14 प्रगतिशील छात्र-युवा संगठनों के संयुक्त आह्वान पर दिल्ली के जंतर-मंतर पर देशभर से जुटेंगे छात्र-युवा, करेंगे आवाज़ बुलंद। देश के विभिन्न हिस्सों में तैयारी जोरों पर जारी।
दिल्ली। आने वाले 8 अक्टूबर को दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर दिल्ली समेत देश के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले 14 प्रगतिशील छात्र-युवा संगठनों द्वारा देश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था, शिक्षा में बढ़ता निजीकरण और नई शिक्षा नीति 2020 के विरोध में एक कन्वेंशन का आह्वान किया गया है।
इस खुले कन्वेन्शन के लिए दिल्ली एनसीआर सहित आंध्र-प्रदेश, तेलंगाना से लेकर बंगाल, बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब तक विभिन्न छात्र-युवा संगठनों द्वारा प्रचार अभियान जोरों से चल रहा है।
आयोजक 14 प्रगतिशील छात्र-युवा संगठनों ने देश की चरमराई शिक्षा व्यवस्था और बढते निजीकरण एवम शिक्षा को लेकर सरकार की नीतियों के खिलाफ एक साझा बयान जारी करते हुए बताया है कि शिक्षा बजट में 1999-2000 में 4.25% से लगातार कटौती करते हुए जहां यह घटकर 2023-24 में 2.9% पर आ गई है वहीं 1995 में निजी विश्वविद्यालय की शुरुआत हो कर आज यह बढ़कर 432 निजी विश्वविद्यालय के स्तर पर पहुंच गया है।
साझा बयान में केंद्र सरकार द्वारा शिक्षा नीति में बदलाव करते हुए 2020 में लाई गई नई शिक्षा नीति 2020 की आलोचना करते बताया गया कि इस नीति के माध्यम से कैसे केंद्र में बैठी फासिस्ट सरकार शिक्षा को निजी हाथों में धकेलने और कॉरपोरेट सेक्टर को सस्ते से सस्ता कुशल एवम अकुशल श्रम उपलब्ध कराने की राह पर काम कर रही है।
साथ ही विद्यालयों एवम विश्वविद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा आरएसएस और अपने लोगों को नियुक्त कर अपने कब्जे में लेकर शिक्षा का पूर्ण रूप से भगवाकरण करने की कोशिश कर रही है।
8 अक्टूबर को नई शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ अपने सोलह सूत्रीय मांगों के साथ कन्वेंशन का आह्वान किया है।

मांगे –
1) छात्र विरोधी नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को निरस्त करें।
2) शासक वर्ग द्वारा अपनाई जा रही शिक्षा के निजीकरण और व्यावसायीकरण की नीतियों के खिलाफ एकजुट हों। सार्वजनिक निजी भागीदारी, विदेशी सहयोग और शिक्षा के स्व-वित्तपोषण मॉडल को अस्वीकार करें।
3) शैक्षणिक संस्थानों और छात्रों पर फासीवादी हमलों के खिलाफ लड़ाई तेज करें।
4) शिक्षा के भगवाकरण और फासीवादी ताकतों के एजेंडे को लागू करने के लिए पाठ्यक्रम में अवैज्ञानिक बदलाव का विरोध करें।
5) सभी के लिए स्थायी और सम्मानजनक रोजगार सुनिश्चित करना।
6) भाषा थोपने की नीति का विरोध करें।
7) सभी के लिए अपनी मातृभाषा में वैज्ञानिक, तर्कसंगत, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के लिए संघर्ष करें।
8) शिक्षण संस्थानों में जाति और लिंग आधारित भेदभाव और अत्याचारों का विरोध करें।
9) विभिन्न छात्रवृत्तियों को रोकने एवं कटौती और शिक्षण संस्थानों में बेतहाशा फीस वृद्धि का विरोध करें। शैक्षणिक संस्थानों के वित्त पोषण की राज्य की जिम्मेदारी निजी हाथों में सौंपने के वित्तीय स्वायत्तता/’ग्रेडेड ऑटोनॉमी’ मॉडल को अस्वीकार करें।
10) छात्र संघ बनाने के अधिकार के लिए और प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में बहस और असहमति के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए लड़ें, आदि।