कोर्ट से जीत फिर भी माइक्रोमैक्स मज़दूरों की बहाली क्यों नहीं?

आरोप : मामले को लटकाने में श्रम विभाग की भूमिका

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। मोबाइल निर्माता भगवती माइक्रोमैक्स के 303 श्रमिकों की छँटनी को न्यायाधिकरण द्वारा अवैध घोषित करने के बावजूद 303 श्रमिकों की कार्यबहाली नहीं हो रही है। पिछले 10 महीने से श्रम विभाग तरह तरह से मामले को लटका रहा है। इसके ख़िलाफ़ मज़दूरों ने श्रम भवन पर प्रदर्शन किया।

ज्ञात हो कि 27 दिसंबर 2018 को माइक्रोमैक्स मोबाइल बनाने वाले भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड, सिडकुल, पंतनगर ने 303 मज़दूरों की गैरकानूनी रूप से छँटनी कर दी थी। पिछले 2 साल से माइक्रोमैक्स के मज़दूर जमीनी लड़ाई से कोर्ट तक की लड़ाई लड़ रहे हैं और कंपनी गेट पर उनका धरना लगातार जारी है।

औद्योगिक न्यायाधिकरण ने छँटनी को बताया था अवैध

इस साल 3 मार्च को औद्योगिक न्यायाधिकरण ने कंपनी द्वारा की गई छँटनी को अवैध घोषित कर दिया था और समस्त श्रमिकों को सारे देयकों के साथ कार्यबहाली का आदेश पारित किया गया था। तब से श्रमिक कोर्ट के आदेश के अनुपालन के लिए संघर्षरत हैं। इस बीच कोरोना/लॉकडाउन से मामला बाधित रहा, हालांकि गेट पर उनका धरना लगातार चलता रहा।

प्रबंधन इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय नैनीताल गया, वहाँ से भी उसे किसी प्रकार का स्थगनादेश नहीं मिला। इसके विपरीत उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से न्यायाधिकरण के आदेश के परिपालन करने का निर्देश दिया। लेकिन श्रम विभाग मामले को लटकाता रहा है।

तारिखों पर तारीख : हस्ताक्षर सत्यापन उलझाने का नया खेल

प्रबंधन की सारी तिकड़में असफल होने के बाद उसने क़रीब डेढ़ सौ मज़दूरों के हस्ताक्षर को कथित रूप से संदिग्ध बताते हुए उसके कथित सत्यापन का नया दांव चला। सहायक श्रम आयुक्त द्वारा इसी खेल के तहत हस्ताक्षर सत्यापन के बहाने मज़दूरों को बुलाया जा रहा है।

पिछले दो महीने से उत्पीड़न का यह नवीन खेल जारी है। तारिखों पर तारीखें दी जा रही हैं और श्रम अधिकारी लापता रहते हैं। यहाँ तक कि मौजूद कर्मचारी भी अधिकारी के बगैर सत्यापन करने से मना कर देते हैं।

आज 9 दिसंबर को भी सहायक श्रम आयुक्त के समक्ष सत्यापन की तिथि पुनः निर्धारित थी, लेकिन कार्यालय में न तो डीएलसी मौजूद थे ना ही एएलसी। लेबर इंस्पेक्टर ने एक और तिथि दे दी और खुद सत्यापन करने से मना भी कर दिया। इसपर मज़दूरों में रोष बढ़ गया और उन्होंने इसका विरोध किया।

मज़दूरों ने रैली निकाल किया प्रदर्शन

माइक्रोमैक्स मज़दूरों ने आज कंपनी गेट पर प्रदर्शन किया और कंपनी गेट स्थित धरना स्थल से सिडकुल होते हुए श्रम भवन तक रैली निकाली। श्रम भवन पर मज़दूरों ने जबरदस्त रूप से अपना आक्रोश प्रकट किया, लेकिन अधिकारियों की नामौजूदगी में कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।

इसके बाद मज़दूरों का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिलने गया जिनकी अनुपस्थिति में एडीएम ने मज़दूरों की बात सुनी और एएलसी से इसके तत्काल निस्तारण कराने की बात की। हालांकि एडीएम महोदय ने मज़दूरों को उल्टी यह सलाह दी कि इसके अनुपालन के लिए मज़दूर कोर्ट जाएं, जिस पर मज़दूरों ने आपत्ति प्रकट की।

बेवजह मज़दूरों को किया जा रहा है प्रताड़ित

मज़दूर प्रतिनिधि वंदना बिष्ट का कहना है की हस्ताक्षर को सत्यापित करने का यदि कोई मामला है तो प्रबन्धन कार्य पर सबको कंपनी बुलाए और वहीं पर सबके सत्यापन की कार्रवाई करें। लेकिन अधिकारी इस तर्क को भी मानने के लिए तैयार नहीं। इससे मिलीभगत साफ है।

मज़दूर प्रतिनिधि नंदन सिंह का कहना है कि प्रबंधन और श्रम विभाग की मिलीभगत के कारण पूरा मामला 2 साल से उलझा हुआ है। कोर्ट का स्पष्ट आदेश है इसके बावजूद इसका परिपालन नहीं किए जाने से मज़दूरों के सामने भुखमरी की स्थिति बन गई है। जबकि माइक्रोमैक्स का नया फोन बाज़ार में धूम मचा रहा है।

27 दिसम्बर को होगा बड़ा विरोध कार्यक्रम

भगवती श्रमिक संगठन के महासचिव दीपक सनवाल ने बताया कि 27 दिसंबर को हमारी गैरकानूनी छँटनी के 2 साल पूरे होंगे, इसलिए हम एक बड़ा विरोध कार्यक्रम आयोजित करेंगे ताकि श्रम अधिकारियों, प्रशासन और सरकार के बहरे कानों तक अपनी आवाज को पहुंचा सकें। हमारी एक ही माँग है कि कोर्ट के आदेश के अनुपालन में सभी 303 मज़दूरों की सवेतन कार्यबहाली हो!

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