पुडुचेरी: हड़ताली बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को मासा का समर्थन, दमन का विरोध

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MASA हड़ताली पुडुचेरी बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का समर्थन करती है!

MASA पुडुचेरी सरकार से बिजली के निजीकरण के अपने प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करती है !

केवल 49% निजी हिस्सेदारी और 51% सरकारी हिस्सेदारी के आश्वासन पर हड़ताल स्थगित करना कोई समाधान नहीं है!

पुडुचेरी बिजली वितरण सेवाओं की बोली प्रक्रिया शुरू करने के लिए 27 सितंबर 2022 को पुडुचेरी सरकार द्वारा प्रस्ताव (आरएफपी) जारी करने के बाद पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारी और इंजीनियर 28.9.2022 से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। लगभग 20,000 कर्मचारियों और इंजीनियरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है । हड़ताल सफल रही और पांचवें दिन में प्रवेश कर गई है। राज्य सरकार जहां गांधी के जन्मदिन पर आरएसएस की रैली की व्यवस्था में लगी हुई है, वहीं आंदोलन अपने चरम पर पहुंच गया है। आम जनता सड़कों पर उतर आई है और इस मुद्दे से निपटने में गैर जिम्मेदार सरकार के खिलाफ अपना गुस्सा निकाल रही है।

निजीकरण के फ़ैसले को निरस्त करने के बजाय, राज्य सरकार ने हड़ताल तुरंत वापस नहीं लेने पर पुडुचेरी के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को एस्मा से धमकाना शुरू कर दिया। इसके अलावा, राज्य सरकार ने सीआरपीएफ और पुलिस भेजकर लगभग 700 कर्मचारियों को उस वक्त गिरफ्तार किया है, जब ये कर्मचारी अपने केंद्रीय कार्यालयों में बैठे थे और शांतिपूर्ण विरोध जारी रखे हुए थे। उन्हें 03.10.2022 को सुबह-सुबह सीआरपीएफ की हिरासत में ले लिया गया।

हमें लगता है, यह बिजली (संशोधन) विधेयक, को लागू करने का एक कुटिल प्रयास है, जिसे समीक्षा के लिए संसदीय चयन समिति को भेजा गया था। केंद्र और पुडुचेरी केंद्र शासित प्रदेश दोनों में देशभक्ति का दंभ भरने वाली, भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने तथाकथित नैतिकता और लोकतंत्र के बारे में कभी चिंता नहीं की।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (AIPEF) और नेशनल को-ऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (NOCEEE) ने पहले भी बिजली के निजीकरण के खिलाफ अभियान चलाया था और बताया था कि यह कितना विनाशकारी कदम है। अब तक देश भर के 13 मुख्यमंत्रियों ने इसका विरोध किया है। इस बिल को आगे बढाने पर ऑल सेंट्रल ट्रेड यूनियन और किसान संगठन एसकेएम ने गंभीर आंदोलन की चेतावनी दी थी ।

भाजपा सरकार बिजली (संशोधन) बिल, 2022 को जल्द से जल्द आगे बढ़ाने के लिए बहुत जल्दबाजी में है। इससे पहले, उसने चंडीगढ़ में भी ऐसा ही करने की कोशिश की है।लेकिन, इस कदम को पीछे लेना पड़ा था। ईसके बावजूद बार-बार यह चंडीगढ़, पुडुचेर जैसे छोटे केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली के निजीकरण को लागू करने की कोशिश कर रही है इसी आधार पर इस निजीकरण का और व्यापक रूप से विस्तार करने के फिराक में है । भाजपा शासित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भगवाकरण और निजीकरण के लिए इनके परीक्षण की प्रयोगशाला बन गए हैं ।

इस गलत मंशा को समझते हुए, यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हड़ताली कार्यबल के कंधे से कंधा मिलाकर अपनी एकजुटता दिखाएं। 51% सरकारी हिस्सेदारी के आश्वासन पर भरोसा करके हड़ताल स्थगित नहीं की जा सकती है।

बेशक, ऐसे सेवा क्षेत्र में अनिश्चितकालीन हड़ताल एक परेशानी का सबब है। इस प्रक्रिया में हमें बहुत कष्ट झेलने पड़ते है। सरकार भी पानी की आपूर्ति जैसी परेशानियों को दिखाकर और हड़ताली कामगारों को अलग-थलग करने की कोशिश कर आम जनता को भड़का रही है। यह हड़ताली कामगारों को कंधा देने और बिजली क्षेत्र का निजीकरण होने पर विनाशकारी क्षति को रोकने के लिए अभियान चलाने का समय है।

भारतीय मजदूर वर्ग को हड़ताली जनसमूह के साथ एकजुटता बढ़ाने और साथ ही बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन के प्रति आम जनता का समर्थन जुटाने की द्वन्दात्मक भूमिका निभानी पड़ेगी ।

मासा मांग करती है कि:-

  • मासा, केंद्र और पुडुचेरी सरकार से बिजली के निजीकरण की दिशा में उठाए कदम को निरस्त करने और हड़ताली पुडुचेरी बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों को परेशान करना बंद करने की मांग करती है।
  • मासा पुडुचेरी सरकार से गिरफ्तार कामगारों को रिहा करने और उनके खिलाफ सभी मामले वापस लेने का आग्रह करता है।
  • मासा, सभी ट्रेड यूनियनों, जन आंदोलनों और लोकतांत्रिक ताकतों से पुडुचेरी के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ खड़े होने का आह्वान करती है।
  • बिजली (संशोधन) बिल 2022 रद्द करो।

मासा के घटक संगठनों द्वारा जारी

1) ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल
2) ग्रामीण मजदूर यूनियन, बिहार
3) इंडियन सेंटर ऑफ ट्रेड यूनियंस (ICTU)
4) इंडियन फेडरेशन ऑफ ट्रेड यूनियंस (IFTU)
5) IFTU (सर्वहारा)
6) इंकलाबी मजदूर केंद्र
7) इंकलाबी मजदूर केंद्र, पंजाब
8) जन संघर्ष मंच हरियाणा
9) कर्नाटक श्रमिक शक्ति
10) लाल झंडा मजदूर यूनियन (समन्वय समिति)
11) मजदूर सहायता समिति
12) मजदूर सहयोग केंद्र
13) न्यू डेमोक्रेटिक लेबर फ्रंट – स्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी (NDLF SCC), तमिल नाडु
14) सोशलिस्ट वर्कर्स सेंटर, तमिलनाडु
15) स्ट्रगलिंग वर्कर्स कोऑर्डिनेशन सेंटर (SWCC), पश्चिम बंगाल
16) ट्रेड यूनियन सेंटर ऑफ इंडिया (TUCI)