कई महिला कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। किराये के घरों में रहकर कोरोनाकाल में शहरवासियों को सेवाएं दे रही हैं, लेकिन वेतन नहीं मिलने से त्रासदी झेल रही हैं। आंदोलन मजबूरी है।
नागपुर। कोरोना काल में जान की बाजी लगाकर स्वास्थ्य सेवाएं देने के बावजूद गत 2 माह से वेतन नहीं मिलने के कारण मंगलवार को लगभग 450 अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा काम बंद आंदोलन किया गया. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आंदोलन के कारण चरमराई व्यवस्था से पूरा प्रशासन सकते में आ गया. यहां तक कि आनन-फानन में स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों के साथ बैठक लेकर 3 दिन में वेतन का भुगतान देने का वादा किया गया.
संगठन के अध्यक्ष जम्मू आनंद ने कहा कि कई महिला कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों से हैं. किराये के घरों में रहकर कोरोनाकाल में शहरवासियों को सेवाएं दे रही हैं. लेकिन वेतन नहीं होने से त्रासदी झेल रही हैं. प्रशासन को भलीभांति जानकारी होने के बावजूद उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. यही कारण है कि मजबूरन आंदोलन की भूमिका लेनी पड़ी.
…तो पुन: शुरू होगा आंदोलन
प्रशासन का ध्यानाकर्षित करने के लिए सोमवार को सभी अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारियों ने काली फीत लगाकर निषेध जताया था. साथ ही दूसरे दिन से ही काम बंद आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. इसके बावजूद कोई ध्यान नहीं दिए जाने से काम बंद आंदोलन किया गया जिसकी भनक लगते ही महापौर दयाशंकर तिवारी की ओर से यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक ली गई.
इसमें अपर आयुक्त राम जोशी भी उपस्थित रहे. बैठक में हुई चर्चा के बाद वेतन तथा सुरक्षा सामग्री देने का निर्णय लिया गया. यदि 3 दिनों में आश्वासन की पूर्ति नहीं की गई तो उसके बाद पुन: आंदोलन शुरू होने की जानकारी आनंद ने दी. शिष्टमंडल में अर्चना मंगरूलकर, धरती दुरूगवार, कुंदा कोहाड, ममता कावले शामिल थे.
नवभारत से साभार