आपदा को मुनाफाखोरों के अवसर में बदलने का खेल जारी
आपदा में अवसर : मोदी सरकार सरकारी कंपनियों को निजी हाथों में देने में जुटी है। मुनाफाखोर कंपनियों की निगाह सबसे बड़े महकमें रेलवे पर लगी है जो टुकड़ों में निजीकरण के हवाले हो रही है। इसी क्रम में रेलवे स्टेशन की साफ-सफाई के बाद अब प्रतीक्षालय और पार्कों के रखरखाव, स्वच्छता की जिम्मेदारी भी निजी हाथों में होगी।
अब निजी कंपनियां रेलवे स्टेशनों पर वेटिंग रूम और पार्कों का ठेका ले रही हैं। इसके एवज में उसके पास निर्धारित स्थलों पर विज्ञापन लगाने का अधिकार होगा। अनुबंध के मुताबिक विज्ञापन से होने वाली आय का एक हिस्सा रेलवे को देने के बाद बाकी अपने पॉकेट में डालेंगी।
निजीकरण की यह व्यवस्था रेलवे के सभी ए-वन और ए-ग्रेड स्टेशनों पर लागू हो रही है। पहले चरण में जिन स्टेशनों का चयन हुआ है, उनमें पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय और दुनिया के सबसे बड़े प्लेटफ़ॉर्म वाला गोरखपुर जंक्शन भी है।
इसके तहत गोरखपुर जंक्शन के सबसे बड़े अति आधुनिक सामान्य प्रतीक्षालय के रखरखाव और सफाई की जिम्मेदारी निजी संस्था को सौंप दी गई है, लेकिन कोरोना के चलते फर्म ने अभी पूरी तरह काम शुरू नहीं किया है।
अब अत्याधुनिक एसी लाउंज और स्टेशन के ठीक सामने 50 हजार वर्ग फिट के पार्क को भी प्राइवेट फर्म को देने की तैयारी चल रही है। लाउंज को सुपुर्द करने से पहले रेलवे वहां मरम्मत करा रहा है। निजी फर्म से अनुबंध की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है।
निजीकरण तेज, आपदा के बहाने रेल संचालन मरमर्जी
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार रेलवे कोच व इंजन फैक्ट्रियों, माल गाड़ी व यात्री गाड़ियों का संचालन, स्टेशनों की साफ सफाई, रख-रखाव, खान-पान, टिकट बिक्री आदि रेलवे के तमाम काम निजी कंपनियों को दे चुकी है। यहाँ तक कि पूरा रेलवे स्टेशन भी अदानी-अंबानी के हवाले हो रहा है। कई काम आउटसोर्सिंग से हो रहा है।
अपने इसी मंसूबे को पूरा करने के लिए उसने आपदाकाल में रेलेगाड़ियों का संचालन बंद किया। जो चलीं, उन्हें अस्थाई रूप से व विशेष ट्रेन घोषित किया। जब मन जिस ट्रेन को चाहा चलाया, जब मर्जी बंद कर दिया। इस बीच निजीकरण की गति तेज कर दी।
कर्मचारी संगठनों ने किया विरोध
एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री केएल गुप्त और पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ के संयुक्त महामंत्री एके सिंह ने कहा कि हमारी यूनियनें इसका विरोध करती हैं। प्रतीक्षालय और पार्क किसी भी हालत में निजी एजेंसियों को नहीं दिए जाने चाहिए। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन ने रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष के साथ आयोजित ज्वाइंट कंसल्टेटिव मशीनरी- डिपार्टमेंटल काउंसिल (जेसीएम- डीसी) की वर्चुअल बैठक में निजीकरण और आउटसोर्सिंग का विरोध किया है।
जबकि पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह का कहना है कि मंडल रेल प्रबंधक लखनऊ के नेतृत्व में एजेंसी से करार हो गया है। एजेंसी निर्धारित स्थान पर विज्ञापन लगा रही है। बदले में रेलवे को लाइसेंस फीस भी दे रही है। इससे यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी। पहले यह कार्य रेलवे के खर्च पर एजेंसियों के जरिए होता था।