मोदी सरकार क्यों छुपाना चाहती है आँकड़े?
कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में प्रवासियों मजदूरों की मौत का आंकड़ा हो या इस दौरान छोटे और लघु और मझोले उद्योगों के बंद होने का आंकड़ा या फिर ऑटो सेक्टर में नौकरियां जाने का। मोदी सरकार का साफ कहना है कि उसके पास इन सब के संबंध में कोई आंकड़ा नहीं है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को लगातार घेर रहा है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र में डेटा मुक्त सरकार होने का आरोप लगा रहे हैं। अब क्या किसानों की आत्महत्या से जुड़े लेकर आंकड़े छुपाए जा रहे हैं? केंद्र सरकार ने सोमवार को कहा कि कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने किसान आत्महत्याओं का ब्यौरा नहीं दिया है और इसलिए, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों संबंधी राष्ट्रीय आंकड़ा ‘अपुष्ट’ है और इसे प्रकाशित नहीं किया जा सकता है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का जिक्र करते हुए सदन को सूचित किया कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने विभिन्न प्रकार से पुष्टि किये जाने के बाद किसानों, उत्पादकों एवं खेतिहर मजदूरों द्वारा आत्महत्या का ‘शून्य’ आंकड़ा होने की बात कही है जबकि अन्य पेशों में कार्यरत लोगों द्वारा आत्महत्या की घटनाओं की सूचना मिली है।
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस कमी के कारण, कृषि क्षेत्र में आत्महत्या के कारणों के बारे में कोई राष्ट्रीय आंकड़ा पुष्ट नहीं है और इसे अलग से प्रकाशित नहीं किया गया।’’ आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्याओं के नवीनतम राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में 10,281 किसानों ने किसानों ने आत्महत्या की जबकि वर्ष 2018 में अपनी जान देने वाले किसानों की संख्या 10,357 थी।
इससे पहले संसद के मानसून सत्र में मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार के पास अपने गृहराज्यों में लौटने वाले प्रवासी मजदूरों का कोई आंकड़ा है? विपक्ष ने सवाल में यह भी पूछा था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई थी। क्या उनके बारे में सरकार के पास कोई डिटेल है? साथ ही सवाल यह भी था कि क्या ऐसे परिवारों को आर्थिक सहायता या मुआवजा दिया गया है?
इस पर केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लिखित जवाब में बताया था कि ‘ऐसा कोई आंकड़ा मेंटेन नहीं किया गया है। ऐसे में इसपर कोई सवाल नहीं उठता है। इस बारे में कांग्रेस नेता दिग्विजिय सिंह ने कहा था कि ‘यह हैरानजनक है कि श्रम मंत्रालय कह रहा है कि उसके पास प्रवासी मजदूरों की मौत पर कोई डेटा नहीं है, ऐसे में मुआवजे का कोई सवाल नहीं उठता है।
जनसत्ता से साभार