देश के 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार व 14 लाख राज्य कर्मी वोट उसे करेंगे, जो पुरानी पेंशन बहाल करेगा!

एक दिन के सांसदों-विधायकों के लिए पेंशन लागू है। बलिदान देने वाले जवानों की पेंशन छीन ली गई है। उधर ऑल टीचर्स एंड इम्पलाईज एसोसिएशन ने कहा कि हमारी मुहिम है VoteForOPS.
‘कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ ने पुरानी पेंशन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को चेतावनी दे दी है। उधर देशभर में सरकारी शिक्षक व कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए लगातार आंदोलित रहे हैं। उत्तरप्रदेश सहित पाँच राज्यों के चुनाव में भी यह यहां मुद्दा बन गया है।
कॉन्फेडरेशन के चेयरमैन पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने कहा, अब देश के 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार अपना वोट उसी को करेंगे, जो दल अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन बहाल करेगा। एक पैरामिलिट्री परिवार में चार-पांच सदस्य ही नहीं हैं, बल्कि उनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। ऐसे में यह आंकड़ा एक करोड़ के पार चला जाता है।
‘कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन’ केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के कल्याण के लिए गठित है और अर्धसैनिक बलों के लिए पुरानी पेंशन बहाली के संघर्ष के लिए मुखर है।
अर्धसैनिक बलों के साथ अन्याय
अमर उजाला मे छपी रिपोर्ट के अनुसार एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, सीएपीएफ में पुरानी पेंशन शुरू कराने के लिए कॉन्फेडरेशन द्वारा राष्ट्रपति, केंद्रीय गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, गृह राज्य मंत्री और केंद्रीय गृह सचिव सहित सभी बलों के महानिदेशकों से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा गया है। सभी की ओर से केवल आश्वासन ही मिला।
कॉन्फेडरेशन के अनुसार, अर्द्धसैनिकों का भविष्य बिना पेंशन के अंधकारमय हो गया है। सुविधाओं को लेकर फोर्सेस में भारी बैचेनी देखने को मिल रही है। इसके चलते अकसर जवान आत्महत्याएं कर रहे हैं। पिछले कुछ सालों में आपसी शूटआउट के मामलों में वृद्धि हुई है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते जवानों की तीन महीनों से छुट्टियां बंद पड़ी हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री का 100 दिन छुट्टी का फॉर्मूला फेल हो गया है। छुट्टी न मिलने के कारण जवान, मानसिक तनाव व चिड़चिड़ापन जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। गृह मंत्रालय कुंभकर्णी नींद में सोया हुआ है। उसे अर्द्धसैनिकों की जायज मांगों से दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।
कॉन्फेडरेशन के चेयरमैन पूर्व एडीजी एचआर सिंह ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब देश के 20 लाख पैरामिलिट्री परिवार अपना वोट उसी को करेंगे जो दल अर्धसैनिक बलों की पुरानी पेंशन बहाली करेगा।
कॉन्फेडरेशन ने पुरानी पेंशन के मुद्दे पर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत का आभार प्रकट किया है। गहलोत सरकार ने इसी सप्ताह राज्य में पुरानी पेंशन बहाली का एतिहासिक निर्णय लिया है।
महासचिव रणबीर सिंह ने कहा, हम अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों व केंद्र सरकार से अपील कर रहे हैं कि वे भी बिना कोई विलंब किए पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करें। साथ ही पैरामिलिट्री फोर्स की विधवाओं, वीरांगनाओं एवं जवानों की पेंशन, पुनर्वास एवं कल्याण के लिए अर्धसैनिक बल झंडा दिवस कोष व अर्ध सैनिक कल्याण बोर्ड का गठन करें।
रिटायर्ड जवानों को एक्स मैन व देश के लिए बलिदान देने वालों को शहीद का दर्जा दिया जाए। केंद्र सरकार के समक्ष बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य के लिए राज्यों की राजधानियों में अर्धसैनिक स्कूल खोलने व जिला स्तर पर सीजीएचएस डिस्पेंसरियों के विस्तार की वाजिब मांग की गई है।
2024 के आम चुनावों से पहले आंदोलन होगा तेज
कॉन्फेडरेशन अध्यक्ष जयेंद्र सिंह राणा ने कहा, विधानसभा चुनावों के बाद विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों से बातचीत कर नई रणनीति बनाई जाएगी। 2024 के आम चुनावों से पहले अलग-अलग राज्यों व दिल्ली में शांतिपूर्ण अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन किया जाएगा।
एसोसिएशन के देवेंद्र बख्शी ने कहा, सामाजिक न्याय के इतिहास में यह एक नया सवेरा है। इसकी चिंगारी राजस्थान से आई है। 2004 से अपने वृद्ध कर्मचारियों के लिए भारत सरकार और अन्य राज्यों द्वारा नई पेंशन योजना लागू करना किसी के लिए भी सबसे अनुचित कदम था। इस विवादास्पद निर्णय ने न केवल कर्मचारियों और उनके परिवारों को, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी निराश किया।
सांसदों–विधायकों के लिए लागू, बलिदान देने वाले जवानों के लिए क्यों नहीं
एक दिन के सांसदों और विधायकों के लिए पुरानी पेंशन लागू हो जाती है। देश के लिए अपना बलिदान देने वाले बलों के जवानों की पेंशन छीन ली गई है। सभी संगठनों ने एक स्वर में इस फैसले की निंदा की है। पुरानी पेंशन बहाली के लिए बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
केंद्र और अन्य राज्य सरकारों को अपना निर्णय पलटना होगा। कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करनी पड़ेगी। बख्शी के अनुसार, अगर पुरानी पेंशन को जल्द से जल्द बहाल नहीं किया गया तो सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
उत्तरप्रदेश में 14 लाख शिक्षक-कर्मचारी भी मुखर
ऑल टीचर्स एंड इम्पलाईज वेलफेयर एसोसिएशन (अटेवा) के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि प्रदेश में 14 लाख कर्मचारी हैं, जो पुरानी पेंशन की मांग कर रहे हैं, हर किसी को अपने बुढ़ापे की लाठी चाहिए, यह पूरा चुनाव पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर ही हो रहा है, हमारी मुहिम है VoteForOPS.
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली प्रदेश के 14 लाख के अधिक कर्मचारियों के प्रमुख मुद्दा है। संगठन इसकी बहाली के लिए पिछले दस वर्षों से निरंतर संघर्ष कर रहा है। इस मुद्दे पर संगठन ने प्रदेश के सभी दलों से वार्ता किया लेकिन कोई भी दल खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा केवल केंद्र सरकार का नहीं है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान इस बात का प्रमाण है। कहा कि अभी तक सभी दलों से कई दौर की वार्ता के दौरान सिर्फ समाजवादी पार्टी ने प्रदेश में इसे लागू करने के लिए कहा है, जबकि संगठन की तरफ से सभी पाटियों के दरवाजे खुले हुए हैं।
बाजपेयी सरकार के दौर से समाप्त, अब आंदोलन तेज
उल्लेखनीय है कि सन 2004 में अटल बिहारी बाजपेयी की भाजपा नीत सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू पेंशन योजना समाप्त कर दी थी, जिसके तर्ज पर ज्यादातर राज्यों ने सन 2005 से भी इसे समाप्त कर दिया था।
इसके तहत ओपीएस समाप्ति के बाद से भर्ती शिक्षकों, कर्मचारियों, अर्ध सैनिक बालों के बुढ़ापे के सहारे पेंशन की जारी योजना समाप्त कर बीमा आधारित नई पेंशन योजना लागू हुई।
उस व्यक्त तमाम यूनियनें अपने निजी स्वार्थ में इसकी मुखालफत में नहीं उतरीं, लेकिन नई भर्ती के लोग जैसे इस अन्याय के प्रति जागृत होना शुरू हुए, संगठित होने के साथ आंदोलन की राह पर निकले। पिछले वर्षों से यह मुद्दा पूरे देश में एक बड़े आंदोलन में तब्दील हो रहा है।