किसान आंदोलन में डटे रहे कॉमरेड कंचन के असामयिक निधन पर श्रद्धांजलि सभा

कॉमरेड कंचन का पूरा जीवन क्रांतिकारी-सामाजिक आंदोलनों को समर्पित रहा। किसान आंदोलन में अभी तक शहीद हुए सात सौ से अधिक साथियों में से एक कॉमरेड कंचन भी हैं।

गाजीपुर बॉर्डर मंच की ओर से श्रद्धांजलि

पिछले आठ महीनों से इंकलाबी मज़दूर केंद्र की टीम के साथ किसान आंदोलन के गाजीपुर बॉर्डर पर डटे कॉमरेड कंचन के असामयिक निधन पर आज (16 सितंबर) गाजीपुर बॉर्डर मंच की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

इस मौके पर हुई सभा में कॉमरेड कंचन को याद करते हुये वक्ताओं ने कहा कि उनका पूरा जीवन क्रांतिकारी-सामाजिक आंदोलनों को समर्पित रहा। वे अपने गीतों से लोगों में जोश भर देते थे। वे जिस कर्मठता के साथ गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे वह सभी को बहुत प्रेरित करता था।

उन्होंने मई दिवस के मौके पर साथियों के साथ मिलकर कॉर्पोरेट लूट पर बहुत अच्छा नुक्कड़ नाटक भी प्रस्तुत किया था। वे जी- जान से आंदोलन को आगे बढ़ाने में लगे थे। ऐसे समर्पित साथियों के बल पर ही किसान आंदोलन आज एक ऐतिहासिक आंदोलन बन गया है, जिसकी गाथाओं को पीढियां सुनाया करेंगी। जैसे ये किसान आंदोलन अमर हो चुका है वैसे ही कॉमरेड कंचन भी लोगों के दिलों में अमर रहेंगे।

वक्ताओं ने कहा कि अभी तक हम अपने सात सौ से अधिक साथियों को खो चुके हैं। हमारे इन्हीं शहीद साथियों में से एक कॉमरेड कंचन भी हैं। हमारे इन साथियों की मृत्यु के लिये ये लुटेरी व्यवस्था जिम्मेदार है। इन साथियों की क्षतिपूर्ति संभव नहीं है। यह हमारे लिये बेहद शोक की घड़ी है, लेकिन हमें इस शोक को संकल्प और ताकत में बदलना होगा और इस फासीवादी हुकूमत के विरुद्ध संघर्ष को जी- जान से आगे बढ़ाना होगा।

सभा में गाजीपुर बॉर्डर के मंच संचालक ओमपाल मालिक, अखिल भारतीय किसान सभा के कॉमरेड डी पी सिंह, अखिल भारतीय किसान मज़दूर सभा के कॉमरेड आशीष मित्तल, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान मज़दूर सभा के कॉमरेड विमल त्रिवेदी, अखिल भारतीय किसान खेत मज़दूर संगठन के कॉमरेड रंजीत प्रधान, इंकलाबी मज़दूर केंद्र से कॉमरेड रोहित एवं अन्य किसान आंदोलनकारियों ने कॉमरेड कंचन की यादों को साझा किया।

मज़दूर सहयोग केंद्र द्वारा कॉमरेड कंचन को श्रद्धांजलि

अभी खबर मिली कि इंकलाबी मज़दूर केंद्र के साथी #कंचन का आज (16 सितंबर) सुबह कैंसर की असाध्य बीमारी से निधन हो गया। जुझारू साथी कन्चन लाल पिछले दो महीने से कैंसर से जूझ रहे थे। उनका इलाज एम्स ऋषिकेश में चल रहा था। इलाज के दौरान ही वह कोमा में चले गए थे। एम्स द्वारा जवाब देने के बाद तीन दिन पूर्व उन्हें बरेली लाया गया था। और आज निधन का यह पीड़ादायी समाचार…!

52 वर्षीय साथी कंचन मज़दूर वर्ग की मुक्ति के ध्येय को समर्पित इंकलाबी योध्दा थे, जो कि अपनी अंतिम सांस तक अपने लक्ष्य को समर्पित रहे। मुख्यतः बरेली में सक्रिय साथी कंचन 2 माह पूर्व अपनी तबियत बिगड़ने से पहले किसान आंदोलन के गाजीपुर बॉर्डर पर इंकलाबी मज़दूर केंद्र की टीम के साथ डटे हुये थे।

प्रगतिशील सांस्कृतिक मंच के सचिव कॉमरेड कंचन बेहद प्रतिभाशाली, लोकप्रिय संस्कृतिकर्मी और उतने ही जिंदादिल इंसान भी थे। उनके जोशीले क्रांतिकारी गीत हमारे बीच आज भी मौजूद हैं।

यह एक बेहद कठिन समय है, जब धारा के विरुद्ध खड़ा होकर मज़दूर पक्षीय परिवर्तन में पूरी शिद्दत से लगे साथी एक के बाद एक हमसे जुदा हो रहे हैं। यह पूरे क्रांतिकारी आंदोलन के लिए बेहद दुख और चुनौती का समय है।

पीड़ा और शोक की इस घड़ी को हमें ताक़त में बदलना होगा। यही साथी कंचन और उन तमाम सहयात्रियों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने अपना जीवन मज़दूर वर्ग की मुक्ति के जीवट संघर्षों को समर्पित कर दिया!

साथी को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ आखिरी लाल सलाम!

हरिद्वार में श्रद्धांजलि सभा

हरिद्वार में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि वे बेहद प्रतिभाशाली, लोकप्रिय संस्कृतिकर्मी और उतने ही जिंदादिल इंसान भी थे। उनके जोशीले क्रांतिकारी गीत हम सभी को उद्देलित करते रहेंगे। कॉमरेड कंचन 2019 में सांस्कृतिक कार्याशाला में हरिद्वार आए और सभी साथियों को गीत नाटक अन्य विधाओं पर प्रशिक्षित करके गये।

साथी कंचन अच्छे संस्कृतिकर्मी थे। उनकी कमी हम सभी साथियों को खलेगी। उनके अधूरे सपनों को पूरा करना ही हमारी ओर से सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रद्धांजलि देने वालों में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के पदाधिकारी आदि उपस्थित रहे।