BSNL के 19,000 एम्प्लॉइज की जा सकती है नौकरी, बीएसएनएल एम्प्लॉइज यूनियन ने जताया विरोध

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टेलीकॉम डिपार्टमेंट सरकारी टेलिकॉम कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड यानी BSNL में दूसरी वॉलंटरी रिटायरमेंट स्कीम (VRS) लागू करने की योजना बना रही है। इसके लिए डिपार्टमेंट वित्त मंत्रालय से मंजूरी लेने जा रहा है। वहीं, राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) द्वारा दूसरी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) लागू करने की योजना के खिलाफ कर्मचारी संघ ने विरोध जताया है। सोमवार को बीएसएनएल एम्प्लॉइज यूनियन (BSNLEU) ने कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक ए. रॉबर्ट जे. रवि को पत्र लिखकर इस निर्णय को वापस लेने की मांग की।

टेलीकॉम डिपार्टमेंट VRS के जरिए एम्प्लॉइज की संख्या में 35% की कमी लाना चाहता है और कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन में भी सुधार करना चाहता है। इकोनॉमिक्स टाइम्स (ET) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। हालांकि, कंपनी या सरकार की ओर से ऑफिशियल तौर पर इस तरह की कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। BSNL ने VRS इनिशिएटिव की लागत को कवर करने के लिए वित्त मंत्रालय से 15,000 करोड़ रुपए की मांग की है। ET ने मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के हवाले से बताया कि VRS के माध्यम से कंपनी के बोर्ड ने अपने एम्प्लॉइज की संख्या में 18,000 से 19,000 तक की कमी लाने का प्रस्ताव रखा है।

रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में BSNL अपने एम्प्लॉइज को सैलरी देने के लिए ₹7,500 करोड़ या कंपनी के रेवेन्यू का करीब 38% एलोकेट करती है। कंपनी इस खर्च को कम करके सालाना 5,000 करोड़ रुपए करने की योजना बना रही है। वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद टेलीकॉम डिपार्टमेंट कैबिनेट की मंजूरी लेगा। वित्त वर्ष 2024 में BSNL का रेवेन्यू 21,302 करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में मामूली सुधार है। कंपनी के वर्कफोर्स में 30,000 से ज्यादा नॉन एग्जीक्यूटिव एम्प्लॉइज और 25,000 एग्जीक्यूटिव शामिल हैं।

इससे पहले BSNL ने पहली बार 2019 में VRS की पेशकश की थी। यह योजना 4 नवंबर 2019 को शुरू हुई थी और 31 दिसंबर 2019 तक खुली रही। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उस समय BSNL के पास करीब 1.5 लाख एम्प्लॉइज थे, जिनमें से करीब 78,569 एम्प्लॉइज ने VRS स्वीकार किया। पब्लिक सेक्टर टेलिकॉम कंपनी BSNL पिछले कुछ समय से कर्ज के संकट से जूझ रही है। भारत सरकार ने अब तक तीन रिवाइवल पैकेज के माध्यम से कंपनी को सपोर्ट किया है। साल 2019 में पहले रिवाइवल पैकेज में 69,000 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी, जिससे BSNL और MTNL में स्थिरिता आई थी। वहीं, साल 2022 में ₹1.64 लाख करोड़ के दूसरे रिवाइवल पैकेज को मंजूरी दी थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उस समय कहा था कि इस पैकेज के जरिए BSNL को 4G में अपग्रेड करने में मदद मिलेगी। इसके बाद तीसरे रिवाइवल पैकेज में सरकार ने BSNL के लिए 89,047 करोड़ रुपए के पैकेज को मंजूरी दी थी। इस पैकेज में 4G और 5G सर्विस शुरू करने, बैलेंसशीट को मजबूत करने और फाइबर नेटवर्क का एक्सपेंशन शामिल था।

भारत में रिलायंस जियो, एयरटेल सहित अन्य टेलीकॉम कंपनियों ने 5G सर्विस शुरू कर चुकी हैं। वहीं BSNL अभी तक 4G सर्विस शुरू नहीं कर पाया है। भारत में 4G की शुरुआत 2014 में हुई थी। 10 साल के बाद भी BSNL अभी तक 4G सर्विस शुरू नहीं कर सका है।

कर्मचारियों ने बताया प्रबंधन की विफलता जिम्मेदार

यूनियन के अनुसार, मार्च 2024 तक बीएसएनएल में केवल 29,750 अधिकारी और 26,435 गैर-अधिकारी बचे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि कंपनी के वित्तीय संकट के लिए कर्मचारियों की संख्या जिम्मेदार नहीं है, बल्कि प्रबंधन की नीतियों और निर्णय लेने की प्रक्रिया में खामियां असली कारण हैं। यूनियन ने कहा, “बीएसएनएल की आय का बड़ा हिस्सा लैंडलाइन सेवाओं से आता था, लेकिन 2020 में पहली VRS के बाद लैंडलाइन और ब्रॉडबैंड कनेक्शन का रखरखाव पूरी तरह से आउटसोर्स कर दिया गया। इससे सेवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई, जिसके चलते बीएसएनएल के लैंडलाइन कनेक्शन लगभग समाप्त हो गए।”

बीएसएनएल पर असमान अवसरों का आरोप

कर्मचारियों ने कहा कि सरकारी नीतियों के तहत बीएसएनएल को अपने 4जी उपकरण केवल भारतीय विक्रेताओं से खरीदने के लिए बाध्य किया गया है, जबकि निजी कंपनियां जैसे रिलायंस जियो, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया अपने उपकरण अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से खरीद रही हैं। उन्होंने इसे बीएसएनएल के लिए “समान अवसरों से वंचित करना” करार दिया। यूनियन ने यह भी कहा कि संसद की सार्वजनिक उपक्रम समिति ने बीएसएनएल को विदेशी तकनीकी कंपनियों से मदद लेने की सलाह दी थी, लेकिन कंपनी इस दिशा में भी पर्याप्त प्रगति नहीं कर पाई है।

वेतन पर खर्च को लेकर भ्रम की स्थिति

बीएसएनएल के कुल राजस्व का 38% हिस्सा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च होने के आरोपों को लेकर यूनियन ने सफाई दी। उन्होंने कहा, “जियो और एयरटेल जैसी कंपनियां भारी राजस्व कमाती हैं, जिससे उनके वेतन व्यय का प्रतिशत कम दिखाई देता है। बीएसएनएल की तुलना उनके साथ करना गलत है।” बीएसएनएल को 2019, 2022 और 2023 में तीन पुनरुद्धार पैकेज दिए गए, लेकिन इसके बावजूद कंपनी अपने राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करने में असफल रही है। यूनियन ने कहा कि यदि प्रबंधन ने सही कदम उठाए होते तो आज बीएसएनएल निजी कंपनियों के बराबर खड़ा हो सकता था। बीएसएनएल कर्मचारी संघ ने प्रबंधन से अपील की है कि वह इस दूसरे VRS के निर्णय को तत्काल प्रभाव से वापस ले और सेवा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए।

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