सरस्वती विद्या मंदिर में 9 साल के दलित छात्र ने स्कूल में रखे एक मटके से पानी पी लिया था। इस बात पर शिक्षक ने पिटाई कर दी। इलाज के दौरान मौत से इलाके में रोष।
जयपुर, 14 अगस्त। राजस्थान के जालौर में दलित छात्र की मौत के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। मृतक दलित छात्र के परिजनों ने बच्चे का शव उठाने से इंकार कर दिया है। लोगों में नाराजगी बढ़ती गई। मामला बढ़ता देख पुलिस ने बल प्रयोग किया।
परिजनों और प्रशासन के बीच चल रही वार्ता विफल रही और परिजनों ने शव उठाने से मना कर दिया। इसके बाद हालात बेकाबू हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद पत्थरबाजी शुरू हो गई। पुलिस ने लोगों को खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया। जिसमें कई लोगों को चोटें आई। घायलों में ज्यादातर लोग परिवार के रिश्तेदार ही है।
मृतक छात्र इंद्र मेघवाल का सव रविवार को गांव पहुंचा था। बच्चे के अंतिम संस्कार को लेकर परिजनों और प्रशासन के अधिकारियों के बीच वार्ता चल रही थी। परिजनों ने अधिकारियों से 50 लाख रुपए मुआवजा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी और स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की। अधिकारियों ने उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया। लेकिन वहां मौजूद भीम आर्मी के सदस्यों ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे लेकर ट्वीट करें। उसे देखने के बाद ही हम शव उठाएंगे। अधिकारियों ने कहा कि यह एकदम से नहीं हो सकता।
इस बात पर तनाव का माहौल बन गया और गहमागहमी में धक्का-मुक्की शुरू हो गई। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा। पुलिस ने परिजनों को छोड़कर सभी रिश्तेदारों को घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद अधिकारियों और परिजनों के बीच मुआवजे पर सहमति बनी और देर शाम बच्चे का अंतिम संस्कार किया गया।
मटके से पानी पीने से शिक्षक ने की थी छात्र की पिटाई
जालौर के जायला थाना क्षेत्र में सुराणा गांव के 9 साल का इंद्र मेघवाल सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। 20 जुलाई को इस दलित बच्चे ने स्कूल में रखे एक मटके से पानी पी लिया था। इस मटके से केवल शिक्षक पानी पीते थे। इस बात पर शिक्षक छैल सिंह ने छात्र की पिटाई कर दी। घर पहुंचने के बाद उसकी तबीयत बिगड़ी तो परिजन उसे लेकर अस्पताल पहुंचे।
हालत बिगड़ने पर उसे उदयपुर रेफर कर दिया गया। जहां कई दिन इलाज चलने के बाद भी उसकी तबीयत नहीं सुधर पाई। इसके बाद परिजनों से अहमदाबाद के एक निजी अस्पताल लेकर चले गए।
लगातार इलाज के बावजूद बच्चे की हुई मौत
जहां कई दिन इलाज के बाद शनिवार को बच्चे की मौत हो गई थी। शिक्षक द्वारा पिटाई करने से बच्चे के कान की नस फट गई और उसके एक हाथ और पैर भी ठीक से काम नहीं कर रहे थे।
अंततः गहरे जड़ जमाई जातिवादी मानसिकता, शिक्षक का सवर्ण अहंकार और सामाजिक विद्रूपता व दलितों के प्रति सामाजिक परिवेश ने एक दलित बच्चे की जान ले ली।