ब्रिटानिया, पंतनगर के ठेका मज़दूरों की हड़ताल समाप्त; आश्वासन के बाद मज़दूर लौटे काम पर

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कम वेतन, ड्यूटी कम मिलने व काम पर आने के बाद वापस लौटाने की कुप्रथा से मज़दूर आक्रोशित थे। 30 नवंबर से हुई इस हड़ताल में बड़ी संख्या में महिला मजदूरों की भागीदारी रही।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। सिड़कुल पंतनगर स्थित ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी के ठेका मज़दूरों की पाँच दिनों तक चली हड़ताल अंततः एक आश्वासन के साथ समाप्त हो गई और सभी मज़दूर 5 दिसम्बर से काम पर वापस लौट गए।

दरअसल बीते 30 नवंबर को दिन में 1:00 से लगभग 1800-2000 महिला व पुरुष मजदूरों ने सामूहिक रूप से काम बंद कर दिया था। जुझारू तरीके से चले इस आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला मजदूरों की भागीदारी रही।

मज़दूरों की वेतन बढ़ोतरी और महीने में पूरी व नियमित ड्यूटी देने की मुख्य माँग थी। उन्हें न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है। कम वेतन और ड्यूटी कम मिलने व काम पर आने के बाद वापस लौटाने की कुप्रथा से मज़दूरों में काफी आक्रोश व्याप्त है।

मज़दूर कम से कम ₹15000 वेतन देने, बसों में रुपए की कटौती पर रोक लगाने, घर से ड्यूटी पर पहुँचने के बाद वापस करने पर रोक लगाने जैसी सामान्य माँग कर रहे थे।

मज़दूरों का आरोप है कि पिछले लम्बे समय से कम्पनी द्वारा उनके वेतन में महंगाई भत्ते के अलावा किसी भी प्रकार की कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है। वर्तमान में यहाँ ठेका मज़दूरों को मासिक महज आठ हजार रुपए निर्धारित हैं, लेकिन ड्यूटी पूरी नहीं मिलने के कारण हर महिनें हाथ में पैसा और कम आता है। ड्यूटी आने के बाद भी उन्हें वापस लौटाया जाता है।

ज्ञात हो कि वर्तमान में उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा न्यूनतम वेतन- अकुशल मज़दूर के लिए ₹9913, अर्द्धकुशल मज़दूरों के लिए ₹10488 तथा कुशल मज़दूरों के लिए ₹11070 निर्धारित है।

ऐसे में आक्रोशित मज़दूरों ने प्लांट से बाहर निकलकर 30 नवंबर से हड़ताल कर दी और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रबंधन ने पुलिस बुला ली। पुलिस, ठेकेदार के सुपरवाइजरों और कंपनी के अधिकारी मजदूरों को काम पर जाने को कहा, लेकिन मज़दूर वेतन बढ़ाने और महीने में 26 ड्यूटी देने की मांग के साथ डटे रहे।

ब्रिटानिया में कार्यरत ये आंदोलित मज़दूर कन्हैया कॉरपोरेशन ठेकेदार के मातहत हैं। वर्तमान में इस ठेके में लगभग 1500 मज़दूर कार्यरत है। इसके अलावा नैप्स के तहत भी लगभग 200 मज़दूर कार्यरत हैं। मज़दूर वेतन बढ़ोत्तरी के लिए पूर्व में भी कई बार मांग पत्र दे चुके हैं। प्रबंधन व ठेकेदार मजदूरों को धमकाकर मामले को दबा देते हैं।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटानिया कंपनी प्रबंधन द्वारा संविदा श्रम अधिनियम 1970 का घोर उल्लंघन कर अप्रशिक्षित ठेका मजदूरों को खतरनाक मशीनों पर कार्य कराया जा रहा है।

एएलसी के साथ वार्ता व ठेकेदार के साथ सहमति

4 दिसम्बर को सहायक श्रमायुक्त की मध्यस्थता में प्रबंधन, ठेकेदार व श्रमिक प्रतिनिधियों की वार्ता हुई। जहाँ प्रबंधन ने बताया कि उन्होंने वेतन बढ़ोत्तरी के लिए अपने ऊपर के अधिकारियों को पत्र लिखा है। बाकी अन्य मांगों को जल्द ही पूरा करने का आश्वासन भी दिया। महंगाई भत्ते में कम बढ़े ₹200 इस महीने से बढ़ाने की भी बात हुई। साथ ही सभी को काम पर लेने व किसी का आंदोलन के करण उत्पीड़न न करने के भी एएलसी ने निर्देश दिया। अगली वार्ता की तिथि 11 दिसंबर है।

मजदूर प्रतिनिधियों ने वार्ता के बाद मज़दूरों को पूरी स्थिति से अवगत कराया। मजदूर इसपर राजी नहीं हुए और आंदोलन को आगे बढ़ाने की बात की। काफी चर्चा के बाद अंततः मज़दूर काम पर जाने को सहमत हुए। देर रात मज़दूरों के एक पत्र पर, जिसमें मज़दूर प्रतिनिधियों व ठेकेदार के हस्ताक्षर हैं, लिखित सहमति बनी।

देर रात तक बनी इस सहमति व आश्वासन के बाद 5 दिसम्बर से सभी मज़दूर काम पर वापस चले गए हैं।