तीन सालों में फूड डिलीवरी श्रमिकों की वास्तविक आय 11.1% कम हो गई -रिपोर्ट

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भूखे प्यासे दूसरों का पेट भरने के लिए फूड डिलिवरी करने वाले श्रमिकों की हालात खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक फूड डिलिवरी कर्मचारियों की औसत आमदनी में लगातार कमी आई है।

फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म: फूड डिलिवरी काम में लगे युवकों को काम के घंटों के हिसाब से कमाई कम हो रही है। भूखे प्यासे दूसरे लोगों का पेट भरने के लिए फूड डिलिवरी करने वालों युवकों की हालात खराब है। रिपोर्ट के मुताबिक फूड डिलिवरी प्लेटफार्म से जुड़े कर्मचारियों की औसत आमदनी में 2019 और 2022 के बीच कमी आई है। इसकी मुख्य वजह महंगाई और ईंधन की लागत में बढ़ोतरी है। इससे फूड डिलिवरी कर्मचारियों की परिवार का खर्च चलाने की क्षमता कम हुई है। नेशनल काउंसिल आफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (NCAER) की रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है।

सोशियो-इकनॉमिक इंपैक्ट असेसमेंट आफ फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म वर्कर्स नाम से जारी रिपोर्ट NCAER द्वारा चलाए जा रहे शोध कार्यक्रम का ये पहला हिस्सा है। जिसमें फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म के लिए काम करने वाले कर्मचारियों के रोजगार के तरीके, आमदनी, काम करने के माहौल पर अध्ययन किया है। इसमें 924 फूड डिलिवरी कर्मचारियों पर अध्ययन किया गया। जो अलग अलग शहरों में कार्यरत हैं। इसमें फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले और फूड डिलिवरी का काम छोड़ चुके कर्मचारियों की गतिविधियों, काम की अवधि (कितने समय तक प्लेटफॉर्म पर काम किया) और काम करने की अवधि ( 11 घंटे की शिफ्ट या 5 घंटे की छोटी शिफ्ट, साप्ताहिक अवकाश आदि) को शामिल किया गया।

लंबी शिफ्ट में काम करने वाले फूड डिलिवरी कर्मचारियों (11 घंटे तक काम करने वाले) की वास्तविक आमदनी 2019 के 13,470 रुपए प्रति माह से 11.1 फीसदी घटकर 2022 में 11,963 रुपए रह गई है। वहीं छोटी शिफ्ट में काम करने वाले फूड डिलिवरी कर्मचारियों (5 घंटे काम) की आमदनी इस अवधि के दौरान 7999 रुपए से 10.4 प्रतिशत घटकर 7,157 रुपए रह गई है।

छोटी शिफ्ट में काम करने वाले फूड डिलिवरी कर्मचारियों के काम के घंटे यथावत हैं। जबकि लंबी शिफ्ट में काम करने वाले फूड डिलिवरी कर्मचारियों के काम के घंटे 19 फीसद बढ़कर 10.9 घंटे प्रतिदिन हो गए हैं, जो पहले 9.3 घंटे थे। प्लेटफॉर्म से जुड़े फूड डिलिवरी कर्मचारियों की वास्तविक आमदनी समय बीतने के साथ कम हुई है। इसकी प्राथमिक वजह महंगाई है।

लंबी शिफ्ट के फूड डिलिवरी कर्मचारियों को लक्ष्य हासिल करना कठिन है (जिससे आमदनी बढ़ती है), जिसकी वजह यातायात भीड़ और बढ़ती प्रतिस्पर्धा है। सभी फूड डिलिवरी कर्मचारियों की औसत आमदनी घटी है। इससे परिवार का मासिक खर्च उठाने की क्षमता कम हुई है। लंबी शिफ्ट में काम करने वालों की आमदनी घटी है। रिपोर्ट जारी करते हुए एनसीएईआर की प्रोफेसर बरनाली भंडारी ने कहा कि फूड डिलिवरी प्लेटफॉर्म के काम को अब औपचारिक रोजगार बनाए जाने की जरूरत है। जिससे दुर्घटना बीमा और लिखित कांट्रैक्ट के लाभ सभी फूड डिलिवरी कर्मचारियों को मिल सके।