ग़ुस्से में मज़दूरों ने किया पथराव, मध्य प्रदेश सरकार को जमकर कोसा

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भूख और वाहन को लेकर परेशान हैं प्रवासी मज़दूर

महाराष्ट्र से मध्य प्रदेश आ रहे मज़दूर गुरुवार को बिजासन घाट में परेशान होकर ग़ुस्से में आ गए. इन मज़दूरों ने अपनी बुनियादी मांगें भूख और वाहन को लेकर पथराव भी किया. बिजासन घाट वह जगह है जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर है. इस जगह पर महाराष्ट्र से बसें मज़दूरों को लाकर छोड़ देती है ताकि आगे का सफ़र मध्य प्रदेश की सरकार की मदद से किया जा सके.

लेकिन पिछले कई दिनों से बिजासन घाट पर आने वाले मज़दूर परेशान हो रहे है. वहां पर मौजूद लोग के मुताबिक़ महाराष्ट्र सरकार तो उन्हें सही तरह से बसों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए भेज रही है लेकिन मध्य प्रदेश पहुंचने पर उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जागृत आदिवासी दलित संगठन की माधुरी बहन ने बीबीसी को बताया, “बिजासन घाट पर स्थिति बहुत ही ख़राब है. हर खेप में महाराष्ट्र से चार हज़ार से लेकर पाँच हज़ार मज़दूर आ जाते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश सरकार उन्हें सही तरह से खाना और जाने की व्यवस्था नहीं करवा पा रही है.”

उन्होंने बताया कि मज़दूर यही कह रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार उन्हें व्यवस्थित तरीक़े से ला रही है लेकिन मध्य प्रदेश की तरफ़ से उन्हें किसी भी तरह से मदद नही मिल रही है. स्थिति ऐसी है कि तपती धूप में किसी भी तरह से आने वाले मज़दूरों को छांव तक नहीं मिल पा रही है. वही पानी के नाम पर चंद टैंकर है जिससे ज़रूरत पूरी नही हो पा रही है. महाराष्ट्र के ठाणे से आए एक मज़दूर राजू केवट ने बताया, “हम सुबह ही पहुँच गए थे लेकिन देर रात तक यहां से जाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है.”

उन्होंने कहा, “जितने मज़दूर आ रहे हैं उन्हें ले जाने के लिए उतनी बसें उपलब्ध नहीं हैं.” परेशान मज़दूरों ने दिन में दो से तीन बार सड़क जाम करने की कोशिश की वहीं उन्होंने हल्का पथराव भी किया. माधुरी बहन का कहना है कि कम से कम सरकार को इस जगह पर 200 बसों का इंतज़ाम करना चाहिए लेकिन मुश्किल से 70 बसें उपलब्ध हैं. वहीं जिस तरह से इन मज़दूरों को भेजा जा रहा है उससे कोरोना संक्रमण का ख़तरा फैलने की आशंका अधिक है. अव्यवस्था का हाल यह है कि जैसे ही गाड़ी आती है तो मज़दूर ख़ुद ही भाग कर चढ़ जाते हैं जिसकी वजह से महिलाएं, बच्चे और बुज़ुर्ग छूट जा रहे हैं.

इस जगह पर आने वाले मज़दूर न सिर्फ़ मध्य प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों के हैं बल्कि उनमें दूसरे प्रदेशों के मज़दूर भी हैं. मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें उनके प्रदेश की सीमा तक पहुंचाने की बात कही है लेकिन इन्हें इस जगह से ले जाकर देवास में छोड़ दिया जा रहा है. वहां पर मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि सरकार के पास इन्हें भेजने का कोई प्लान नहीं है. वो सिर्फ़ मज़दूरों को भर कर एक जगह से दूसरी जगह किसी भी तरह से छोड़ने का प्रयास कर रही है.

हालांकि बड़वानी कलेक्टर अमित तोमर का कहना है कि इन मज़दूरों को ट्रांजिट प्वाइंट पर भेजा जा रहा है. उन्होंने कहा, “यहां पर बसों की समुचित व्यवस्था की गई है.”  इधर प्रदेश सरकार ने भोपाल में दावा किया है कि महाराष्ट्र से उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के अन्य ज़िलों के प्रवासी मज़दूरों को उनके घर तक पहुँचाने के लिए 14 मई को बड़वानी ज़िला प्रशासन ने सेंधवा से 160 बसों के ज़रिए 6400 मज़दूरों को देवास ट्रांजिट सेंटर तक भिजवाया है. सरकार ने यह भी दावा किया है कि देवास ट्रांजिट सेंटर से इन प्रवासी मज़दूरों को बसों के माध्यम से उनके गृह ज़िले तक पहुँचाया जा रहा है.

सरकार ने कहा है कि देवास ज़िले से हर दिन औसत 150 बसों की व्यवस्था की गई है, जिनसे लगभग छह से सात हज़ार प्रवासी मज़दूरों को उनके गृह ज़िले तक पहुँचाया जा रहा है. इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा है कि मुरैना ज़िले में गुरुवार को 44 बसों से 2550 मज़दूरों को उनके गंतव्य के लिए रवाना किया गया है. इनमें से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और अन्य प्रांतों से बसों और अन्य वाहनों से आए हुए 2300 मज़दूरों को 40 बसों से उनके गृह ज़िले के लिए रवाना किया गया है.

सरकार का कहना है कि बसों में बैठाने से पहले सभी मज़दूरों की थर्मल स्क्रीनिंग और मेडिकल चेकअप भी किया जा रहा है. इधर प्रवासी मज़दूरों की मध्य प्रदेश लौटने के कार्य की समीक्षा के दौरान अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न प्रदेशों से अभी तक कुल तीन लाख 12 हज़ार प्रवासी मज़दूर मध्य प्रदेश लौट आए हैं. इनमें से 86 हज़ार मज़दूर 72 ट्रेन के माध्यम से प्रदेश वापस लौटे हैं और दो लाख 26 हज़ार मज़दूर बसों आदि के माध्यम से आए हैं.

वहीं मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित सेंधवा चेकपोस्ट के मुताबिक़ हर रोज़ हज़ारों की तादाद में गाड़ियां वहां से निकल रही हैं. माना जा रहा है कि इनमें बड़ी तादाद में उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली गाड़ियां भी हैं. बताया जा रहा है कि पिछले दस दिनों में इस चेकपोस्ट से 75 हज़ार से भी ज़्यादा गाड़ियां निकल चुकी हैं.

( शुरैह नियाजी, बीबीसी हिंदी से साभार )