लुकास टीवीएस श्रमिकों का पुलिस दबाव के बीच हक़ के लिए श्रम भवन रुद्रपुर में धरना जारी

यूनियन मान्यता, लगातार उत्पीड़न, कार्यबहाली, माँगपत्रों के समाधान आदि माँगों के साथ प्रबंधन के अनुचित श्रम व्यवहार, श्रम अधिकारियों की उदासीनता आदि से श्रमिकों में लगातार आक्रोश है।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। लुकास टीवीएस के प्रबंधन द्वारा श्रमिकों के लगातार उत्पीड़न, अवैध बर्खास्तगी, निलंबन, पंजीकृत यूनियन को 6 साल से मान्यता न देने, उसके माँगपत्रों पर समझौता न करने, श्रम अधिकारियों द्वारा भी सहयोग न करने आदि के खिलाफ लुकास टीवीएस मजदूर संघ द्वारा 21 मार्च से श्रम भवन, रुद्रपुर में अनिश्चितकालीन धरना जारी है।

इस बीच पुलिस प्रशासन द्वारा श्रमिकों को जबरन धरना स्थल से उठाने का दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन मज़दूर अपनी मांगों के साथ धरने पर डटे हुए हैं।

यूनियन बनाने से 6 वर्षों से दमन जारी

लुकास टीवीएस श्रमिकों द्वारा कर्मचारी हितों के लिए वर्ष 2016 में लुकास टीवीएस मजदूर संघ पंतनगर उत्तराखंड के नाम से यूनियन बनाई गई, लेकिन प्रबंधक द्वारा 6 वर्ष बीत जाने के बावजूद यूनियन को मान्यता नहीं दी गई। दूसरी ओर प्रबंधन द्वारा स्वयं उत्तराखंड से एक अन्य यूनियन पंजीयन के लिए श्रम विभाग में आवेदन किया गया है।

लुकास टीवीएस मजदूर संघ के अध्यक्ष मनोहर सिंह ने बताया कि उत्तराखंड से पंजीकृत यूनियन द्वारा अपने संगठन के कर्मचारियों हितों के लिए दिनांक 13/11/2017 में 3 वर्षों के लिए मांग पत्र दिया गया, लेकिन न प्रबंधक द्वारा मांग पत्र पर विचार किया गया और ना ही श्रम विभाग द्वारा कोई ठोस कदम उठाया गया। श्रम अधिकारी ने मांग पत्र को माननीय श्रम न्यायालय को संदर्भित कर दिया।

उसके पश्चात दिनांक 09/03/2021 को 1 वर्ष के लिए दूसरा मांग पत्र दिया गया, लेकिन उस पर भी आज तक कोई विचार नहीं किया गया। कर्मचारियों के दिन प्रतिदिन झूठे आरोप लगाकर उत्पीड़न तेज किया गया है।

झूठे आरोपों में निलंबन-बर्खास्तगी

यूनियन महामंत्री बसंत गोस्वामी ने बताया कि दिनांक 01/10/2018 को भारतीय मजदूर संघ के आह्वान पर देहरादून श्रमिक आक्रोश रैली का आयोजन किया गया था, जिसमें भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध होने के नाते लुकास टीवीएस मजदूर संघ द्वारा भी उसमें भाग लिया गया और श्रमिक आक्रोश रैली के पर्चे कंपनी शिफ्ट समाप्त होने के बाद बांटे गए। इसको आधार बनाकर कारखाना प्रबंधन द्वारा 3 कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया और निलंबित किया जा रहा है।

यूनियन नेताओं ने कहा कि झूठा हवाला देकर श्रमिकों को स्थाई नियोजन पत्र की जगह फिक्स टर्म का पत्र दे कर उनका मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। प्रबंधक द्वारा खुद की एक कमेटी बनाकर दिनांक 8 मार्च 2019 को उसके साथ समझौता किया गया। लेकिन समझौते के अनुसार वर्ष 2019 से इस पंजीकृत यूनियन के सदस्यों को कोई लाभ न देकर उनसे रिकवरी की जा रही है।

राजेश शर्मा ने कहा कि 12-13 वर्षों से कार्यरत श्रमिकों को महज 10 से 12 हजार रुपए वेतन पर गुजारा करना पड़ रहा है।

आंदोलन को क्षेत्र की विभिन्न यूनियनों और मज़दूरों का समर्थन

आंदोलन के समर्थन में क्षेत्र की तमाम यूनियनें आगे आ रही हैं। अबतक श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, महासचिव चंद्र मोहन लखेड़ा, भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष गणेश मेहरा के अलावा ब्रिटानिया कर्मकार यूनियन, पारले श्रमिक संघ सितरगंज, इन्टरार्क मजदूर संगठन पंतनगर, मंत्री मेटटल वर्कर्स यूनियन, डेना इण्डिया श्रमिक संघ, ब्रिटानिया कर्मकार यूनियन पन्तनगर, बडवे कर्मचारी संगठन, नेस्ले कर्मचारी संगठन, नेस्ले मजदूर संघ, पारले मज़दूर संघ पंतनगर, ब्रिटानिया श्रमिक संघ, एडिएंट कर्मकार यूनियन आदि के नेताओं और मज़दूरों ने संघर्षरत संगठन के कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाया और पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया।

लुकास टीवीएस मजदूर संघ ने कहा कि प्रबंधन व प्रशासन जब तक श्रमिकों की मांगों का समाधान नहीं निकालता, तबतक श्रमिक अपना आंदोलन व अनिश्चितकालीन धरना जारी रखेंगे।

भूली-बिसरी ख़बरे