सरकार 150 निजी ट्रेनों को चलाने, सौ से ज्यादा स्टेशनों को भी पीपीपी में देने, राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के तहत सार्वजनिक परिसंपत्तियों में से अपनी हिस्सेदारी बेचने को तैयार है।
रेलनिजीकरण को लेकर यूनियनों द्वारा किए जा रहे आंदोलन के बीच रेलवे ने निजीकरण की तरफ एक और कदम बढ़ाया है। अभी तक रेल ट्रैक का रखरखाव रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग ही करता रहा है, लेकिन यह कार्य भी अब निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी है। इसके लिए महकमे की ओर से पिछले दिनों टेंडर भी निकाला गया है। रेलवे के इस निर्णय से यूनियन नेताओं में गहरी नाराजगी है।
उत्तर रेलवे की ओर से निकाला गया एक टेंडर इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। ट्रैक के रखरखाव कार्य से जुड़ा यह टेंडर उत्तर रेलवे दिल्ली की ओर से निकाला गया है। इसमें छह स्थानों पर ट्रैक के रखरखाव के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं। इसकी अंतिम तिथि पांच नवंबर निर्धारित की गई है। देश के सभी जोनल रेलवे द्वारा ट्रैक के रखरखाव की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग को ही दी जाती है, लेकिन इस टेंडर के माध्यम से यह कार्य निजी एजेंसी से कराया जा रहा है। इसे लेकर नार्थ सेंट्रल रेलवे इंप्लाइज संघ के जोनल महामंत्री आरपी सिंह ने नाराजगी जताई है।
उनके मुताबिक रेलवे में निजीकरण का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कहा कि अभी उत्तर रेलवे की ओर से ही यह प्रक्रिया शुरू की गई है, लेकिन यह तय है कि उत्तर मध्य रेलवे के साथ अन्य जोनल रेलवे भी आने वाले दिनों में अपने ट्रैक का रखरखाव निजी हाथों में सौंप देंगे। इसके विरोध में यूनियन द्वारा उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज, झांसी और आगरा मंडल में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। हालांकि रेलवे अफसरों की ओर से टेंडर को लेकर कहा गया कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। ट्रैक रखरखाव के कई कार्य आउट सोर्सिंग से करवाए जाते रहे हैं।
रेलवे में निजीकरण को लेकर लंबे समय से कवायद चल रही है। पिछले वर्ष ही भारतीय रेलवे ने 109 रूटों पर 151 मॉडर्न ट्रेन चलाए जाने को लेकर प्राइवेट कंपनियों से आवेदन मांगे थे। इस बीच देश की पहली निजी ट्रेन लखनऊ-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस की शुरुआत हुई। इसके बाद काशी महाकाल एक्सप्रेस भी चली। आने वाले समय में तकरीबन 150 ट्रेनों को रेलवे निजी निवेश द्वारा चलाना चाहता है।
इसके अलावा प्रयागराज जंक्शन, कानपुर सेंट्रल समेत सौ से ज्यादा स्टेशनों को भी पीपीपी मोड पर विकसित किया जाना है। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना के तहत अगले चार वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों में से सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव इसे सीधे तौर पर निजीकरण से जोड़ कर देखते हैं।
अमर उजाला से साभार