ईरान: आम हड़ताल के दौरान गोलीबारी में दो महिलाओं समेत कम से कम पांच लोगों की मौत

2019 में हुए विरोध प्रदर्शन को सुरक्षा बलों ने बर्बरता से कुचला था। उसी खूनी कार्रवाई की याद में तीन दिवसीय हड़ताल का आह्वान किया गया था। हड़ताल का राष्ट्रव्यापी असर हुआ।

ईरान में तीन दिवसीय  आम हड़ताल के दूसरे दिन  दक्षिण-पश्चिमी प्रांत खुजेस्तान के इजेह शहर के बाजार में बुधवार को गोलीबारी  में  कम से कम पांच लोगों के मारे जाने की ख़बर है। समाचार एजेंसी द एसोसिएटेड प्रेस ने ईरान के सरकारी टेलीविजन के हवाले से यह जानकारी दी है। इस गोलीबारी में  कई  लोगों  के घायल होने की भी सूचना है जिनमें  नागरिक और सुरक्षा बल के जवान भी शामिल हैं। मृतकों  में  दो महिलाएं शामिल हैं।

वहीं, इस्फ़हान शहर में गोलीबारी की घटना में दो सुरक्षा जवानों  की मौत की खबर है।  गौरतलब है कि ईरान में  आम हड़ताल का राष्ट्रव्यापी असर हुआ है, करीब 16 शहरों में  इसका ख़ासा असर हुआ है। सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में कई शहरों और कस्बों में हड़ताल और सभाओं को दिखाया गया है।

ईरानी सरकारी टेलीविजन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों के कई समूह बुधवार देर रात ईज़ेह के विभिन्न हिस्सों में इकट्ठे हुए, सरकार विरोधी नारे लगाए और पुलिस पर पथराव किया। पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इस दौरान किसी ने शिया समुदाय के मदरसे में आग लगा दी।

ख़बरों के अनुसार साल 2019 में ईंधन की कीमतों में  वृद्धि के  खिलाफ  जो  विरोध  प्रदर्शन हुआ था  और जिसे बहुत बर्बरता से सुरक्षा बलों द्वारा कुचल दिया गया था  और जिसे ईरान के इतिहास में सबसे खूनी कार्रवाई माना जाता है उसी की याद में मंगलवार को तीन दिवसीय हड़ताल  का आह्वान किया गया था।

ईरान में  22 वर्षीय महसा  अमिनी  की पुलिस द्वारा हत्या के बाद से शुरू हुआ महिला आंदोलन जैसे-जैसे देशव्यापी जनांदोलन में तब्दील होता  गया उसी के साथ सरकार और प्रशासन भी सख्त और क्रूर  होता गया। ईरान में बीते दो महीनों से अधिक समय से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

बीते 30 सितंबर (शुक्रवार) को विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस और सुरक्षा बालों के हाथों  करीब 66 लोगों की मौत हो गयी थी, इसके विरोध में 11 नवंबर को ईरान में ‘ब्लैक फ्राइडे’  मनाया गया।  लोगों का आरोप है कि  पुलिस ने एक नाबालिक लड़की से बलात्कार किया था , जिसके खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे थे , पुलिस ने  इस  विरोध को हिंसक बता कर गोलीबारी की थी जिसमें करीब 66 लोगों की मौत हुई थी।

नैतिकता के नाम पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने युवती महसा अमीनी को पकड़ा था और 16 सितंबर को हिरासत में ही उसकी मौत हो गई थी। अमीनी की मौत के बाद ईरान में भारी संख्या में पहले महिलाएं सड़कों पर उतर  आई थीं , उसके बाद पुरूष भी इस आंदोलन का हिस्सा बन  गये और  यह आंदोलन ईरान के कई शहरों में फैलता चला गया।

समाचार एजेंसी रायटर ने  एचआरएनए समाचार एजेंसी के हवाले से लिखा है कि हाल के प्रदर्शनों में 52 नाबालिगों सहित 344 लोग मारे गए हैं।  मरने वालों में  40  सुरक्षाकर्मी  भी  शामिल हैं, वहीं  15,820 लोगों की गिरफ़्तारी हुई है।

वर्कर्स यूनिटी से साभार

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