन टूट गई हालांकि वह बाद में चालू रही।

यह देखते ही बूथ पर मतदाताओं में अफरा तफरी मच गई। बाहर तैनात पुलिसकर्मी तुरंत मतदाता को पकड़कर रेल चौकी ले गए। जहां से पूछताछ की जा रही है।

कई स्थानों पर चुनाव का बहिष्कार

देश में लोकसभा के पहले चरण में सम्पन्न चुनाव में समुचित बुनियादी सुविधा नहीं होने से लेकर अधूरे वादों व धोखाधड़ी को लेकर मतदाताओं ने वोटिंग का बहिष्कार किया। 

उत्तर प्रदेश:

रामपुर जिले के पटवाई थाना क्षेत्र के निस्बा गांव में सुबह से ही मतदान केंद्र में सन्नाटा पसरा रहा, केवल प्रधान व उसकी पत्नी ने वोट दिए। गांव में विकास कार्य नहीं होने व खस्ताहाल सड़कों के कारण ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया और सुबह ही मतदान के खिलाफ प्रदर्शन किया।

पीलीभीत की सदर तहसील में तीन गांव से जुड़े ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। बक्सपुर में ग्रामीण प्रशासन द्वारा खिंचवाई गई दीवार हटवाए जाने की मांग कर रहे थे।

कैराना लोकसभा सीट के तहत कांधला के रसूलपुर गुजरान गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों का कहना है कि 2019 के चुनाव में लोगों ने 95% मतदान किया था उसके बाद कुछ ग्रामीणों पर मुकदमे लाद दिए गए। 5 साल बीत जाने के बाद भी सरकार उनकी सुध नहीं ली।

वहीं दमखौदा ब्लॉक के इनायतपुर गांव में, निवासियों ने पिछले पांच वर्षों से अपने गांव में ट्रांसफार्मर नहीं होने के कारण मतदान का बहिष्कार कर अपनी नाराजगी जाहिर की।

मुजफ्फरनगर के टन्ढेडा में लोगों ने चुनाव का बहिष्कार किया। दरअसल, मुजफ्फरनगर के टन्ढेडा के ग्रामीणों ने रोड बनवाने की मांग को लेकर रोष प्रकट करते हुए चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था। इस दौरान ग्रामीणों ने नारा लगाते हुए कहा कि ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’।

उत्तराखंड:

चुनाव आयोग की जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में 13 जगहों पर चुनाव का बहिष्कार किया जा रहा है। देहरादून, उत्तर काशी, पौड़ी, चमोली, उधम सिंह नगर जिलों से चुनाव बहिष्कार की खबर है। उत्तराखंड के पर्वतीय ग्रामीण इलाकों के लोग सड़कों, स्वास्थ्य एवं शिक्षा से जुड़ी सुविधाओं के गांवों में न पहुँचने से नाराज हैं।

दूसरी तरफ खबर है कि उत्तराखंड में पंद्रह से ज्यादा स्थानों से चुनाव बहिष्कार की सूचनाएं मिली है। मुद्दे बुनियादी सुविधाओं से जुड़े हैं- किसी गांव में सड़क नहीं, कहीं अस्पताल में डॉक्टर नहीं और स्कूल में मास्टर नहीं।

 

पौड़ी-गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र के गंगा भोगपुर तल्ला और मल्ला गांव में भी चुनाव बहिष्कार जारी है। सड़क न बनने से नाराज चमोली जिले के गांव डुमक के ग्रामीणों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया है।

उत्तरकाशी के सेकू गांव में बने बूथ पर केवल 11 मत पड़े। इसमें सभी कर्मचारी शामिल हैं। गांव के किसी व्यक्ति ने मतदान नहीं किया। वहीं कासला में 14 मतदान पड़े। जबकि मसूरी एमजीवीएस हाईस्कूल कफलानी के पोलिंग बूथ 91 में सुबह से छह वोट पड़े।

मसूरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोटीदार कपलानी में सड़क का निर्माण नहीं होने से त्रस्त करीब सात गांव के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार किया।

टिहरी गढ़वाल सीट के चकराता क्षेत्र में भी लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया। विकासनगर चकराता तहसील क्षेत्र में दांवा-पुल खारसी मोटर मार्ग का सुधारीकरण न होने के विरोध में 12 गांव के मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया, जिससे मिंडाल, खनाड़, मंझगांव, जोगियो और बनियाना मतदान स्थल पर पोलिंग पार्टी मतदाताओं का इंतजार करती रही।

टिहरी गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में लंबगाव के निवासियों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया। टिहरी जिले में वार्ड नंबर 3 और 4 के नगरवासियों ने भी चुनाव का बहिष्कार किया है।

नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट पर उधम सिंह नगर जिले के गदरपुर विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत अर्जुनपुर के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया। ग्रामीणों का नारा था ‘ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं।’ ग्रामीणों का आरोप है कि इस क्षेत्र में दशकों से सड़क के निर्माण की मांग को नजरअंदाज किया जा रहा है।

पिथौरागढ़-बागेश्वर जिले की अंतिम सीमा पर स्थित ढनौलासेरा के ग्रामीणों ने फिर लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने की अपने गांव के मंदिर में कसम तक खा ली। पिछले ग्रामीणों ने गांव में सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित विभिन्न समस्याओं का समाधान नहीं होने पर आगामी लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने की चेतावनी का पत्र डीएम को भेजा था।

पिथौरागढ़ विधानसभा के क्वीतड़, जमतड़ी और क्वारबन बूथ पर ग्रामीण वोट डालने नहीं पहुँचे।

मध्यप्रदेश:

सीधी लोकसभा के अंतर्गत आने वाले शहडोल जिले के बोचरो गांव में मतदान रुक गया है। गांव में बाघ से परेशान ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। वहीं सीधी में भी नेटवर्क और पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों के साथ सरपंच ने भी मतदान का बहिष्कार किया।

कटनी जिले के बड़वारा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जगतपुर उमरिया ग्राम में पोलिंग बूथ क्रमांक 92 में करीब 1200 से अधिक मतदाताओं ने आदर्श गाँव से शराब की दुकान हटाने की मांग पर मतदान का बहिष्कार किया था। हालांकि दबाव में आए जिला प्रशासन ने आनन-फानन में ग्रामीणों को आश्वासन दिया तो बाद में मत पड़े।

इसके अलावा मोहनपुरा खरकड़ा के ग्रामीणों ने पेयजल समस्या को लेकर मतदान का बहिष्कार किया। वहीं नाल ग्राम पंचायत के डाइया गाव में ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया।

बालाघाट की जनपद पंचायत वारासिवनी के पंचायत चंगेरा के टूइयापार में ग्रामीणों ने बिजली समस्या के निराकरण नहीं होने पर चुनाव का बहिष्कार कर दिया।

उमरिया जिले के मानपुर विधानसभा क्षेत्र के बमेरा में भी ग्रामवासियों ने सड़क की मांग पूरी न होने पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर दिया।

बिहार:

गया, जमुई, औरंगाबाद, नवादा में इस बार वोट प्रतिशत औंधे मुंह गिर गया। आधे वोटरों ने भी मतदान नहीं किया। खस्ताहाल सड़क और पेयजल के समस्या से जूझते ग्रामीणों ने छह बूथों पर वोट का बहिष्कार किया। औरंगाबाद के नेहुटा गाँव के एक पोलिंग बूथ पर महज 3 वोट पड़े।

राजस्थान:

झुंझुनूं के पिलानी इलाके के सात गांवों के 10 बूथों पर पंजीकृत 9070 मतदाताओं ने मतदान के लिए बहिष्कार किया। जानकारी के मुताबिक पिलानी के गाडोली, बनगोठड़ी कलां, बिशनपुरा, हमीनपुर, धींधवा बिचला, केहरपुरा तथा ढक्करवाला गांव के लोगों ने यमुना के पानी की मांग को लेकर वोटों का बहिष्कार किया।

दौसा लोकसभा सीट के बिगास गांव के ग्रामीणों द्वारा मतदान बहिष्कार की घोषणा से मतदान कर्मी वोटिंग के लिए ग्रामीणें का इंतजार करते रह गए। राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने के लिए बापी गांव में ‘वोट बारात’ निकाली, लेकिन मतदाताओं ने कहा कि जबतक उनकी मांग नहीं मानी जाएगी, वे मतदान नहीं करेंगे।

भरतपुर में रूपवास क्षेत्र के गांव खेरिया और डीग के इकलेरा गांव के लोगों ने भी सुबह मतदान का बहिष्कार कर दिया। गांव के लोगों की मांग थी कि जब तक गांवों में हुई लाखों की चोरी का खुलासा और चोर को नहीं पकड़ा जाएगा तब तक मतदान नहीं किया जाएगा। सूचना पर डीएसपी गांव इकलेरा पहुंचे और कोरी के शीघ्र खुलासे का आश्वासन दिया, तब ग्रामीणों ने मतदान शुरू किया।

बस्सी के पालावाला जाटान में स्थानीय लोगो ने मतदान का बहिष्कार किया है। पालावला जाटान गांव में लोग पिछले 9 चुनावो का लगातार बहिष्कार कर चुके है।

बयाना क्षेत्र के गांव खेरिया और डीग के गांव इकलेरा के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया।

धौलपुर जिले के बाड़ी उपखंड क्षेत्र के गुजर्रा कला गांव के ग्रामीणों ने सड़क समस्या को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया। विगत 15 साल से ग्रामीणों की सड़क की समस्या बनी हुई है।

तमिलनाडु:

कुड्डालोर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाले चार गांवों (एस एरिपलायम, विरुथागिरिकुप्पम, पुडु विरुथागिरिकुप्पम और काची पेरिमनाथम) में चुनाव का बहिष्कार किया गया। वहां जनता ने वोटिंग के दौरान मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। स्थानीय लोगों ने सरकार पर उनकी मांगों की अनदेखी का आरोप लगाया। ग्राम पंचायत घोषित किया करने की मांग के साथ पीने के पानी, सड़क और परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करने की मांग है।

नागालैंड के 6 जिलों में अलग राज्य के लिए बहिष्कार

6 जिलों में नागालैंड को अलग राज्य बनाने की मांग के चलते लोगों ने मतदान का बहिष्कार हुआ। ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ENPO) ने चुनाव का बहिष्कार का आह्वान किया था। इस आह्वान पर 6 जिलों के 638 पोलिंग स्टेशंस पर 4 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने अपना समर्थन दिखाया और चुनाव का बहिष्कार कर दिया।

असम:

असम में अत्यंत असंतोष का स्पष्ट प्रदर्शन करते हुए, ढकुआखाना और डेरगांव में विकास न होने के विरोध में 1,000 से अधिक मतदाताओं ने चुनाव का बहिष्कार करने का विकल्प चुना। मतदाता सड़कों पर उतर आए, विरोध प्रदर्शन किया, सड़कें अवरुद्ध कीं और अपने निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधियों की मुखर रूप से निंदा की।

ढकुआखाना के घिलागुरी में मतदाताओं ने स्थानीय सड़कों की खराब स्थिति के कारण भारी यातायात भीड़ का हवाला देते हुए बहिष्कार के झंडे फहराए। इसी तरह, डेरगांव के बोरकोरोइनी में 600 से अधिक मतदाताओं ने एक बड़ी शिकायत का हवाला देते हुए अपने मत डालने से परहेज किया।