“भव्यता” पर करोड़ों खर्च लेकिन जिन श्रमिकों ने चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड बनाया था और जी-20 सम्मिट के लिए भारत मंडपम को सजाया था, उनको अभी तक वेतन न मिलने से आक्रोश।
चंद्रयान-3 की सफलता पर पटाखे जले, बधाइयों के दौर चले। वहीं, जी-20 के आयोजन पर भी मोदी सरकार फूले नहीं समय रही है। लेकिन, जिन इंजीनियर्स ने चंद्रयान-3 के लिए लॉन्चपैड बनाया था और जिन व मज़दूरों ने जी-20 के लिए भारत मंडपम को सजाया, देखभाल की उनको वब वेतन भी नहीं मिल रहा है और आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
वेतन के लिए जी-20 मज़दूरों का प्रगति मैदान पर प्रदर्शन
दरअसल देश के जिस सबसे बड़े कन्वेंशन सेंटर भारत मंडपम में जी20 के आयोजन हुए, जिसे हजारों करोड़ रुपए खर्च करके भव्य रूप से सजाया गया था उसी भारत मंडपम की देखरेख करने वाली कंपनी के श्रमिकों को वेतन भी नहीं मिला।
मंगलवार को वेतन न दिए जाने के खिलाफ श्रमिकों ने प्रगति मैदान के बाहर प्रदर्शन किया।
खबर के अनुसार भारत मंडपम में जी20 के दौरान तैयारियां करने और देखरेख के लिए प्रिस्टिन यूटिलिटीज कंपनी की ओर से करीब 250 लोगों को काम पर रखा गया था। श्रमिकों का आरोप है अब कंपनी उन्हें उनका वेतन नहीं दे रही है।
प्रगति मैदान पर प्रदर्शन करने पहुंचे श्रमिकों ने बताया कि कंपनी ने उनसे कहा था कि उन्हें प्रति माह 16,000 का भुगतान किया जाएगा, लेकिन कई को केवल 2500 रुपये के आसपास ही मिले।
प्रदर्शन कर रहे उमाशंकर ने बताया कि मैं यहां 16 अगस्त को आया था। हम लोगों ने यहां 8 से लेकर 12 घंटे तक काम किया। इन्होंने पहले तो हमें काम से निकाल दिया और अब वेतन नहीं दे रहे हैं।
हम लोगों ने जब लगातार वेतन मांगी तो मुझे सिर्फ 2700 रुपये दिए गए। वहीं कई साथियों को 2 हजार रुपये तक ही मिले हैं। हम जैसे 200-250 लोग हैं, जो यहां काम कर रहे थे। हम लोगों को अब अंदर नहीं जाने दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने जी20 में तीन दिन लगातार ड्यूटी की है। भूखे-प्यासे रहते हुए हमने काम किया। अब हमें पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। मकान का किराया नहीं दे पाए तो मकान मालिक ने घर से निकाल दिया। हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं। कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है।
भारत मंडपम पर खर्च हुए 2,700 करोड़ रुपये
प्रगति मैदान को पुनर्विकासित (रीडेवलप) करने का काम 2017 में शुरू हुआ था। इसे नेशनल प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया है। इस पर 2,700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। भारत मंडपम के हर फ्लोर, हर रूम और हर जगह पर “भारतीय संस्कृति” और “परंपरा” की छाप दिखाई पड़ती है। ये पूरा कन्वेंशन सेंटर 123 एकड़ में फैला हुआ है। ये इलाका फुटबॉल के 26 स्टेडियम के बराबर है।
दुनिया के सामने “भव्यता” के प्रदर्शन के लिए हजारों करोड़ रुपए बहा दिए गए, लेकिन इसके लिए अपना खून-पसीना बहाने वाले श्रमिकों को वेतन तक नहीं मिला और उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ा।
वैश्विक सौदेबाजी का जी-20 सम्मिट और मेहनतकश की तबाही
उल्लेखनीय है कि जी-20 सम्मिट के लिए जहाँ जनता की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ रुपए पानी की तरह बहा दिए गए, वहीं कथित भव्यता के बहाने राजधानी दिल्ली से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में भारी आबादी के आवासों और जीविका को बुलडोजर से तबाह कर दिया गया।
और इसको खूबसूरत बनाने वाले श्रमिकों को उनका मेहनताना भी नहीं मिल रहा। इस शानो-सौकत के लिए जो भारी अपव्यय हुआ है, वह भी टैक्स के रूप में आम जनता को ही भरना है।
कुलमिलाकर जी-20 सम्मिट जहाँ दुनिया भर की लुटेरी जमात के लिए नए बाजार और लूट की सौदेबाजी सम्पन्न हुई, वहीं पहले से ही तबाह मेहनतकश जनता के सामने दुख-बर्बादी का एक और पहाड़ खड़ा हो गया।