शर्मनाक : मोदी सरकार की तानाशाही

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एक तरफ जहां आज पूरे देश में मजदूर विरोधी वेतन संहिता के विरोध में राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन हो रहा था, वहीं दूसरी ओर व्यापक मजदूरों की भावना को रौंदते हुए मोदी सरकार ने वेतन संहिता विधेयक 2019 को राज्यसभा में भी पारित कर लिया। लोकसभा में 30 जुलाई को ही यह विधेयक पारित हो गई थी। इस प्रकार मजदूर विरोधी इस विधेयक पर संसद की मुहर लग गई।

आज राज्यसभा में इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजे जाने की वाम दलों की मांग को भी सरकार ने खारिज कर दिया और विधेयक को स्थाई समिति के पास भेज दिया। अब केवल राष्ट्रपति की मुहर ही लगनी बाकी है। यह पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान मिले प्रचंड बहुमत का ही कमाल है कि मोदी सरकार ने 2 महीने के कार्यकाल के दौरान एक के बाद एक ताबड़तोड़ मजदूरों पर हमले बोल रही है। दरअसल, देसी विदेशी पूंजीपतियों ने भारी चंदा देकर इसीलिए मोदी की सरकार दोबारा बनवाई है। और अब मोदी सरकार बेखौफ होकर पूँजीपतियों का कर्ज़ उतारने में पूरी ताक़त से जुट गई है।

मोदी सरकार का यह कदम मजदूरों को अधिकार विहीन बंधुआ मजदूर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसकी हर तरह से नींदा किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी सोचने की जरूरत है की प्रचंड बहुमत की इस सरकार के खिलाफ व्यापक जन संघर्ष को कैसे लामबंद किया जाए!

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