विभिन्न संगठनों ने उठाई माँग
गोहाना (हरियाणा)। जन संघर्ष मंच हरियाणा, जन चेतना मंच एवं समतामूलक महिला संगठन गोहाना ने स्वास्थ्य क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण, अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर व फ्री दवा, कालाबाजारी रोकने, लॉकडाउन में गरीबों को ₹5000 प्रति सप्ताह आर्थिक सहायता व मनरेगा मज़दूरों को बेरोजगारी भत्ता देने, स्वास्थ्यकर्मियों के सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम आदि की माँग की।
बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि कोरोना के दूसरे जोरदार हमले से सारे लोग डरे हुए हैं। एक डर कोरोना बीमारी से ग्रसित होने का है तो दूसरा बड़ा डर यह है कि कोरोना बीमारी हो जाने पर इलाज कहाँ व कैसे करवाएं। सबसे ज्यादा चिंता गरीब लोगों को है क्योंकि न तो उनकी सरकारी हस्पतालों में कोई सुनवाई है और न उनके पास पैसा ही है कि वे प्राईवेट अस्पतालों में बेहद महँगा, बीस-तीस हज़ार रुपए रोज़, इलाज करवा सकें।
हर रोज खबरें आ रहीं हैं कि ऑक्सीजन की कमी से कोरोना मरीज मर रहे हैं। दवाइयों की कालाबाजारी के समाचार आ रहे हैं।सरकार ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी रोकने में विफल साबित हुई है। आखिर पीएम केयर फंड खर्च कहाँ हुआ?
अस्पतालों में ऑक्सीजन व बेड की कमी से कोरोना मरीजों की होने वाली मौतें, मौतें नहीं, असल में सरकारों द्वारा किए गए कुप्रबंधन के कारण हुई हत्याएँ हैं।
हरियाणा में 3 मई से 7 दिन का लॉकडाउन लगा दिया गया है। मजदूर आज चिंतित है कि वे कैसे जिएंगे? परंतु हरियाणा सरकार ने गरीबों को जरूरी चीजें खरीदने के लिए आर्थिक सहायता देने की कोई घोषणा नहीं की है। रोजगार का कोई प्रबंध नहीं किया गया है।
’मनरेगा’ के तहत काम की मांग करने के बावजूद मार्च व अप्रैल मास के दौरान सभी काम मांगने वाले मज़दूरों को न काम दिया गया और न बेरोजगारी भत्ता। जिन मजदूरों को काम दिया गया वह भी मात्र दो चार दिन का। वेक्सीन लगाने की गति भी बहुत धीमी है।
स्पष्ट है कि पूंजीपति लोग महामारी के दौरान भी घोर मुनाफा पीटते हैं और सरकारें इसका प्रबंध करती हैं।हरियाणा सरकार कोरोना से मर रहे मरीजों के आंकड़ों को भी छुपा रही है। सरकार का यह आचरण अत्यंत निंदनीय है।

संगठनों की मांगें-
कोविड व्यवहार का पालन करते हुए सीमित मीटिंग कर जन संघर्ष मंच हरियाणा, जन चेतना मंच एवं समतामूलक महिला संगठन गोहाना के प्रतिनिधि मांग करते हैं कि-
- समूचे स्वास्थ्य क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया जाए और जी डी पी का कम से कम 10% हिस्सा इस पर खर्च किया जाए।स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार बनाया जाए।सभी अस्पतालों में पर्याप्त ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर,आईसीयू व दवा फ्री उपलब्ध करवाई जाए ताकि कोरोना मरीजों की जान बचाई जा सके।
- ऑक्सीजन व दवा उपलब्ध न होने से मारे गए कोरोना मरीजों के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए।
- वर्तमान में रेमडेसिविर इंजेक्शन, फ़ेविपिरेविर की गोलियाँ; पल्स आक्सीमीटर तथा ऑक्सीजन आदि की जबरदस्त कालाबाजारी हो रही है। इसे रोका जाए।
- ऑक्सीजन की सप्लाई बहाल की जाए, और जो लोग घरों में क्वारंटीन में हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन उपलब्ध करवाई जाए।
- लॉकडाउन की अवधि के दौरान मजदूरों व तमाम गरीब लोगों को ₹5000 प्रति सप्ताह आर्थिक सहायता दी जाए।
- मनरेगा मजदूरों को लॉकडाउन की अवधि में आधी दिहाड़ी के बराबर बेरोजगारी भत्ता दिया जाए।
- कोरोना इलाज करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों, स्कीम वर्करों तथा सफाई कर्मचारियों आदि की सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया जाए।