एसकेएम ने कहा कि हरियाणा सरकार ने शर्मनाक तरीके से किसानों के खिलाफ देशद्रोह के दो व 136 अन्य मामले दर्ज कर अपने लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ा है।
राजद्रोह के मामले दर्ज करना सरकार का औपनिवेशिक रवैये
हरियाणा में भाजपा-जजपा की राज्य सरकार अपने ही लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है। यह तथ्य इससे स्पष्ट होता है कि प्रशासन ने राज्य में विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ देशद्रोह के दो मामलों के अलावा अलग अलग 136 मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों में सरकार ने 687 प्रदर्शनकारियों को नामजद किया है, साथ ही 38000 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी मामले दर्ज किए हैं।
एसकेएम ने कहा, हमारा आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण है तथा आंदोलन करना हमारा संवेधानिक अधिकार है। ऐसी स्थिति में फर्जी मुकदमे दर्ज करना शर्मनाक है, और हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार के किसान विरोधी और जनविरोधी चेहरे को उजागर करता है। एसकेएम ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ राजद्रोह के मामले दर्ज करना सरकार के औपनिवेशिक रवैये को दर्शाता है।
एसकेएम ने इस तथ्य की भी निंदा की कि हरियाणा सरकार ने अपने नवीनतम कदमों में, अन्नपूर्णा उत्सव को बढ़ावा देने की नौटंकी का विरोध करने वाले किसानों पर और अधिक मामले दर्ज कर उन पर हमला किया है। ये मुकदमे अनाज की खाली बोरियों, जिन पर भाजपा और जजपा नेताओं के किसान विरोधी चेहरे छपे थे, को जलाने के लिए लगाए जा रहे हैं।
पंजाब में हजारों गन्ना किसानों का अनिश्चितकालीन धरना जारी
पंजाब के जालंधर में कल, दोआबा किसान संघर्ष समिति और भाकियू दोआबा द्वारा किए गए आह्वान पर और सभी 32 पंजाब किसान संगठनों के समर्थन के साथ पूरे पंजाब से हजारों की संख्या में गन्ना किसानों ने वहां एकत्रित होकर एकजुटता प्रदर्शित की।
विरोध के आह्वान के जवाब में पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा की गई मामूली और अपर्याप्त बढ़ोतरी को संगठनों ने खारिज कर दिया और अपना विरोध तेज किया। प्रदर्शनकारियों ने कल शाम से रेलवे पटरियों पर कब्जा कर लिया ,जिसके चलते रेलवे को 13 ट्रेनों को रद्द करना पड़ा।
पंजाब सरकार ने चार साल से गन्ना किसानों के लिए एसएपी नहीं बढ़ाया है, जबकि महंगाई के चलते किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है। विरोध कर रहे किसान के प्रतिनिधियों और पंजाब सरकार के मंत्रियों के बीच कल दोपहर 12 बजे अहम बैठक होगी। फिलहाल अनिश्चितकालीन धरना जारी है।
सरकार कानूनों को निरस्त करने के लिए बहानेबाजी छोड़े
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने दिल्ली मोर्चे पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की समझ और विश्लेषण को सही साबित किया है। केंद्र सरकार और भाजपा नेता इस बात से इनकार करते रहे हैं कि 3 केंद्रीय कृषि कानूनों का देश की मंडी प्रणाली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों के कृषि कानूनों पर निहितार्थों को स्पष्ट और मजबूत रूप से अभिव्यक्ति कर दिया है।
उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के मंत्री श्रीराम चौहान ने विधानसभा में एक लिखित उत्तर में कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए “एपीएमसी बाईपास अधिनियम” के कारण मंडियों के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के अध्यादेशों के बाद सामने आए नए हालात में नई मंडियों में निवेश नहीं करने का फैसला लिया गया है।
एसकेएम ने कहा कि भाजपा सरकारों और नेताओं को कानूनों को निरस्त नहीं करने के लिए बार-बार यह बहाना दोहराना बंद कर देना चाहिए कि किसानों ने 3 कानूनों और उनके निहितार्थों को गलत समझा है। उन्हें मंडियों के राजस्व में उल्लेखनीय रूप से कम होने, मंडियों से बाहर जाने वाले व्यापार लेनदेन के बारे में और अनियमित व्यापार क्षेत्रों में किसानों के शोषण और धोखाधड़ी के बारे में सबूतों को देखना चाहिए।
भाजपा के सहयोगी दल भी कानूनों को निरस्त करने के पक्ष में
इस बीच, भाजपा के एक सहयोगी दल ने कहा है कि किसान विरोधी कानूनों को निरस्त करने के लिए किसानों की मांग सही है। जनता दल यूनाइटेड के प्रधान महासचिव पूर्व सांसद के०सी० त्यागी कई बयानों के माध्यम से इशारा करते रहे हैं कि 3 केंद्रीय कानूनों का कृषि आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा और यह कि किसान इसे रद्द करने की मांग सही कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बिहार राज्य सरकार ने हाल ही में मुख्यमंत्री के स्वतंत्रता दिवस भाषण के माध्यम से राज्य में बाजार समितियों के पुनरुद्धार की घोषणा की है।
29 अगस्त को नासिक में विशाल ट्रैक्टर रैली की घोषणा
एसकेएम ने कहा कि कल, हमने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि जैसे विभिन्न राज्यों में राज्य स्तरीय सम्मेलनों और महापंचायतों, राजभवन मार्चों, पदयात्राओं सहित चल रहे आंदोलन को मजबूत करने के लिए पूरे भारत में एसकेएम घटकों द्वारा बनाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया था। आज महाराष्ट्र में 29 अगस्त को नासिक में एक विशाल ट्रैक्टर रैली की घोषणा की गई है।
भाजपा नेताओं-मंत्रियों का विरोध जारी
देश के विभिन्न हिस्सों से भाजपा के मंत्रियों और नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। मध्य प्रदेश के रीवा में छात्रों ने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री को काला झंडा दिखाकर विरोध प्रदर्शन किया।
महिला प्रदर्शनकारी के खिलाफ दुर्व्यवहार करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई का अल्टिमेटम
एसकेएम ने कहा है कि चंडीगढ़ में, जब केंद्रीय कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर को काले झंडे दिखाकर विरोध किया जा रहा था, भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा एक महिला प्रदर्शनकारी के खिलाफ दुर्व्यवहार के बारे में सूचित किया है। इस घटना का वीडियो अब तक वायरल हो गया है। चंडीगढ़ पुलिस को अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अल्टीमेटम जारी किया गया है, ऐसा न करने पर किसान अपना विरोध तेज करेंगे।
विपक्षी पार्टियों ने किसानों के संघर्ष को अपना समर्थन दोहराया
एसकेएम ने संज्ञान लिया कि मोदी सरकार द्वारा 11 मुद्दों को संबोधित करने के लिए भारत में 19 विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से 20 सितंबर से 30 सितंबर तक राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा करते हुए कल संयुक्त रूप से एक बयान दिया है। मांगों में से एक “तीन कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करना और किसानों को अनिवार्य रूप से एमएसपी की गारंटी देना” है।
यह बयान किसानों के नौ महीने के ऐतिहासिक संघर्ष का भी हवाला देता है और यह की कहता है कि सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करने में अडिग रही है। विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों द्वारा शुरू किए गए संघर्ष को अपना समर्थन दोहराया है।
एसकेएम यह भी संज्ञान में लेता है कि ऐसे कई अन्य दल भी हैं जो किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं, पर कल जारी किए गए बयान का हिस्सा नहीं रहे हैं। एसकेएम ने कहा अंततः, लोकतंत्र में किसी भी जिम्मेदार और उत्तरदायी राजनीतिक दल को नागरिकों की आवाज सुननी पड़ती है ।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी (268वां दिन, 21 अगस्त 2021)
जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।