जेएनएस में 30 अप्रैल तक समाधान पर सहमति, मज़दूर काम पर लौटे

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महिलाओं के तेवर, श्रम भवन में मालिक के साथ हुआ समझौता

मनेसर (गुड़गांव)। 8 मार्च से जेएनएस इन्स्ट्रुमेन्ट्स फैक्ट्री परिसर में महिला मज़दूरों के तेवर के साथ 30 घंटे लगातार अनशन व धरने के बाद मंगलवार को श्रम भवन में 30 अप्रैल तक माँगपत्र के निस्तारण पर समझौता हो गया। इसके बाद काम पर लौटी एक महिला मज़दूर की तबीयत बिगड़ने से परिसर में अफर-तफरी मच गई।

दरअसल 8 मार्च को विभिन्न माँगों को लेकर आक्रोशित आईएमटी मानेसर में सैक्टर-3 स्थित मारुति की वेंडर कंपनी जेएनएस इन्स्ट्रुमेन्ट्स की महिला और पुरुष मज़दूर फैक्ट्री के अन्दर काम बंद करके बैठ गए थे। इसी के साथ उन्होंने बेमियादी भूख हड़ताल शुरू कर दी थी।

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श्रम भवन में मालिक की उपस्थिति में बनी सहमति

मज़दूरों, विशेष रूप से महिला मज़दूरों के तेवर को देखते हुए कंपनी मालिक खुद श्रम भवन पहुँचे, जहाँ श्रमिक प्रतिनिधियों को बुलाकर उप श्रमायुक्त (डीएलसी) ने वार्ता की। कंपनी के मालिक ने सभी समस्याओं के समाधान के लिए मज़दूरों से 30 अप्रैल तक का समय माँगा।

डीएलसी की मध्यस्थता में मालिक/प्रबंधन ने लिखित रूप से कहा है कि माँगपत्र पर 30 अप्रैल तक समाधान निकाल लिया जाएगा और डेढ़ दिनी हड़ताल के लिए वेतन कटौती नहीं की जाएगी। इस दौरान किसी भी स्थाई या ठेका मज़दूर ना निकालने और बदले बदले की भावना से कार्यवाही नहीं करने का आश्वासन दिया।

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प्रबंधन ने माँगपत्र के निस्तारण की प्रक्रिया और वार्ता शुरू करने के लिए एक सप्ताह का समय माँगा। श्रमिक प्रतिनिधियों ने इसपर सहमति दी।

इसके बाद प्रबंधक और श्रमिक प्रतिनिधियों ने कंपनी परिसर में धरने और अनशन पर डटे मज़दूरों से बात की और काम पर वापस जाने की अपील की। इस तरह धरना व अनशन समाप्त करके दो बजे की शिफ्ट के अनुसार मज़दूर काम पर वापस लौट गए।

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काम के दौरान महिला श्रमिक की हालत बिगड़ी

समझौता होने के बाद भूखे प्यासे मज़दूर जब काम पर लौटे तो एक महिला मज़दूर प्रीति कंपनी में ही बेहोश होकर गिर पड़ी, जिससे प्लांट में अफर-तफरी का माहौल बन गया। जिसके इलाज के लिए भी एचआर विभाग हीलाहवाली करता रहा। बाद में मज़दूरों ने ही उन्हें अस्पतसल में भर्ती कराया।

मज़दूरों की माँगें-

वाहनों के मीटर बनाने वाली इस कंपनी में 2200 मजदूर काम करते हैं, जिनमें ज्यादातर महिला मज़दूर हैं। स्थाई मजदूर भी करीब 45 के हैं, जिनमें आधी लड़कियां हैं। इनका वेतन काफी कम है।

मज़दूरों की माँग वेतन बढ़ाने, साल में जिसकी 240 दिन पूरे हो गये हैं उसे स्थाई करने, छूट्टियां, आदि की है।

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यूनियन की लगी है फ़ाइल

कंपनी में अभी तक कोई यूनियन नहीं है। छह सात महीने पहले यूनियन बनाने की फ़ाइल लगाई गई थी, तबसे प्रबंधन मज़दूरों को परेशान कर रहा है। इस बीच ख़बर है कि प्रबंधन यूनियन प्रतिनिधियों को तोड़ने का भी कार्य कर रहा है, ताकि यूनियन पंजीकरण बाधित हो।

फिलहाल मज़दूरों के हौसले बुलंद हैं और वे 30 अप्रैल तक समझौता ना होने पर बड़े आंदोलन की ओर बढ़ सकते हैं।