भारत में कोरोना महामारी खतरनाक दूसरी लहर के बीच बैंक कर्मचारियों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है। विभिन्न राज्यों में लॉकडाउन के दौरान अति आवश्यक सेवा के अंतर्गत बैंक खुले हुए हैं। बैंक कर्मचारियों को कोरोना से भी निपटना है और ग्राहकों से भी।
आधिकारिक रूप से तो बैंकों में आधे कार्यबल को ही बुलाया जा रहा है मगर कर्मचारियों को फोन करके काम पर आने के लिए कहा जा रहा है। बहुत जगह बैंक अधिकारियों ने तो वर्क फ्रॉम होम ले रखा है मगर क्लर्क ग्रेड के कर्मचारियों पर काम पर आने का दबाव है। कई बैंकों के ब्रांच में ग्राहकों को नियंत्रित करने के लिए ना तो कोई सिक्योरिटी गार्ड है ना ही थर्मल स्कैनर और सैनिटाइजर का प्रबंध है।
ऑल इंडिया बैंक एम्पलॉइज एसोसिएशन के अनुसार अभी तक विभिन्न बैंकों के करीब एक लाख से ज्यादा कर्मचारी कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं और 1200 कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। कई बैंक अभी भी संक्रमित कर्मचारियों की संख्या या मृतक कर्मचारियों के परिवार के लिए लागू होने वाली क्षतिपूर्ति योजना की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं।
महा गुजरात बैंक एम्पलाई एसोसिएशन के अनुसार अप्रैल तक 15000 कर्मचारी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और 30 की मौत हो चुकी है।
एसबीआई, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, यूनियन बैंक जैसे पब्लिक सेक्टर के बैंकों ने कोरोना से मरने वाले कर्मचारियों के परिवार वालों के लिए ₹20 लाख रुपए की मुआवजा राशि का प्रावधान रखा है।
वहीं एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिन्द्रा बैंक जैसे प्राइवेट बैंक संक्रमित कर्मचारियों की संख्या या मृतक कर्मचारियों के परिवार के लिए लागू होने वाली क्षतिपूर्ति योजना की जानकारी साझा नहीं कर रहे हैं।
पब्लिक सेक्टर के बैंकों में जिस तरीके से निजीकरण किया जा रहा है उस वजह से वहां वीआरएस लागू होने और नए कर्मचारियों की भर्ती ना होने से मौजूदा स्टाफ पर काम का दबाव बहुत ज्यादा है।
विभिन्न राज्यों में बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन ने कोरोना महामारी के दौरान अति आवश्यक काम जैसे रोकड़ लेनदेन, ट्रांसफर, आंकड़ों की गणना को छोड़कर बैंकों की गतिविधियों को कम करने, बैंकों की कार्य अवधि सुबह 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक करने की मांग की है, ताकि बैंक कर्मचारियों को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
भारत में अभी तक 240 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और 266,200 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में कोरोना वैक्सीन की कमी है और जिस तरह से लोगों को दो खुराक की वैक्सीन लगाई जा रही है उस दर से 75% जनता को वैक्सीन लगाने में ढाई साल से ज्यादा समय लग जाएगा।
मनीकंट्रोल डॉट कॉम से इनपुट के साथ