ऐतिहासिक है अमेरिका के जनरल मोटर्स में हड़ताल, प्रबंधन झुका

16 सितंबर से हड़ताल पर हैं 48 हजार मजदूर व कर्मचारी

ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनी, जनरल मोटर्स (जीएम) की हड़ताल ने 13 अक्टूबर को अपने 28 वें दिन में प्रवेश कर लिया है, जिससे कंपनी को अपने मुनाफे पर एक बड़ा झटका खाने के बाद अब समझौते की मेज पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कंपनी के खुद के दावे के अनुसार 48,000 से अधिक कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण, उसे लगभग 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है। जनरल मोटर्स के शेयर की कीमतों में आई गिरावट एक और वजह है जिसने जीएम के प्रबंधन को हड़ताल का नेतृत्व कर रही यूनाइटेड ऑटो वर्कर्स (यूएडब्ल्यू) के साथ समझौता वार्ता फिर से शुरू करने के लिए मजबूर किया है।

16 सितंबर से हड़ताल पर जाने वाले कर्मचारी रोजगार सुरक्षा और बंद कर दी गई उत्पादन इकाइयों को फिर से खोलने की मांग कर रहे हैं या जिन्हें बंद होने के लिए मुकर्रर कर दिया गया हैं। इसके अलावा उनकी माँग है कि मेडिकल और अन्य सुविधाओं में औपचारिक और अनौपचारिक दोनों तरह के श्रमिकों के लिए सुविधा का विस्तार किया जाए, और गिरते हुए वेतन की समस्या को हल किया जाए।

रायटर्स की खबर के अनुसार जीएम ने “चार साल के अनुबंध वाले कर्मचारियों के लिए दूसरे और चैथे साल में 3 प्रतिशत की वेतन बढ़ोत्तरी और पहले और चैथे वर्ष में 3 प्रतिशत और 4 प्रतिशत की एकमुश्त भुगतान की पेशकश की है। कम्पनी इस बात के लिए भी राजी हो गई है जिसमें 3 साल तक स्थाई रूप से काम कर रहे अस्थाई श्रमिकों को स्थाई कर दिया जायेगा। हड़ताल की मुख्य वजह भी यही थी जिसमें प्रबन्धन द्वारा अस्थाई मजदूरों को लम्बी अवधि तक बिना किसी औपचारिकता के काम पर रखने की प्रवत्ति बढ़ गई थी। इन “स्थाई-अस्थाई” लोगों को अनुबंध के आधार पर काम पर रखा जाता है और उन्हें स्थाई कर्मचारियों के समान सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।

इकाइयों की तालाबंदी, हालाँकि बातचीत का एक प्रमुख बिंदु है। नवम्बर 2018 में जनरल मोटर्स ने अमेरिका के अपने 4 उत्पादन संयंत्रों में तालाबंदी की घोषणा की, जिससे करीब 9,000 लोगों की नौकरियाँ चली गईं. कम्पनी ने यह भी घोषणा की कि वह कुछ समय के अन्तराल में अपने 15 प्रतिशत वेतनभोगी श्रमिकों से छुट्टी पा लेगी।

यूएडब्ल्यू के उपाध्यक्ष टेरी डीत्टेस के अनुसार, जो जनरल मोटर्स के कर्मचारी होने के साथ कर्मचारी यूनियन की और से प्रमुख वार्ताकार भी हैं, ने 8 अक्टूबर के अपने सार्वजनिक बयान में कहा, हमने यह साफ कर दिया है कि जब हमारे यहां अमेरिका में बिक्री हेतु अन्य देशों में जीएम उत्पाद बनाए जा रहे हैं तो अब हमारी नौकरी की कोई गारंटी नहीं बची है।

यूएडब्ल्यू ने दावा किया है कि नौकरी की सुरक्षा इसी शर्त पर हो सकती है अगर मेक्सिको में आउटसोर्स किए गए उत्पादन को अमेरिका में वापस लाया जाए। जब से कंपनी ने 2009 में चैप्टर 11 के तहत दिवालिया होने का केस दायर किया है, तब से उसे अपने राजकोषीय घाटे को दुरुस्त करने के लिए अमेरिकी सरकारी खजाने से कुल 66.7 बिलियन अमरीकी डालर राहत पैकेज के रूप में प्राप्त हो चुके हैं।

एक तर्क यह भी है कि चूंकि अमेरिकी नौकरियों और कर राजस्व की रक्षा की खातिर करदाताओं के अरबों डॉलर को जनरल मोटर्स में निवेश किया गया है, इसलिए कंपनी को श्रमिकों की मांग को अवश्य स्वीकार करना चाहिए। कई वर्षों तक लगातार घाटे पर चल रही कंपनी ने अंततः मुनाफा कमाना शुरू कर दिया है. यूएडब्ल्यू के अनुसार, पिछले कुछ सालो से कंपनी का मुनाफा 34 अरब अमरीकी डॉलर के आस पास रहा। लेकिन कारखाना मजदूरों की मजदूरी में वास्तविक रूप से कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है।

इसी अवधि के दौरान, पिछले दशक में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कंपनी को पुनर्गठित किया गया है. इसमें मौजूदा मजदूरों के साथ हुए अनुबंधों को खत्म करना और उत्पादन इकाइयों को बंद करना शामिल है। उल्टा कंपनी ने मेक्सिको में उत्पादन की अपनी योजना पर निवेश किया, जहाँ औसत मजदूरी मात्र 1.9 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे है। यह अमेरिका में उत्पादन में शामिल श्रमिकों को मिलने वाली औसत तनख्वाह जो 17 अमेरिकी डॉलर से लेकर 30 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे के बीच है, की तुलना में कुछ भी नहीं है।

कंपनी अपने उत्पादन के बड़े हिस्से को मेक्सिको में स्थानान्तरण के फैसले को उचित ठहराती है (जीएम अपने वाहनों की जरूरत का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा अपने मेक्सिको प्लांट से आयात करता है), उसके अनुसार अमेरिका में मजदूरी की दरें काफी ऊँची होने के चलते देश के प्रतिस्पर्धात्मक मोटर वाहन बाजार में टिके रहना मुश्किल हो गया है। इसके लिए वह विदेशी वाहन निर्माताओं की अमेरिका में घुसपैठ को जिम्मेदार मानता है जो असंगठित श्रमिकों से 12 अमेरिकी डॉलर प्रति घंटे तक की न्यूनतम तनख्वाह पर काम कराते हैं।

लेकिन यूएडब्ल्यू ने इस पर सवाल उठाते हुए इशारा किया है कि कुल उत्पादन लागत में श्रमिकों का वेतन मात्र 5 प्रतिशत ही बैठता है। यूनियन ने दावा किया कि यदि कंपनी, श्रमिकों की सभी मांगों को लागू भी कर देती है, तब भी उसे प्रत्येक जीएमसी युकोन एसयूवी पर मात्र 150 अमेरिकी डॉलर मजदूरी पर खर्च करने पड़ेंगे, जिसका बाजार भाव 77,000 अमेरिकी डॉलर है।

श्रमिकों की मांगों के जवाब में, जीएम ने बंदी के लिए निर्धारित हेमस्ट्रैक, डेट्रायट और लॉर्डस्टाउन, ओहियो उत्पादन इकाइयों के बदले, इलेक्ट्रिक कार के निर्माण के लिए दो नई ईकाइयों में 7.7 बिलियन अमेरकी निवेश की योजना पेश की है। डेट्रायट फ्री प्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इसके द्वारा करीब 5,400 नौकरियाँ सृजित होंगी. लेकिन, इसके जरिये आधी नौकरियाँ ही फिर से सृजित होंगी और पुरानी इकाइयों के बंद होने के कारण बाकी नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा।

कंपनी इस बात पर भी राजी है कि वह उत्पादन को पुनर्निर्देशित करने के स्वरुप को बदलेगी, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यदि पूरी तरह से न सही पर अधिकतर उन उत्पादों को अमेरिका में ही निर्मित किया जाए, जिन्हें देश के भीतर ही बिक्री के लिए प्रस्तुत किया जाना है। ट्रम्प प्रशासन द्वारा नए कानूनों के तहत मेक्सिको में निर्मित सामान पर भारी शुल्क और शर्तें लागू करने का प्रस्ताव भी ळड को बाध्य कर रहा है कि वह ठोस योजना के साथ अपने आउटसोर्स उत्पादन को अमेरिका के अंदर स्थानांतरित करे।

श्रमिकों ने कंपनी के भविष्य के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया है और कंपनी के लगातार बाजार में प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।

जहां जनरल मोटर्स ने पूरी तरह से इलेक्ट्रिक स्वचालित कारों के निर्माण की दिशा में बदलाव की बात रखी है, वहीं यूनियन के सदस्यों का दावा है कि कंपनी भविष्य में निवेश करने को लेकर गंभीर नहीं है। मजदूर यूनियन ने यह भी दावा किया है कि उनका यह गैर समझौतावादी रुख सिर्फ व्यावहारिक ही नहीं, बल्कि यह कंपनी के भविष्य में इलेक्ट्रिक कारों के बाजार में सफलतापूर्वक प्रवेश को सुनिश्चित करने के लिए भी अति-आवश्यक है।

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