अप्रैल महीने में थोक महंगाई बढ़कर 1.26% हो गई है। यह महंगाई का 13 महीने का उच्चतम स्तर है। खाने-पीने की चीजों से लेकर रोजमर्रा के सामानों की कीमत बढ़ने से महंगाई बढ़ी है।
थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित थोक महंगाई दर अप्रैल में तेजी से बढ़कर 13 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। अप्रैल में थोक महंगाई दर (Wholesale inflation rate) 1.26 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.53 प्रतिशत थी।
इस तरह से थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर लगातार छठे महीने धनात्मक क्षेत्र में बनी हुई है। उसके पहले पिछले वित्त वर्ष के ज्यादातर महीनों में थोक महंगाई दर ऋणात्मक यानी अवस्फीति के क्षेत्र में बनी हुई थी। पिछले साल अप्रैल में थोक महंगाई दर -0.79 प्रतिशत थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल के दौरान थोक महंगाई की वजह प्राथमिक रूप से खाद्य वस्तुओं और ईंधन की कीमतों में तेजी थी। खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर नजर डालें तो प्याज (59.7 प्रतिशत), सब्जियों (23.6 प्रतिशत), आलू (71.9 प्रतिशत) और धान (12.03 प्रतिशत) की कीमतों ने मुख्य रूप से थोक महंगाई पर असर डाला है।
बहरहाल मोटे अनाज (8.7 प्रतिशत) और दलहन (16.6 प्रतिशत) की कीमतों में अप्रैल महीने में कमी आई है, पर इनके दाम अभी भी उच्च स्तर पर बने हुए हैं।
वहीं दूसरी तरफ फलों (-1.78 प्रतिशत) और प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों जैसे अंडे व मांस (0.88 प्रतिशत) और दूध (4.2 प्रतिशत) की कीमतों ने अप्रैल में कुछ राहत दी है। सूचकांक में विनिर्मित वस्तुओं का अधिभार 64.2 प्रतिशत है, जिसकी कीमतें अप्रैल में लगातार 14वें महीने भी अवस्फीति (-.042 प्रतिशत) में बनी रहीं। टेक्सटाइल (-1.24 प्रतिशत), कागज (-6.93 प्रतिशत), रसायन (-3.61 प्रतिशत), धातुओं (-3.65 प्रतिशत) व अन्य की कीमतों में संकुचन आया है। हालांकि अप्रैल में विनिर्मित खाद्य वस्तुओं (1.25 प्रतिशत) की कीमतों में तेजी आई है।
अप्रैल में 11 महीने के बाद ईंधन और बिजली (1.38 प्रतिशत) की महंगाई दर धनात्मक क्षेत्र में आई है। हाई स्पीड डीजल, रसोई गैस और पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है, हालांकि इनकी कीमतें कम स्तर पर बनी हुई हैं।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि खाद्य महंगाई का परिदृश्य बेहतर है, क्योंकि सामान्य मॉनसून का अनुमान लगाया गया है। इसकी वजह से कृषि उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘अप्रैल में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ी है। भू-राजनीतिक टकरावों के कारण पश्चिम एशिया में व्यवधान की वजह से आपूर्ति श्रृंखला में अड़चन आई है। पिछले 2 सप्ताह के दौरान ब्रेंट क्रूड की कीमत बढ़ी है। हाल में जिंसों के वैश्विक दाम, खासकर औद्योगिक धातुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से उच्च इनपुट लागत को लेकर निगरानी रखने की जरूरत बढ़ी है। आगे चलकर अगले दो महीने आधार का असर विपरीत रहेगा, ऐसे में थोक महंगाई दर ज्यादा रहेगी।”
भू-राजनीतिक तनावों के कारण बाहरी जोखिम भी बढ़ रहा है, जिस पर नजर रखे जाने की जरूरत है। इससे आपूर्ति श्रृंखला को जोखिम पैदा हो सकता है।’थोक महंगाई दर में वृद्धि के आंकड़े ऐसे समय में आए हैं, जब एक दिन पहले खुदरा खाद्य वस्तुओं की कीमत में मामूली गिरावट के आंकड़े आए थे और खुदरा महंगाई अप्रैल में 4.83 प्रतिशत पर आ गई है।