कोरोना महामारी में अगली पंक्ति में डटीं आशा वर्कर्स की देशव्यापी हड़ताल

वेतन, सुविधाएं व कर्मचारी का दर्जा देने की माँग

कोरोनाकाल में आशा वर्कर स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं। लेकिन ना तो उनको वेतन मिल रहा है, ना ही सुविधाएं। यहाँ तक कि उन्हें कर्मचारी तक का दर्ज नहीं प्राप्त है। पिछले एक माह के दौरान 80 आशा वर्कर्स की मौत हो चुकी है। ऐसे में आशा वर्कर सोमवार (24 मई) को एकदिवसीय हड़ताल पर रहीं।

सीटू से संबद्ध ऑल इंडिया कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ़ आशा वर्कर्स (एआईसीसीएडब्ल्यू) ने सोमवार को एक बयान में कहा कि आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में हड़ताल पूरी तरह से थी।

वहीं असम, गुजरात, केरल, उत्तर प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर जैसे कुछ राज्यों के आशा कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं ने विरोध दिवस मनाया, जबकि उत्तराखंड, बिहार कर्नाटक आदि अन्य राज्यों में हड़ताल आंशिक थी।

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इस मौके पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को डीएम के माध्यम से एक ज्ञापन भी भेजा। ट्रेड यूनियन का कहना है कि इस अप्रैल से मई के बीच अबतक कोरोना से 80 आशा वर्कर्स की मौत हो चुकी है, इसके बावजूद सरकार न तो सुरक्षा उपकरण मुहैया करा रही है न ही समय से मानदेय दे रही है।

उल्लेखनीय है कि आशा वर्कर कोरोना महामारी के दौरान अगली पंक्ति में रहकर सर्वे, टीकाकरण, सैंपलिग का काम कर रही है, लेकिन उनको सेफ्टी किट में सैनिटाइजर, मास्क, गल्ब्ज व पीपीई किट तक नहीं दिए जा रहे हैं जिससे आशा वर्करों में रोष है।

आशा वर्कर की देशव्यापी हड़ताल की झलक

उत्तराखंड

अल्मोड़ा। सीटू से संबंधित आशा हेल्थ वर्कर ने 7 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को डीएम के माध्यम से एक ज्ञापन भी भेजा। कार्यकत्रियों ने कहा कोरोना कॉल में घर- घर जाकर आशा अपनी जान जोखिम में डालकर काम रही है। उनको सुरक्षा उपकरण व फ्रंटलाइन वर्कर की तरह सम्मान व मानदेय भी नहीं मिल रहा है।

उन्होंने कहा केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पिछले तीन साल से उनका मासिक मानदेय नहीं बढ़ाया गया है। प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंहर रावत की गई आशाओं को 10 हजार सम्मान राशि देने की घोषणा को धरातल में उतरने का इंतजार हो रहा है।

पंजाब

नूरपुरबेदी। आशा वर्कर व फैसिलिटेटर यूनियन (सीटू) की ब्लाक ईकाई ने जत्थेबंदी के आह्वान पर मांगों को लेकर की गई देशव्यापी हड़ताल में शिरकत की। आशा वर्करों ने सरकार का उनकी मांगों को लेकर अड़ियल रवैया की निदा की।

आशा वर्करों ने सुरक्षा उपकरण न मिलने के विरोध हड़ताल की

उन्होंने कहा कि समूह देश में आशा वर्कर कोरोना पाजिटिव हैं। इसके अलावा जो विभाग व सरकार की समूह जानकारियां मरीजों को पहुंचा रही हैं पर उन्हें कोई भी सुरक्षा उपकरण अभी तक मुहैया नहीं करवाए गए हैं।

मध्यप्रदेश

मध्यप्रदेश में आशा कार्यकर्ता व सहयोगिनी एक दिन की हड़ताल पर रहीं। वहीं पूरे प्रदेश में संविदा स्वास्थ्यकर्मी व सपोर्ट स्टॉफ सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए इसका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित रहीं।

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हरियाणा

फतेहाबाद। जिलेभर की आशा वर्करों ने आज हड़ताल कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को प्रधानमंत्री के नाम मांग पत्र सौंपा। कहा कि कोरोना के इस विकट दौर में काफी जगह केवल आशा वर्कर ही यह काम कर रही है। लेकिन ना तो उन्हें सुविधा मिल रही है ना ही वेतन।

आशा वर्करों ने की हड़ताल, सुरक्षा और जोखिम भत्ते की मांग की

आशा वर्कर यूनियन की जिला प्रधान शीला शक्करपुरा, जिला सचिव सुमन धारणिया ने कहा कि हाल ही में प्रशासन द्वारा कोरोना को लेकर 5 सदस्यों की टीम बनाई गई है, जो घर-घर जाकर कोरोना टेस्ट के सैंपल करना व कोरोना के मरीजों को दवाई की किट देना, सर्वे करना आदि काम आशा वर्कर और आंगनबाड़ी वर्कर कर रही हैं।

गुरुग्राम। कोविड-19 महामारी के दौरान भी कार्यरत आशाकर्मियों ने अपनी मांगों के समर्थन में और प्रदेश व केंद्र सरकारों की ‘मजदूर विरोधी‘ नीतियों के खिलाफ देशव्यापी हड़ताल के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आज यहां भी प्रदर्शन किया। आशाकर्मी लघु सचिवालय पर इकट्ठा हुईं। उन्होंने नारेबाजी की और प्रधानमंत्री के नाम अपनी मांगों का ज्ञापन जिला उपायुक्त को सौंपा।

इसके साथ ही हिसार, सोनीपत सहित हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में हड़ताल रही।

आशा वर्कर की माँगें-

  • आशा वर्कर्स के मासिक मानदेय में बढ़ोतरी की जाए।
  • करोना काल में काम कर रही आशाओं के लिए प्रति माह 10,000/- रुपये जोखिम भत्ता दिया जाए।
  • आशाओं को सरकारी कर्मचारियों की भांति समस्त सुविधाएं एवं मानदेय दिया जाए।
  • आशा को स्वास्थ्य बीमा की परिधि में लाया जाए।
  • आशा वर्कर के कार्य के दौरान मृत्यु होने पर उसके परिवार को 50 लाख का बीमा दिया जाए तथा बीमार होने पर 10 लाख का स्वास्थ्य बीमा दिया जाए।
  • करोनाकॉल में घर—घर जाकर अपनी जान जोखिम में डालकर आशा वर्कर समस्त कार्य कर रही हैं। इसलिए उन्हें सुरक्षा उपकरण तथा फ्रंटलाइन वर्कर की भांति सम्मान व मानदेय दिया जाए।
  • सभी आशा वर्कर्स एवं फैसिलिटेटर्स के लिए निःशुल्क चिकित्सा जांच/कोविड जांच की सुविधा मिले।
  • बकाया पारिश्रमिक व भत्तों का तत्काल भुगतान, पेंशन, एक्सग्रेशिया राशि और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ, रिटायरमेंट बेनीफिट्स दिए बिना किसी भी आशा की छंटनी नहीं किया जाए।
  • 45वें व 46वें श्रम सम्मेलन की सिफारिशों को लागू किया जाए।
  • मजदूरों को गुलाम बनाने वाली चारों श्रम संहिताओं व कृषि संबंधी तीनों काले क़ानूनों को रद्द किया जाए।