छत्तीसगढ़ : संविदा बिजली कर्मियों ने कफन ओढ़कर लाश की तरह सड़क पर लेटकर किया प्रदर्शन

पिछले 15 दिनों से हजारों संविदा विद्युत कर्मचारी नियमितीकरण व मौत व घायल होने पर मुआवजे की मांग पर कार्यबहिष्कार के साथ आन्दोलनरत हैं और रोज नए तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हजारों संविदा विद्युत कर्मचारी सरकार का ध्यान आकर्षण करने के लिए रोज अलग अलग तरह से प्रदर्शन कर रहे हैं। शुक्रवार को कर्मचारी कफन ओढ़कर सड़क पर लेटे रहे। पिछले 15 दिनों से कर्मचारी नियमितीकरण की मांग पर संघर्षरत हैं। उन्होंने रायपुर के बूढ़ा तालाब धरना स्थल पर डेरा डाल दिया है।

संविदा कर्मचारी बिजली कंपनी के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। बिजली विभाग में लाइनमैन के 3000 पदों पर वैकेंसी निकाली गई थी। भर्ती में संविदा पर नियुक्त विद्युत कर्मचारियों को बोनस अंक देने का प्रबंधन ने आश्वासन दिया था।

लेकिन परीक्षा होने से पहले ही हाईकोर्ट ने भर्ती पर रोक लगा दी। इसके बाद संविदा विद्युत कर्मचारी मैदानी लड़ाई के लिए उतर गए। पहले अर्ध नग्न अवस्था में प्रदर्शन किया और शुक्रवार को बूढ़ा तालाब के किनारे कफन ओढ़कर कई घंटों तक लाश की तरह पड़े रहे।

फील्ड में 25 कर्मियों की हो चुकी है मौत

आंदोलनकारी संविदा विद्युत कर्मचारी अमित गिरी ने बताया कि 3-4 बार आंदोलन हो चुका है। हर बार आश्वासन दिया जाता है कि नियमितीकरण की मांग पर निर्णय लिया जाएगा। लेकिन अबतक हमारी मांग पर कोई नहीं निर्णय नहीं हुआ। इसलिए फिर आंदोलन करने को कर्मचारी मजबूर हो गए। धरना स्थल पर 2 हजार से अधिक कर्मचारी घर परिवार छोड़कर आए हैं। संविदा कर्मियों ने काम का बहिष्कार कर दिया है.

संविदा कर्मियों का कहना है कि बिजली कंपनी के अधिकारियों से बात करने पर कोई जवाब नहीं दे रहा है। फील्ड में काम के दौरान 25 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है और कई दर्जन घायल हो चुके हैं। फील्ड में सैंकड़ों साथी अपंग हो चुके हैं। घायल होने पर कर्मचारियों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती है। गरीब कर्मचारी को खुद के खर्च से इलाज कराना पड़ता है। कर्मचारी 8 हजार की सैलरी में काम करने को मजबूर हैं।

नियमितीकरण की मांग 

संविदा विद्युत कर्मचारियों का की मांग है कि कर्मचारियों की मौत के बाद परिजनों को मुआवजा दिया जाए। जब तक नियमितीकरण की मांग नहीं मान ली जाती आंदोलन जारी रहेगा।

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