पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र व राज्य सरकारी कर्मियों का 1 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान

‘ओपीएस नहीं तो वोट नहीं’ लोक सभा चुनाव में सिखाएंगे सबक, केंद्र सरकार के 28 लाख कर्मचारी और राज्य सरकारों के तीन करोड़ से अधिक कर्मचारी और शिक्षक हड़ताल के भागीदार बनेंगे।

पुरानी पेंशन बहाली के लिए गठित, नेशनल ज्वाइंट काउंसिल ऑफ एक्शन (एनजेसीए) की संचालन समिति ने एक मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी है। 19 मार्च को कर्मचारी संगठन, केंद्र सरकार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का नोटिस देंगे। केंद्र सरकार के 28 लाख कर्मचारी और राज्य सरकारों के तीन करोड़ से अधिक कर्मचारी और शिक्षक हड़ताल के भागीदार बनेंगे।

संचालन समिति के मुताबिक, पुरानी पेंशन बहाली के लिए केंद्र एवं राज्यों के कर्मचारी एक साथ आ गए हैं। लगभग देश के सभी कर्मचारी संगठन इस मुद्दे पर एकमत हैं। केंद्र और राज्यों के विभिन्न निगमों और स्वायत्तता प्राप्त संगठनों ने भी ओपीएस की लड़ाई में शामिल होने की बात कही है। बैंक एवं इंश्योरेंस सेक्टर के कर्मियों से भी बातचीत हुई है। कर्मचारियों ने हर तरीके से सरकार के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली की गुहार लगाई है, लेकिन उनकी बात सुनी नहीं गई। अब उनके पास अनिश्चितकालीन हड़ताल ही एक मात्र विकल्प बचता है।

अनिश्चितकालीन हड़ताल के आह्वान से पहले रेलवे, विभिन्न विभागों और केंद्र के अधीन सार्वजनिक उपक्रमों के विभाग में हड़ताल के लिए मतदान हुआ। यूनियनों का दावा है कि उन्हें कर्मचारियों का 100 फीसदी समर्थन मिला है।

‘एनपीएस’ रद्द करो; ‘पुरानी पेंशन योजना’ बहाल करो!

कर्मचारी संगठनों का कहना है कि कर्मियों का केवल एक ही मकसद है, बिना गारंटी वाली ‘एनपीएस’ योजना को खत्म किया जाए और परिभाषित एवं गारंटी वाली ‘पुरानी पेंशन योजना’ को बहाल किया जाए। अगर सरकार नहीं मानती है, तो देश में कलम छोड़ हड़ताल होगी। रेल के पहिये रोक दिए जाएंगे। रक्षा एवं दूसरे उद्योगों में भी कामकाज नहीं होगा। साथ ही लोकसभा चुनाव में जब कर्मचारियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों की संख्या, वोट में बदलेगी तो केंद्र सरकार को कर्मियों की ताकत का अहसास होगा।

ओपीएस नहीं तो वोट नहीं

अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार बताते हैं, ‘पुरानी पेंशन’ बहाल न करना, भाजपा के लिए सियासी जोखिम का सबब बन सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। सरकारी कर्मियों, पेंशनरों और परिजनों के दस करोड़ वोट चुनाव में बड़ा उलटफेर करने की तैयारी में हैं।

स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद ‘जेसीएम’ के सचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन लागू नहीं होती है, तो भाजपा को उसका नुकसान उठाना पड़ेगा। दस करोड़ वोटों को हल्के में नहीं लिया जा सकता। केंद्र सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग, रक्षा कर्मी (सिविल), रेलवे, बैंक, डाक, प्राइमरी, सेकेंडरी, कालेज एवं यूनिवर्सिटी टीचर, दूसरे विभागों एवं विभिन्न निगमों और स्वायत्तशासी संगठनों के कर्मचारी, ओपीएस पर एक साथ आंदोलन कर रहे हैं।