सम्मेलन में देश-दुनिया की हालतों, संगठन की प्राप्तियों, कमियों-कमजोरियों और भविष्य की चुनौतियों पर राजनीतिक-सांगठनिक रिपोर्ट पारित हुए; गतिविधि और वित्तीय रिपोर्ट भी पेश की।
लुधियाणा (पंजाब)। आज 20 अगस्त को जमालपुर, लुधियाणा में कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब का चौथा सम्मेलन सफलतापूर्वक हुआ। सम्मेलन की शुरूआत अधिकारों और एकता के जुझारू नारों के बीच पुरानी नेतृत्वकारी कमेटी द्वारा यूनियन का झंडा फहराने से हुई। क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ द्वारा मज़दूरों के जीवन और अधिकारों से जुड़े अनेकों जुझारू गीत पेश किए गए।
सम्मेलन में पिछली नेतृत्वकारी कमेटी द्वारा देश-दुनिया की हालतों, संगठन की प्राप्तियों, कमियों-कमजोरियों और भविष्य की चुनौतियों के बारे में पेश की गई राजनीतिक-सांगठनिक रिपोर्ट विचार चर्चा के बाद पारित की गई। पिछली नेतृत्वकारी कमेटी ने अपने डेढ़ साल के समय की गतिविधि और वित्तीय रिपोर्ट भी पेश की।
सम्मेलन में शामिल सदस्यों द्वारा नई नेतृत्वकारी कमेटी चुनी गई। नई नेतृत्वकारी कमेटी में लखविंदर सिंह (अध्यक्ष), गगनदीप कौर (उपाध्यक्ष), कल्पना (जनरल सेक्रेट्री), सुशील कुमार पांडे (खजानची), रमेश चंद, तेजू प्रसाद, सविता देवी, बिन्नी, गुरदीप सिंह, जय शंकर सिंह, तिलकधारी सिंह शामिल हैं।

इस अवसर पर भाईचारा संगठन टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन के अध्यक्ष जगदीश सिंह और नौजवान भारत सभा के साथी तरन ने संबोधित किया और सफल सम्मेलन की बधाई दी। साथी कल्पना ने मंच संचालक की भूमिका बाखूबी निभाई।
सम्मेलन में पारित की गई राजनीतिक-सांगठनिक रिपोर्ट के मुताबिक आज मज़दूर वर्ग बेहद चुनौतीपूर्ण हालतों में से गुज़र रहा है। पूँजीपति वर्ग के हाथों मज़दूरों के श्रम अधिकारों का बड़े स्तर पर हनन हो रहा है। नामात्र वेतन पर मज़दूर हाड़तोड़ मेहनत करने के लिए मज़बूर हैं। कमरतोड़ मँहगाई की मार लगातार बढ़ती जा रही है। बहुसंख्य मेहनतकश आबादी अपनी बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रही।
निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों ने जहाँ एक ओर पूँजीपतियों को मालामाल किया है वहीं दूसरी ओर मज़दूर वर्ग की हालत खराब की है। इन हालतों में मज़दूर वर्ग की विशाल लामबंदी की ज़रूरत है।
कारखाना मज़दूर यूनियन शुरू से ही मज़दूरों-मेहनतकशों को जागरूक और लामबंद करने की लगातार कोशिशें कर रही है। लेकिन मज़दूरों की बड़ी आबादी को जागरुक, लामबंद और संगठित करने का एक बड़ा काम अभी भी संगठन के सामने है। मज़दूरों में मौजूद साम्प्रदायिक, जातिवादी, क्षेत्रवादी, औरत विरोधी आदि एकता के रास्ते में आने वाले विचारों-पूर्वाग्रहों से मज़दूर वर्ग को मुक्त करने के लिए समूचे संगठन को जोरदार ढंग से काम करने की ज़रूरत है।
कई प्रस्ताव हुए पारित
सम्मेलन में पाँच प्रस्ताव भी पारित किए गए। एक प्रस्ताव भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों में किए गए मज़दूर विरोधी संशोधनों को रद्द करने, मज़दूरों के सभी कानूनी श्रम अधिकार लागू करने संबंधी पेश किया गया। इसके साथ ही बढ़ती मँहगाई पर रोक लगाने, बाढ़ की रोकथाम के लिए ज़रूरी प्रबंध करने और बाढ़ पीड़ितों को मुआवज़ा देने से संबंधित प्रस्ताव भी पेश किए गए।
भारतीय हुक्मरानों द्वारा मणिपुर में कूकी और मैतई राष्ट्रीयताओं को आपस में लड़ाने और नूह (मेवात) में साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने के खिलाफ दो प्रस्ताव पेश किए गए। इसके साथ ही एक अहम प्रस्ताव उड़ीसा के रेल हादसे में मारे गए लोगों के लिए शोक ज़ाहिर करते हुए पूरे भारत में रेल हादसों की रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने संबंधी पारित किया गया।
सम्मेलन के अंत में इलाके में मार्च भी निकाला गया।