मानेसर, गुड़गांव | 20 जून 2023 को मारुति सुजुकी पावरट्रेन एम्प्लोयीज़ यूनियन ने अपने 12वें झंडा दिवस का पालन किया। कंपनी गेट पर आयोजित सभा में क्षेत्र की अधिकतर यूनियनों ने भागीदारी निभाई। मज़दूरों ने उस समय को याद किया जब कंपनी गेट पर प्रबंधन मज़दूरों को खड़ा तक नहीं होने देती थी और यूनियन की स्थापना से मज़दूरों को मिले सम्मान और अधिकारों को बुलंद रखने का संकल्प दिखाया।

इस क्षेत्र की अन्य यूनियनों की तरह ही मारुति पावरट्रेन की यूनियन का इतिहास भी संघर्षों से जुड़ा रहा है। 12 साल पहले, 4 जून 2011 को मारुति मानेसर के मज़दूर यूनियन पंजीकरण की मांग पर अपने प्लांट पर कब्ज़ा करके बैठ गए थे। जहाँ प्रबंधन 14 दिन तक उनकी मांग से इंकार करती रही वहीं उन 14 दिनों में क्षेत्र की अनेकों अन्य कंपनियों में मज़दूरों के आक्रोश को उमड़ने से रोकने के लिए उन्होंने यूनियनों को धड़ल्ले से पंजीकरण नंबर दे दिया। पावर ट्रेन में भी मज़दूरों के एक हिस्से में पहले से यूनियन बनाने की इच्छा और तैयारी पनप रही थी और 20 जून 2011 को इसे भी पंजीकरण मिला।
नवगठित यूनियन ने लगातार कंपनी के अंदर संघर्ष को और तीखा किया व क्षेत्र में चल रहे अन्य संघर्षों, खास तौर से मारुति कार प्लांट के संघर्ष में समर्थन का एक मजबूत स्तंभ बन कर ख़डी रही। ठेका मज़दूरों को धोके से कंपनी से बाहर रखने पर अक्टूबर 2023 में मारुति की हुई दूसरी हड़ताल में पावरट्रेन और सुजुकी बाइक प्लांट के मज़दूरों ने भी दो दिन के लिए अपनी फैक्ट्री पर कब्ज़ा कर लिया था। यूनियन का पंजीकरण रद्द होने और बर्बर पुलिस दमन का खतरा झेल कर मज़दूरों ने अपने संघर्ष को आगे बढ़ाया। उस आंदोलन में निकले तीन मज़दूर नेता 12 साल बाद भी आज के झंडा दिवस से जुड़े रहे।


यूनियन नेताओं ने उठाई आज की चुनौतियाँ; लगायी एकता की गुहार
पावरट्रेन यूनियन के सचिव संदीप ने आज क्षेत्र में यूनियनों पर बढ़ते हमले के बारे में बताते हुए सभा का आरंभ किया। मज़दूरों को और जुझारू संघर्ष की तैयारी करने को कहा। उन्होंने बताया कैसे क्षेत्र की बड़ी बड़ी यूनियनों ओ पिछले कुछ सालों में धराशाही कर दिया गया है। मुकु प्रधान और एमएसएमएस सचिव राजेश ने मज़दूरो को शुभकामनाएं देते हुए आज ठेका मज़दूरों की मांगों को उठाने की बात पर ज़ोर दिया और इसे मज़दूरों की एकता बनाने का महत्वपूर्ण पहलु बताया।
मारूति सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल कमेटी की ओर से खुशीराम ने जेल में बंद सभी मारूति मज़दूरों की रिहाई में अपने संघर्ष द्वारा सहयोग देने के लिए पॉवरट्रेन के मज़दूर साथियों की सरहाना की। उन्होंने अन्य मुद्दों के समक्ष श्रम कानूनों में किये जा रहे परिवर्तन और सरकार के मज़दूर–विरोधी रवैय्ये की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इस विषय पर आंदोलन खड़े करनी की ज़रुरत को रखा। बेल्सोनिका यूनियन के महासचिव अजीत ने हाल ही में बेल्सोनिका में हुए संघर्ष का अनुभव साझा किया और मारूति प्रबंधन व सरकार की सांठगाँठ पर रौशनी डाली। सभा में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
मारूति सुजुकी पॉवरट्रेन एम्प्लाइज यूनियन (1912) के प्रधान मुकेश ने यूनियन के झंडे के तहत मज़दूरों की विभिन्न मांगों के लिए और भी एकजुट संघर्ष को खड़ा करने का आह्वान करते हुए और सभी शामिल होने वाली यूनियनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए सभा का समापन किया।


