मांगें पूरी हों, वरना मनरेगा मजदूर गांव-गांव में मजदूर विरोधी खट्टर व मोदी सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे और चुनाव में सबक सिखाएंगे। 8 फरवरी को मासा के आह्वान पर बड़ा प्रदर्शन होगा।
करनाल (हरियाणा)। मनरेगा मजदूरों में हरियाणा व केन्द्र सरकार के खिलाफ गहरा रोष है कि मनरेगा में 150 दिनों का कानूनी अधिकार होने के बावजूद मजदूरों को काम नही दिया जा रहा है। विधायक व सांसद ने कभी मजदूरों की सुध नही ली। इस कारण मजदूरों को भयंकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मजदूरों में इसलिए भी रोष है कि गत 4 सितम्बर को यूनियन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करनाल आवास पर भी मजदूरों ने मांगपत्र दिया था परंतु प्रदेश सरकार ने अब तक मनरेगा मजदूरों की मांगों को पूरा नहीं किया है।
इसी रोष के साथ मनरेगा मजदूर यूनियन ने 15 जनवरी को नीलोखेड़ी के विधायक धर्मपाल गोंदर के करनाल आवास पर प्रदर्शन किया और ज्ञापन सौंपा। एडीसी करनाल के मार्फत जिला प्रशासन से संबंधित मांगों के बारे में ज्ञापन डीसी करनाल के नाम सौंपा गया।

इस दौरान धरना-प्रदर्शन की अध्यक्षता राजेंद्र बस्तली ने की और मुख्य वक्ता नरेश कुमार राज्य प्रधान मनरेगा मजदूर यूनियन रहे ।
मजदूरों को सम्बोधित करते हुए नरेश कुमार, सोमनाथ, सुरेश टांक, राजेंद्र, जोगिंदर, बबली कोयर, पूजा, कान्ता माजरा, हरपाल कौर गुनियाना आदि ने कहा कि रोजगार का संकट और महंगाई की मार इतनी ज्यादा है कि यदि आज ग्रामीण मजदूरों को साल में कम से कम दो सौ दिन मनरेगा काम तथा कम से कम ₹800 मजदूरी दी जाए तो कुछ राहत मिल सकती है।
मनरेगा कानून के अनुसार प्रदेश सरकार सौ दिन के अलावा 50 दिन अतिरिक्त रोजगार भी दे सकती है। मजदूर काम की मांग के लिए सरपंच व बीडीपीओ दफ्तरों के चक्कर लगाते थक जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो मनरेगा मजदूर गांव-गांव में मजदूर विरोधी खट्टर, मोदी सरकार का पुरजोर विरोध करेंगे, जरुरत पड़ी तो इस सरकार के विधायक और सांसदों को आगामी लोकसभा चुनाव में सबक सिखाने का काम किया जाएगा।
यूनियन ने हरियाणा सरकार व विधायक को चेतावनी हुए कहा कि यदि शीघ्र ही मनरेगा मजदूरों को काम दिलाने तथा अन्य मांगें पूरी नहीं की गई तो भाजपा-जजपा सरकार के विधायकों सांसदों का कड़ा विरोध किया जाएगा।
मनरेगा मजदूर यूनियन और मनरेगा मजदूर एकता मंच व जन कल्याण सोसाइटी हरियाणा के नेताओं ने कहा कि आगामी 8 फरवरी को मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के बैनर तले हरियाणा में जिला मुख्यालयों पर मासा के घटक संगठनों जन संघर्ष मंच हरियाणा, इंक़लाबी मजदूर केंद्र, मजदूर सहयोग केंद्र व अन्य मजदूर संगठनों के साथ मिलकर मजदूर प्रतिरोध दिवस पर प्रदर्शन किये जाएंगे और मोदी व खट्टर सरकार की मनरेगा मजदूर विरोधी नीतियों के साथ-साथ निजीकरण, ठेका प्रथा, मजदूर विरोधी लेबर कोड आदि का विरोध किया जाएगा।
मनरेगा मज़दूरों द्वारा की गई मांगें :-
मनरेगा मजदूर यूनियन द्वारा करनाल के जिला उपायुक्त के नाम दिये गए ज्ञापन के माध्यम से तथा विधायक से निम्नलिखित मांगें की गईं-
1. हलका नीलोखेड़ी के सभी गांवों में तुरंत मनरेगा रोजगार दिवस मनाकर काम के इच्छुक मजदूरों की काम की मांग दर्ज की जाए। जिन मजदूरों ने काम की मांग की हुई है उन्हें तुरंत काम या बेरोजगारी भत्ता दिलवाया जाए।
2. दैनिक मनरेगा मजदूरी 800 रुपये तथा मंहगाई दर के अनुरूप हर वर्ष मजदूरी में वृद्धि तथा साल में कम से कम 200 दिन प्रति व्यक्ति रोजगार गारंटी दो।
3. ठेकेदारी प्रथा व ई-टेंडरींग बिलकुल बंद हों और सभी पंचायती काम उसी गाँव के मनरेगा मजदूरों से करवाए जाएँ।
4. गाँव स्तर पर एक सप्ताह/15 दिन में एक बार मनरेगा रोजगार दिवस मनाया जाना और सप्ताह में एक बार ग्राम सचिव का ग्राम सचिवालय में बैठने का दिन निश्चित हो।
5. जॉब कार्ड व काम के लिए आवेदन की पावती दी जाए और काम की मांग को उसी दिन ही नरेगा पोर्टल पर दर्ज किया जाए। जॉबकार्ड पर लगने वाली फोटो की बकाया राशि सभी मनरेगा जॉबकार्ड धारकों को दी जाए। जांच करवाई जाए कि मजदूरों की फोटो की राशि किसने डकारकर भ्रष्टाचार किया है। सभी मजदूरों को मनरेगा जॉबकार्ड की प्रति देना सुनिश्चित किया जाए। यह भी जांच करवाई जाए कि मनरेगा पंजीकरण होने के बावजूद भी बहुत से मजदूरों को मनरेगा जॉबकार्ड की प्रति क्यों नहीं दी गई। इसमें बड़ा घोटाला होने की आशंका है।
6. जॉब कार्ड रद्द किए जाने से पूर्व मजदूर को अपनी बात कहने तथा ऊपर अपील करने का अधिकार हो। तकनीकी वजह से पात्र मजदूरों के रद्द किए गए जॉब कार्ड पुनः बनाए जाएं।
7. मस्टर-रोल पूरा हो जाने के बाद एक सप्ताह के अंदर मनरेगा मजदूर और मेट की मजदूरी का भुगतान हो। देरी होने पर मुआवजे सहित मजदूरी भुगतान हो।
8. प्रत्येक कार्यदिवस पूरा होने पर मजदूर के जॉब कार्ड में मेट/ रोजगार सहायक द्वारा हाजरी भरी जाए। NMMS एप के काम न करने या नेटवर्क न होने पर मजदूर की हाजरी लगाने की वैकल्पिक व्यवस्था के बारे में प्रदेश सरकार निर्देशों को सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करे।
9. तालाब में से जलखुंबी निकालने जैसे काम जिन्हें केवल सामूहिक रूप से ही किया जा सकता हो उन्हें समयानुसार मजदूरी के आधार पर करवाया जाए। गहरे तालाब जैसे खतरनाक कार्यस्थल पर सुरक्षा की उचित व्यवस्था हो।
10. कार्यस्थल पर पीने के पानी, छाया, फर्स्ट एड बॉक्स आदि का प्रबंध हो।
11. भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिकों की तरह मनरेगा मजदूरों व मेटों को भी श्रम कल्याण बोर्ड की योजनाओं का लाभ दो। रजिस्टर्ड मजदूरों की यूनियनों को अपने सदस्य मजदूरों की वैरीफिकेशन का अधिकार दिया जाए।
12. काम के औज़ार सरकारी खर्च पर दो या बाजार दर के अनुसार औजारों की कीमत दी जाए।
13. 50 वर्ष से अधिक आयु के मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर काम गाँव में ही दिया जाए। 2 किलोमीटर से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर सरकारी वाहन का प्रबंध हो। घर से 5 किमी से अधिक दूरी पर काम दिये जाने पर मजदूरी का 10% अतिरिक्त राशि दी जाए।
14. मनरेगा में भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए। मनरेगा कानून का उलंघन करने वाले व भ्रष्टाचार के दोषियों को कड़ी सजाएँ दिये जाने का प्रावधान लागू करो।
15. कार्यस्थल पर या काम पर आने-जाने के दौरान मनरेगा मजदूर या मेट की मृत्यु या स्थाई अपंगता की स्थिति में न्यूनतम 25 लाख रुपए की आर्थिक सहायता तथा पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, स्वाभाविक मृत्यु पर भी 10 लाख रुपए की सहायता दो। मजदूर परिवारों को मुफ्त इलाज की गारंटी दो।
16. प्रत्येक शिकायत का एक सप्ताह के भीतर निपटारा और मजदूरों के विवादों के शीघ्र निपटारे के लिए फास्ट ट्रेक श्रम अदालतों का गठन किया जाए।
17. काम की योजना बनाने तथा किए गए काम का सोशल ऑडिट करवाए जाने के लिए सार्वजनिक स्थान पर ग्राम सभा की बैठकें और इन बैठकों की वीडियोग्राफी हो। सोशल ऑडिट के समय उस गाँव के पंजीकृत मनरेगा मजदूर यूनियनों के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
18. मनरेगा मेट की नियुक्ति मनरेगा मजदूरों की सहमति से हो। भ्रष्ट मेटों व उनका सहयोग करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों को हटाया जाए।
19. फैमिली आईडी में त्रुटियां दूर करने व परिवार के अलग हो जाने पर अलग फैमिली आईडी बनवाने की सरल व्यवस्था की जाए। सभी मनरेगा मजदूर परिवारों के बीपीएल राशनकार्ड बनाए जाएँ। बेघर मजदूरों को रिहायशी प्लाट व मकान बनवाकर दिए जाएँ। शौचालय, पशु बाड़ा व आवास निर्माण के लिए कम से कम 3 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए।