मज़दूर-किसान संगठन साझे दुश्मन के खिलाफ़ एकजुट
सोमवार को देशभर में ‘निजीकरण विरोधी’ व ‘महँगाई विरोधी’ दिवस मनाया गया। अनेक ट्रेड यूनियनों, छात्र संगठनों, किसान संगठनों व अन्य जन अधिकार संगठनों ने देशभर में विरोध प्रदर्शन किए, रेलवे स्टेशनों पर हड़ताल की और अपने मांग पत्र सौपें। इस संबंध में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम ज्ञापनदिए गए।
आज देश भर में मज़दूर-मुलाजिम संगठनों ने ‘निजीकरण विरोधी दिवस’ मनाते हुए हुक्मरानों की पूँजीपति पक्षधर और मज़ूदरों, मेहनतकशों के खिलाफ़ निजीकरण की नीति रद्द करने की जोरदार माँग उठाई । बैंक कर्मचारी सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ़ आज से दो दिन की देश व्यापी हड़ताल पर चले गए हैं। किसान संगठनों ने भी इन मुद्दों पर रोष प्रदर्शन करके आवाज़ बुलंद की है।
केंद्रीय सरकार द्वारा इस साल के बजट में पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (पीएसयू) के बड़े स्तर पर निजीकरण करने की नीतियों का विरोध किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान आंदोलन के साथ जोड़ कर निजीकरण का विरोध किया।

देशभर में रेलवे स्टेशनों व दफ्तरों में प्रदर्शन
बैंक कर्मचारी की दो दिन की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में, 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा ने नरेंद्र मोदी सरकार की निजीकरण की नीतियों का विरोध करते हुए रेलवे स्टेशनों पर नारेबाज़ी की। जगह-जगह निजीकरण व महँगाई के खिलाफ प्रदर्शन हुए। इस दौरान, बैंक कर्मचारियों की हड़ताल को अन्य पब्लिक सेक्टर की यूनियनों का भी समर्थन मिला।
देश भर में भारत संचार निगम लिमिटेड(बीएसएनएल) के कर्मचारियों ने लंच के दौरान प्रदर्शन किया। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया(आरबीआई) के कर्मचारियों ने भी ऑल इंडिया रिज़र्व बैंक एम्प्लॉयीज़ एसोसिएशन और ऑल इंडिया रिज़र्व बैंक वर्कर्स फ़ाउंडेशन के आह्वान पर लंच के दौरान प्रदर्शन किया।
राजधानी दिल्ली में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने धरना प्रदर्शन किया गया जिसमें ट्रेड यूनियन के ज़्यादातर सदस्य और नेता शामिल हुए। ऐसे ही प्रदर्शन हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना और अन्य राज्यों के ज़िलों में भी किये गए।

खबर के मुताबिक पूरे भारत में 1 लाख से ज़्यादा जगहों पर दफ़्तरों और रेलवे स्टेशनों के सामने प्रदर्शन किये गये। किसानों ने ग्रामीण क्षेत्रों में शामिल होकर अपना विरोध दर्ज किया।
किसान मोर्चों पर प्रतिरोध
मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा आंदोलन आज 110वें दिन भी जारी रहा। मोर्चा के आह्वान पर प्रदर्शन स्थलों पर निजीकरण, कॉर्पोरेटिकरण व महँगाई के खिलाफ मुखर प्रदर्शन हुए।

भिवानी और दादरी के रेलवे स्टेशनों पर किसान और मजदूर इकट्ठे हुए और प्रदर्शन किया।

आज संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद के 46 वें सत्र के संबोधन में, ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ के डॉ दर्शन पाल ने ज़ोर देकर कहा कि किसान जिन 3 केंद्रीय कानूनों का विरोध कर रहे हैं, ये कानून संयुक्त राष्ट्र के “किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों के अन्य कामगारों के अधिकारों की घोषणा” का उल्लंघन करते है। भारत इस अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र का एक हस्ताक्षरकर्ता है।

उत्तराखंड
रुद्रपुर। देशव्यापी निजीकरण और महंगाई विरोधी दिवस पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा के नेतृत्व में मज़दूरों ने श्रम भवन रुद्रपुर में प्रदर्शन किया और देश के महामहिम राष्ट्रपति के नाम 3 सूत्री ज्ञापन भेजा। साथ ही बैंकों की देशव्यापी हड़ताल को मोर्चा ने समर्थन दिया। इंटरार्क मज़दूर संगठन किच्छा के कोषाध्यक्ष साथी राजकुमार की दुर्घटना में मौत पर दो मिनट मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

उप श्रमायुक्त, उधम सिंह नगर के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे गए ज्ञापन के माध्यम से सार्वजनिक संपत्तियों को बेचने और निजीकरण पर तत्काल रोक लगाने, आवश्यक वस्तुओं पर बढ़ती महंगाई पर लगाम लगाने और कॉरपोरेट पक्षीय तीन कृषि कानूनों व मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द करने की माँग की।

प्रदर्शन में थाई सुमित नील ऑटो (जेबीएम), इंटर्रार्क, नेस्ले कर्मचारी संगठन, राने मद्रास, वोल्टास, भगवती-माइक्रोमैक्स, ब्रिटानिया, कारोलीय लाइटिंग, बजाज मोटर्स, रॉकेट रिद्धि सिद्धि, टाटा औटोकॉम, एडविक आदि यूनियनों के साथ इन्कलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर सहयोग केंद्र, मासा, तराई किसान संगठन शामिल रहे।
पंजाब
लुधियाना। आज मज़दूरों और नौजवानों के विभिन्न संगठनों ने लुधियाना के समराला चौक पर केंद्र की मोदी सरकार व विभिन्न राज्य सरकारों की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ़ जोरदार रोष प्रदर्शन किया। इलाके में पैदल मार्च भी किया गया।

रोष प्रदर्शन को टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष राजविंदर, इंकलाबी मज़दूर केंद्र के सुरेश, लोक एकता संगठन के गल्लर चौहान, जमहूरी अधिकार सभा से प्रो. जगमोहन सिंह, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन के विजय नारायण, कारखाना मज़दूर यूनियन की विमला, नौजवान भारत सभा के नवजोत आदि ने संबोधित किया।
फिरोजपुर। आल इंप्लाइज को-आर्डिनेशन समिति फिरोजपुर की ओर से 15 मार्च को रेलवे स्टेशन फिरोजपुर में रैली आयोजित हुई।

सोमवार को जालंधर कैंट रेलवे स्टेशन पर किसान जत्थेबंदियों ने धरना प्रदर्शन करके केंद्र सरकार से कृषि कानून वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा की अगुआई में किया गया।
हरियाणा
कुरुक्षेत्र। जन संघर्ष मंच हरियाणा की कुरुक्षेत्र इकाई की ओर से सर्व कर्मचारी संघ व अन्य संगठनो के साथ मिल कर कुरुक्षेत्र् जंक्शन रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन व धरना दिया गया व खट्टर मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगाये गये।

मंच की प्रान्तीय महासचिव सुदेश कुमारी, जिला उपाध्यक्ष ऊषा कुमारी, एसओएसडी की कन्वीनर कविता विद्रोही, एस के एस नेता औमप्रकाश, सीटू की ओर से भीम सिंह सैनी, किसान नेता प्रताप सिंह व अन्य कर्मचारी नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए एक सुर में मोदी सरकार से मांग की है कि सरकार रेलवे व अन्य सरकारी संस्थानों का निजीकरन बन्द करे, तीनों काले कृषि कानून व मजदूर विरोधी चार लेबर कोड रद्द करे।
सुदेश कुमारी ने आम जनता का आह्वान किया कि ऐसी स्थिति में मजदूरों का किसान आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेना अति जरूरी है ताकि मोदी सरकार को मजबूर किया जा सके कि वह तीन काले कृषि कानूनों व मजदूर विरोधी 4 लेबर कोड वापस ले और सरकारी संस्थानों व सेवाओं को पूंजीपतियों को बेचने पर रोक लग सके।

यमुनानगर। निजीकरण के विरोध में देश भर में सोमवार को ट्रेड यूनियनों, राज्य सरकार के कर्मचारियों, बैंक कर्मचारियों और संयुक्त किसान मोर्चा ने इकट्ठा होकर प्रदेश और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया.
उत्तरप्रदेश
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच, वर्कर्स फ्रंट और युवा मंच के कार्यकर्ताओं ने निजीकरण, महंगाई और कारपोरेटपरस्त नीतियों के खिलाफ पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया।

लखीमपुर खीरी में आईपीएफ के प्रदेश अध्यक्ष डा. बी. आर. गौतम, सीतापुर में मजदूर किसान मंच नेता सुनीला रावत, युवा मंच के नागेश गौतम, अभिलाष गौतम, लखनऊ में वर्कर्स फ्रंट अध्यक्ष दिनकर कपूर, उपाध्यक्ष उमाकांत श्रीवास्तव, एडवोकेट कमलेश सिंह, सोनभद्र में प्रदेश उपाध्यक्ष कांता कोल, कृपाशंकर पनिका, मंगरू प्रसाद गोंड़, राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, सूरज कोल आदि लोग शामिल थे।
हापुड़। बिजली की निजीकरण सहित अपनी अन्य समस्याओं को लेकर बिजली निगम के कर्मचारियों ने सोमवार को एसई कार्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। बिजली कर्मतचारियों ने कार्यबहिष्कार कर इसका विरोध किया। बिजली काउंटर बंद रहे। जबकि अपने काम को लेकर बिजली दफ्तर आए लोगों को भी बिना कार्य पूरा करें, वापस लौटना पड़ा।
झारखंड
निरसा विधानसभा स्तरीय वाम जनवादी संयुक्त मोर्चा ने सोमवार को ईसीएल मुगमा एरिया कार्यालय के समीप धरना प्रदर्शन किया।
मुनाफाखोरों के हित में जनता पर कहर
इस दौरान क्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार का जनविरोधी चेहरा लगातार उजागर हो रहा है। जनता को धर्म-जाती में उलझकर वह मुनाफाखोरों के हित मे मज़दूरों-कर्मचारियों व आम मेहनतकश वर्ग को तबाह कर रही है।
मोदी सरकार ने जनता के खून पसीने से खड़ा किए गए देश की समस्त सरकारी संपदाओं को बेचने की गति बेलगाम कर दी है। रेलवे, बैंक, बीमा, दूरसंचार, कोयला खदान, पेट्रोलियम, आयुष निर्माण सहित नवरत्न सार्वजनिक उद्यमों को देसी-विदेशी निजी कंपनियों को औने पौने दामों में बेचने की गति तेज कर दी है। यह देश के लिए शर्म की बात है और देश की आम जनता के ऊपर बड़ा बोझ है।

वक्ताओं ने कहा कि पेट्रोल, डीजल, घरेलू गैस से लेकर दाल, सब्जी, तेल तक जनउपयोगी सभी कुछ के दाम बेइंतहा बढ़ गए हैं। एक तरफ देश की आम मेहनतकश जनता महामारी के कारण व्यापक संकटों को झेल रही है, ऊपर से महंगाई की मार ने आम जनता की कमर तक तोड़ दी है।
प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा मुनाफाखोर मालिकों के हित में कॉरपोरेटपरस्त तीन कृषि कानूनों और मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताएं लाकर मज़दूरों-किसानों की अस्मिता पर ही बड़ा संकट पैदा कर दिया गया है।
कहा कि मोदी सरकार ने कोरोना का बहाना बना कर आम लोगों के यातायात के साधन पासेन्जर ट्रेनों को भी बन्द किया हुआ है, जो चल रही हैं उनमें एक्सप्रेस गाडी का किराया वसूला जा रहा है, प्लेटफार्म टिकट व कम से कम टिकट 10 रु से 30 रू करके बस सफर से दुगुना/तिगुना मंहगा कर दिया है, बुढापा विकलांग आदि हर तरह का यात्रा कनशैसन खत्म कर दिया है।
प्रमुख मांगें-
विभिन्न जगहों से भेजे गए ज्ञापन मे पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस की बढ़ी कीमतें वापस लेने, देश के सार्वजनिक उद्योगों व प्राकृतिक सम्पदा के निजीकरण को खत्म करने, किसान विरोधी तीनों काले कृषि कानूनों और मजदूर विरोधी लेबर कोड रद्द करने, विद्युत संशोधन विधेयक 2021 को वापस लेने, वनाधिकार कानून के तहत जमीन का पट्टा देने, रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने, मनरेगा में 150 दिन काम व बकाया मजदूरी के भुगतान और 181 वूमेन हेल्पलाइन को पूरी क्षमता से चलाने की मांगों को उठाया।

17 मार्च को जीआईसी और 18 मार्च को एलआईसी में हड़ताल
मोदी सरकार की निजीकरण व देश बेचो अभियान के खिलाफ बैंक कर्मचारियों की हड़ताल के बाद 17 मार्च को जनरल इन्शुरन्स कॉर्पोरेशन (जीआईसी) और 18 मार्च को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारी भी एक-एक दिन की हड़ताल करने वाले हैं।