मज़दूर-किसान महापंचायत 26 को सिड़कुल में; हाईकोर्ट से मालिकों को नहीं मिला स्टे

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महापंचायत की तैयारियां जारी

हाईकोर्ट में मालिकों के वकील ने शाहीन बाग का हवाला देकर दलील दी थी कि यदि महापंचायत को न रोका गया तो मज़दूर पारले चौक को शाहीन चौक बना देंगे और सिडकुल में अराजकता फैला देंगे।

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। सिडकुल इंटप्रिन्योर वैलफेयर सोसायटी द्वारा 26 अप्रैल को आयोजित होने वाली मजदूर किसान महापंचायत को सिडकुल पन्तनगर से हटाने  की नीयत से लगाई गई याचिका पर उच्च न्यायालय नैनीताल ने स्थगनदेश देने से मना कर दिया। यह मज़दूरों की बड़ी जीत है। इस बीच महापंचायत की तैयारी जोरों पर है।

ज्ञात हो कि इंटरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा के मज़दूर गैरकानूनी बर्खास्तगी, अवैध तालाबंदी के खिलाफ 254 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी क्रम में कल 26 अप्रैल को इंटरार्क मजदूर संगठन, श्रमिक संयुक्त मोर्चा सिडकुल पंतनगर, एवं संयुक्त किसान मोर्चा ने मजदूर किसान महापंचायत का आयोजन सिडकुल पंतनगर में पारले चौक के पास इंटरार्क मजदूर संगठन के धरना स्थल पर आयोजित किया है।

महापंचायत रोकने के लिए प्रबंधकों का एशोसिएशन पहुंचा था हाईकोर्ट

इस बीच प्रबंधकों के एशोसिएशन (सिडकुल इंटप्रिन्योर वैलफेयर सोसायटी) ने उच्च न्यायालय नैनीताल से महापंचायत को सिडकुल से हटाकर गांधी पार्क या किसान मैदान में शिफ्ट कराने का आदेश पारित करने की अपील की। जिस पर इंटरार्क यूनियन की ओर से एडवोकेट एम सी पंत जी एवं एडवोकेट डी एस मेहता ने जोरदार पैरवी कर मालिको के अरमानों पर पानी फेर दिया और महापंचायत को हटाने का आदेश नहीं दिया।

एशोसिएशन द्वारा याचिका लगाने का तात्कालिक उद्देश्य कल 26 अप्रैल 2022 को इंटरार्क मजदूरों के धरनास्थल निकट पारले चौक सिडकुल पन्तनगर में आयोजित मजदूर किसान महापंचायत को बाधित करना और इंटरार्क मजदूरों के धरने को सिडकुल पन्तनगर से हटाना था। इसका दूरगामी व घातक उद्देश्य मजदूरों के लिए हमेशा हमेशा के लिए सिडकुल पन्तनगर में धरना प्रदर्शन करने पर प्रतिबंध लगाना था।

आज हाईकोर्ट नैनीताल में उक्त मामले में सुनवाई में मालिकों के वकील ने शाहीन बाग से धरना हटाने के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश व अन्य आदेशों का हवाला देकर दलील दी गई कि यदि कल की महापंचायत को सिडकुल पन्तनगर में आयोजित होने से न रोका गया तो मजदूर पारले चौक को शाहीन चौक की तरह ही बना देंगे और सिडकुल में कब्जा कर अराजकता फैला देंगे। इसलिए कल की महापंचायत को सिडकुल से हटाकर गांधी पार्क या किसान मैदान में शिफ्ट कराने का आदेश पारित करने की अपील की।

श्रमिक पक्ष से जोरदार पैरवी, नहीं मिला स्टे

जिस पर इंटरार्क यूनियन की ओर से एडवोकेट एम सी पंत एवं एडवोकेट डी एस मेहता ने जोरदार पैरवी कर मालिको के अरमानों पर पानी फेर दिया और महापंचायत को हटाने का आदेश नहीं दिया। कोर्ट ने जिला पुलिस को कानून व्यवस्था देखने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट में सिडकुल के मालिकों को मुंह की खानी पड़ी और सिडकुल के मजदूरों को जीत मिली।

इंटरार्क यूनियन ने इसके लिये सिडकुल के सभी मजदूरों, यूनियनों व श्रमिक सँयुक्त मोर्चा ऊधमसिंह नगर के साथियों को क्रांतिकारी लाल सलाम पेश करते हुए अपील की है कि कल सिडकुल पन्तनगर में प्रातः 11 बजे से आयोजित उक्त मजदूर किसान महापंचायत में मजदूरों का रेला उतारकर सिडकुल के कंपनी मालिकों, प्रबंधकों और उनकी सिडकुल इंटरप्रिन्योर वैलफेयर सोसायटी को सिडकुल के मजदूरों, यूनियनों और श्रमिक सँयुक्त मोर्चे की असली ताकत का एहसास व दर्शन करायें।

https://mehnatkash.in/2022/04/12/united-farmers-front-in-support-of-interark-workers-announcement-of-mazdoor-farmer-mahapanchayat-on-26th-april/

महापंचायत की तैयारियां जोरों पर

मजदूर किसान समस्याओं को लेकर कल 26 अप्रैल को पारले चौक सिडकुल पन्तनगर में होने वाली मजदूर-किसान महापंचायत के आयोजन की तैयारी के सिलसिले में मोर्चा व श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता लगातार जनसंपर्क कर आयोजन को सफल बनाने और जनता से सहयोग देने की अपील कर रहे हैं। इसके लिए तमाम क्षेत्रों सहित पूरे जिले में मेहनतकश लोगों से बातचीत, सभा, जनसंपर्क, पर्चा वितरण इत्यादि कर रहे हैं। इन्टरार्क मजदूर संगठन सिडकुल पंतनगर व किच्छा से जुड़े मजदूरों ने रूद्रपुर शहर में युद्धस्तर पर प्रचार प्रसार एवं जन संपर्क अभियान चलाया। 

उन्होंने बताया कि सिडकुल स्थित इंटरार्क बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्रा. लि. कंपनी के मालिक ने हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश दिनांक 02-03-2022 एवम औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6(एस) की अवमानना कर कंपनी की तालाबंदी कर 500 से अधिक मजदूर का गेट बंद कर बेरोजगार बना दिया है।

उक्त महापंचायत का मुख्य उद्देश्य इंटरार्क कंपनी की तालाबंदी खत्म कराना एवम करोलिया लाइटिंग, भगवती-माइक्रोमैक्स, लुकास टीवीएस आदि कंपनी के मजदूरों को न्याय दिलाना ठेका प्रथा को खत्म करना, समान काम का समान वेतन लागू करना न्यूनतम वेतन, ओवर टाइम का डबल भुगतान लागू करने से संबंधित कानूनों को लागू कराना है।

प्रचार के दौरान कार्यकर्ताओं ने मजदूरों के शोषण-उत्पीड़न, सरकारी जनविरोधी नीतियों से जनता को हो रही दिक्कतों और मजदूर किसान महापंचायत के बारे में विस्तार से बताया।