माँगों को लेकर आंदोलन की तैयारी में हैं मध्य प्रदेश के 10 लाख अधिकारी-कर्मचारी-शिक्षक

वर्ष 2010 के बाद से प्रदेश में कर्मचारियों का प्रभावी आंदोलन नहीं हुआ है पर इस बार कर्मचारियों के तेवर आक्रामक हैं। विभिन्न संगठन एक मंच पर आने की तैयारी भी कर रहे हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश के 10 लाख अधिकारी-कर्मचारी भी चुनावी माहौल को भुनाने की तैयारी में जुट गए हैं। प्रदेश में 2023 के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में कर्मचारियों के पास राज्य सरकार से मांगें पूरी कराने के लिए नौ-दस माह शेष हैं इसलिए लगभग सभी संगठन रणनीति बना रहे हैं। बैठक-सम्मेलन आयोजित किए जा रहे हैं। सत्ता पक्ष के विधायक-सांसद और संगठन पदाधिकारियों को अपनी मांग और परिस्थिति बताई जा रही है, ताकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक बात पहुंचाई जा सके। इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की मांगें एक जैसी हैं।
बता दें, कि वर्ष 2010 के बाद से प्रदेश में कर्मचारियों का प्रभावी आंदोलन नहीं हुआ है पर इस बार कर्मचारियों के तेवर आक्रामक हैं। आपसी मनमुटाव और टकराव को भूलकर एक मंच पर आने की तैयारी भी कर रहे हैं। ऐसा हुआ, तो प्रदेश में कर्मचारियों की शक्ति एक बार फिर देखने को मिलेगी।
वर्तमान में कर्मचारियों की सबसे बड़ी संयुक्त मांग पदोन्नति शुरू करने की है। ऐसे में दोनों पक्ष (आरक्षित-अनारक्षित) पदोन्नति शुरू कराना चाहते हैं। भले ही वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन हो। इसके अलावा दो लाख 87 हजार शिक्षक सहित वर्ष 2005 के बाद भर्ती हुए अन्य कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली, 72 हजार संविदा कर्मचारी नियमित करने की मांग कर रहे हैं। 45 हजार स्थायीकर्मी सातवां वेतनमान मांग रहे हैं और दैनिक वेतन भोगी स्थायी करने की लड़ाई लड़ रहे हैं। विभिन्न् विभागों में अनुकंपा नियुक्ति भी बड़ी मांग है। मध्य प्रदेश कर्मचारी कांग्रेस के संरक्षक वीरेंद्र खोंगल का दावा है कि प्रदेश में अनुकंपा नियुक्ति के 10 हजार से ज्यादा मामले लंबित हैं।
नईदुनिया से साभार