खुदीराम बोस सरीखे शहीदों का जीवन संघर्ष मौजूदा अन्धकारमय विषकाल में समतामूलक समाज स्थापित करने के लिए प्रयासरत लोगों के लिए प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा।
गोहाना (सोनीपत)। शहीद खुदीराम बोस के 116वें शहादत दिवस पर जन चेतना मंच ने गोहाना शहर में समता चौक से शुरु कर शहीद भगतसिंह चौक, दीनबन्धु चौ. छोटू राम व महाराजा अग्रसेन चौक से होते हुए रेलवे स्टेशन तक प्रभात फेरी निकाली।
इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि खुदीराम बोस का जन्म तीन दिसम्बर, 1889 को प. बंगाल के मिदनापुर जिले में हुआ था। 15 वर्ष की किशोरावस्था में खुदीराम क्रान्तिकारी संगठन के सदस्य बने। 1905 में कर्ज़न द्वारा धार्मिक आधार पर बंगाल के विभाजन (बंग-भंग) के विरोध में जारी बृहत् आन्दोलन में उन्होंने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया।
छ: दिसम्बर, 1907 को खुदीराम ने नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के आततायी गवर्नर की स्पेशल ट्रेन पर हमला किया परन्तु गवर्नर बच गया। 1908 में उन्होंने प्रफुल्ल चाकी के साथ मुज़फ़्फ़रपुर जा कर जरा-जरा सी बात पर भारतीयों को बेहद कठोर दण्ड देने वाले अत्याचारी जज किंग्सफ़ोर्ड की हत्या करने का प्रयास किया।
11 अगस्त, 1908 को 18 साल आठ महीने की अल्पायु में इन्हें फाँसी दे दी गयी। फाँसी के बाद खुदीराम बोस इतने लोकप्रिय हो गये कि बंगाल के जुलाहे ऐसी धोतियां बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था, और नन्हे शहीद की स्मृति हृदय में संजोए बंगाली पुरुष और महिलायें इन्हें पहनते थे।
वक्ताओं ने कहा कि मज़दूरों के खून की आख़िरी बूँद तक चूसने वाले निर्दयी और क्रूर पूँजीपतियों के हित साधने में जुटी वर्तमान सरकारें शोषित मेहनतकश लोगों को धर्म, जाति व क्षेत्र आदि के आधार पर बांटने पर तुली हुई हैं। भाजपा शासित राज्यों मणिपुर और हरियाणा में षड्यन्त्र के तहत लाखों लोगों को साम्प्रदायिक हिंसा की भट्ठी में झोंक दिया गया है।
वर्ग-चेतना के आधार पर एकजुट संघर्ष द्वारा ही अवाम सरमायादारों और उनके निज़ाम के घिनौने हथकण्डों से बच सकते हैं। खुदीराम बोस सरीखे शहीदों का जीवन संघर्ष मौजूदा अन्धकारमय विषकाल में समतामूलक समाज स्थापित करने के लिए प्रयासरत लोगों के लिए प्रकाश स्तम्भ का कार्य करेगा।

प्रभात फेरी में डॉ. सी. डी. शर्मा, डॉ. सुनीता त्यागी, सतपाल, पवन पांचाल, सूरजभान चहल, अवधेश शर्मा, रामधारी, अश्विनी कश्यप, मदन अत्री, डॉ. भीम सिंह, जगमहेंद्र सिंह, श्याम रहबारी, कृष्ण खासा, सेवा राम, रमेश सैनी, अशोक जांगड़ा, रामनिवास, विनय, प्रदीप त्यागी, सतपाल एलटी, अश्विनी कश्यप, संदीप, बीरमती, कमलेश, कृष्णा आदि ने भाग लिया।
कॉ. रघुबीर विरोधिया ने रेलवे प्लेटफार्म पर अपने सम्बोधन में जन समूह को अमर शहीद के जीवन और क्रान्तिकारी संघर्ष से अवगत कराया।