वित्तमंत्री का नया फरमान; मोदी सरकार में जो बच गया, उसे भी बेचने का ऐलान

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 मोदी सरकार ने देश बेचो अभियान को और बेलगाम करने का ऐलान किया है। नई बिक्री योजना में ऊर्जा, सड़क से लेकर 400 रेलवे स्टेशन, 90 रेलगाड़ियां, रेलवे कॉलोनियां, स्टेडियम आदि शामिल हैं।

जनता पर टैक्स से मुनाफाखोरों की होगी सेवा

नरेंद्र मोदी सरकार के देश बेचो अभियान के तहत अब रेल, सड़क, एयरपोर्ट गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, बिजली और गोदाम को निजी हाथों में देने की घोषणा हो गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान के साथ कहा कि इस योजना के जरिए 4 साल में केंद्र सरकार 6 लाख करोड़ रुपए का मुनाफा कमाएगी। 

यानि महज 6 लाख करोड़ रुपए में देश की जनता के खून-पसीने से खड़ी अरबों की संपत्ति पूँजीपति मुनाफाखोरों के हवाले हो जाएगी। मजेदार यह है कि सरकार इसको बेचना नहीं बल्कि किराए पर देना बोल रही है! मतलब बाकी सारी व्यवस्था और खर्चा सरकार जनता के ऊपर और टैक्स थोपकर करेगी और मुनाफा उसके यारों की झोली में जाएगी!

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सबकुछ बिकने को तैयार

बैंक, बीमा, कोल, खनन, पेट्रोलियम से जहाज तक बेचने के क्रम को और बेलगाम करते हुए वित्त मंत्री ने सोमवार को 6 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन NMP) का एलान किया है। जिसमें ऊर्जा से लेकर सड़क और रेलवे सेक्टर शामिल हैं। उन्होंने कहा कि परिसंपत्ति मुद्रीकरण में भूमि को बेचना शामिल नहीं है।

सभी क्षेत्रों में परियोजना की पहचान की गई थी, जिसमें सड़कें, रेलवे और ऊर्जा सबसे अहम हैं। NMP में वित्त वर्ष 2022 से 2025 के बीच चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की संपत्तियों के जरिए 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत केंद्र के लिए प्रस्तावित लागत (43 लाख करोड़ रुपये) का 14 फीसदी है।

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नीति आयोग ने तैयार की है योजना

केंद्रीय बजट 2021-22 में लंबी अवधि के लिए वित्तीय अवरचना के लिए सार्वजनिक अवरचनगत संपत्ति के मुद्रीकरण को मुख्य जरिया कहा गया है। इसके लिए बजट में संभावित ब्राउनफील्ड इंफ्रास्ट्रक्चर इसेट्स की एक राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) को तैयार करने की बात कही गई थी। नीति आयोग ने इंफ्रा संबंधित मंत्रालयों के साथ परामर्श से NMP पर रिपोर्ट को तैयार किया है।

इसके जरिये अगले चार वर्षों में विनिवेश किए जाने वाली सरकार की बुनियादी ढांचा संपत्तियों की सूची तैयार की जाएगी। संपत्तियों के मौद्रिकरण के लिए परियोजनाओं की पहचान की गई है। अगले चार साल में रेल, सड़क, बिजली क्षेत्र से जुड़ी छह लाख करोड़ रुपये की बुनियादी ढांचा संपत्तियों का मौद्रीकरण किया जाएगा। यानी इन सेक्टर्स में निजी क्षेत्र से निवेश लाया जाएगा।

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400 रेलवे स्टेशन और 90 यात्री ट्रेनें जाएंगी निजी हाथों में

सबसे ज्यादा ​बड़ा हिस्सा सड़क का है। इसमें सरकार का लक्ष्य 1.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाने का है। सड़क के बाद रेलवे दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जिसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना में शामिल किया गया है।

राष्ट्रीय मौद्रीकरण योजना (एनएमपी) में रेलवे की संपत्ति का 26 प्रतिशत योगदान होगा। वित्त वर्ष 2025 तक यानी अगले 4 वर्षों में रेलवे की ब्राउनफील्ड अवसंरचना संपत्तियों का मौद्रीकरण कर करीब 1.52 लाख करोड़ रुपये हासिल होंगे।

वित्त वर्ष 2022-25 के दौरान मौद्रीकरण के लिए चिह्नित की गई प्रमुख रेल संपत्तियों में 400 रेलवे स्टेशन, 90 यात्री रेलगाड़ियां, 1400 किलोमीटर लंबी रेल की पटरी, कोंकण रेलवे का 741 किलोमीटर लंबा हिस्सा, 15 रेलवे स्टेडियम और चयनित रेलवे कॉलोनियां और चार पहाड़ी रेल शामिल हैं।

यात्री ट्रेनों का परिचालन भी निजी हाथों में

चार साल की अवधि में नोंदी सरकार रेलवे स्टेशनों और यात्री रेलों के परिचालन को निजी हाथों में देने से क्रमश: 76,250 करोड़ रुपये और 21,642 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। माल परिवहन के लिए समर्पित फ्रेट कॉरिडॉर के मौद्रीकरण से 20,178 करोड़ रुपये, वहीं पटरी, सिगनल और पटरियों के ऊपर लगने वाले उपकरणों संबंधी इनविट से 18,700 करोड़ रुपये कमाने का अनुमान है।

वहीं कोंकण रेलवे से 7,281 करोड़ और पहाड़ों पर चलने वाली रेलवे के मौद्रीकरण से 630 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है।

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सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी सरकार पर तंज

@shaileshkumaro टि्वटर हैंडल से कमेंट किया गया कि वाह मोदी जी आपने तो युवा को बेरोजगार बना ही दिया और अब क्या करने का इरादा है?

एक ट्विटर यूजर ने पूछा कि क्या यही अच्छे दिन है?

दिनेश भारद्वाज नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं कि इस देश को भी बेच दो मोदी जी। कई मुल्क हो जाएंगे… कीमत भी अच्छी मिलेगी… आपको तो रुपया चाहिए न?

एक ट्विटर यूजर ने हंसने वाली इमोजी के साथ लिखा कि ज्यादा बोलोगे तो हम झोला उठाकर चल देंगे।

@GargRg42 टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि अच्छे दिन आने वाले कहकर खुद कि देश को बेच देने पर आमादा हैं। नोटबंदी का असर सरकारी खजाने तक पड़ा है। नरेंद्र मोदी साहब पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाकर सरकारी नुकसान को बचाने में लगी हुई है। 2024 तक क्या-क्या बेचते हैं साहब देखना होगा।

एक ट्विटर यूजर लिखते हैं कि किसी दिन अपने मंत्रिमंडल को ही निजी हाथों में ना दे दे सरकार।

विकास यादव नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं कि, ‘मैं देश नही बिकने दूँगा कहकर सत्ता में आये थे, लेकिन अब मैं देश नही बचने दूँगा को सटीक चरितार्थ कर रहे हैं।’

एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि जनता का लीवर किडनी भी बेच देना कुछ मत छोड़ना।

निमो शुक्ला नाम की ट्विटर यूजर लिखती है कि सब कुछ बिक जाएगा बस साहब का झोला बचा रहेगा।