“औरतों का असम्मान नहीं सहेंगे!”

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महिला दिवस का पालन करने इकठ्ठा हुईं जयपुर बस्ती की महिलाएं और नौजवान

8 मार्च, जयपुर | मंगलवार को जयपुर की झालाना डूंगरी में अन्तर्राष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस पर महिला मीटिंग और चर्चा का आयोजन किया गया। मीटिंग में विभिन्न कार्यों से जुड़ी महिलाएं और नौजवान शामिल हुईं। कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं, घरेलू कामगार, घर पर पीस पर काम करने वाली महिलाओं, कॉल सेंटर कर्मी, सरकारी स्कूल में ऑनलाइन पढ़ाने का काम करने वाली छात्राओं, तथा सफाई कर्मचारी, निर्माण मज़दूर, रेड़ी पटरी लगाने वाली, मंडी में ठुलाई का काम वाली, पार्लर वर्कर और गारमेंट फैक्ट्री वर्कर महिलाओं, और साथ ही क्वीर कामगार महिला साथी ने भी हिस्सा लिया। मीटिंग का आयोजन क्रांतिकारी नौजवान सभा, राजस्थान और नारी के बढ़ते कदम पत्रिका की तरफ से किया गया था।

मीटिंग में अंतर्राष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस के इतिहास की चर्चा हुई और बढ़ते कदम और गोफण पत्रिका के कुछ लेख पढ़े गए। खुले सत्र में महिलाओं ने नारी सम्बंधित और मज़दूर मुद्दों और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की। शराबखोरी का मुद्दा उठाते हुए महिलाओं ने कहा कि यह एक बहुत ही खतरनाक चीज़ है और इससे निपटने के लिए औरतों को संगठित हो कर सरकार, शराब कम्पनियों, शराब ठेकों और शराबी पतियों पर एक साथ धावा बोलना पड़ेगा। घरेलू समस्या के समाधानों की चर्चा करते हुए औरतों ने दहेज़ प्रथा और महिलाओं को असम्मानित करने के प्रचालन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। शादी के बाद माता पिता, परिवार और समाज की महिलाओं के प्रति ज़िम्मेदारी पर भी चर्चा आई और इसके महत्व को उजागर किया गया, खासकर जब औरतों पर ससुराल में अत्याचार हो रहे हों।

कायर्क्षेत्र में महिलाओं की समस्या की चर्चा करते हुए महिलाओं ने कहा कि खराब मजदूरी का सबसे ज़्यादा असर औरतों पर ही होता है। वहीँ दूसरी ओर औरतें जब काम करने या पढ़ने जाती हैं तो समाज उनपर लांछन लगाता है और उन पर तरह तरह के दबाव बनाता है। यह तरीके महिलाओं को घर में बंद करने और उनकी मजबूरी बढ़ाने का कारन बनती हैं। चर्चा में यह बात भी सामने आई कि लगभग हर मज़दूर औरत कर्ज के बोझ तले दबी है और माइक्रो फाइनेंस कंपनी के लोन भी महिलाओं के लिए शोषण का एक जरिया बन जा रहे हैं।

बस्ती के संदर्भ में जातिगत हिंसा और क्वीयर व्यक्ति पर हिंसा और इसके ख़िलाफ़ संघर्ष के अनुभव को भी दोहराया गया और आज के समय में जातिगत हिंसा का सामना कैसे किया जाए इस पर चर्चा की गयी। इन सभी मुद्दों पर आगे काम करने के लिए निरंतर बैठक और पाठक सभा करने का प्रस्ताव ग्रहण किया गया।